Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 120,121,122,123

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 32 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 120,121,122,123 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -120

श्री कबीर दास जी को उद्धृत करते हुए श्री नीम करोली बाबाजी महाराज कहते थे –
” दुनियां में हूं , दुनियां का तलबगार नहीं हूं |
बाजार से निकला हूं , खरीदार नहीं हूं |”

श्री बाबा जी पूर्ण रूप से अनासक्त थे | जिस समय श्री हनुमानगढ़ी मन्दिर छोड़ा , उन्होंने कभी इसका नाम नहीं लिया | जब वे कैंची धाम से गये , उन्होंने मुड़कर भी नहीं देखा |श्री बाबाजी कहते थे,”जब हमने छोड़ दिया तो छोड़ ही दिया | मन्दिर तो केवल पत्थरों का ढेर है , मोह तुम्हें पीछे खींच लाता है | हमें कुछ नहीं चहिए , हम केवल दूसरों की सेवा के लिये जीते है |”

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -121

बाबा जी लीलाधारी थे कभी वे भार बड़ा लेते, कभी शरीर को फूल से भी हल्का कर लेते | अष्ट सिद्धि नव निधि के मालिक हैं वो | श्री नीम करोली बाबाजी की इच्छा शक्ति इतनी प्रबल थी की एक बार जिस किसी पर उनकी कृपा करने की इच्छा हो गई तो गली मे पड़े कंकड को भी हीरा बना देते हैं मेरे श्री नीम करोली बाबा जी | सात तालों में बन्द कर दो तो वे ग़ायब हो जाते थे | एक बार ऐसा होने पर कि आप तो अन्दर थे बाहर ताला पड़ा था , भक्त बाहर दर्शनों को बैचेन थे | कहां गायब हो गये आप तो इस पर श्री बाबा जी का उत्तर था-
” मसक समान रूम कपि धरहि ”

किसी रूप को बदल लेना श्री बाबा जी की लीला थी जो चलती रहती थी | एक समय मे ही अलग-अलग जगह पर कितने लोगो से मिल लेते थे श्री बाबाजी |जिससे मिलने का मन ना हो तो सामने-सामने ही स्वयं को गायब कर लेते , एक ऐसा सागर जिसकी गहराई तो है मगर उस गहराई का अन्त नहीं |
कोटि -कोटि प्रणाम मेरे श्री बाबा जी के श्री चरणों में |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -122

गुफा गायब हो गयी ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

एक भक्त जो कि इलाहाबाद के रहने वाले थे वे बताते हैं कि वे ४० वर्ष पहले श्री नीम करोली बाबा जी से मिले थे | एक रात वो भक्त कहीं जा रहे थे कि अचानक रास्ता भटक गये | अंधेरे में उन भक्त को एक गुफा दिखाई दी जहां पर प्रकाश फैला हुआ था | जब वह भक्त गुफा के समीप गये तो उन्होंने देखा कि उसमे श्री नीम करोली बाबाजी महाराज उसमें बैठे हुए हैं |श्री नीम करोली बाबाजी महाराज ने उन्हे भोजन कराया और कहा ,” तू रास्ता भटक गया है , तूझे इस तरफ को जाना है | श्री नीम करोली बाबाजी महाराज के कहे अनुसार करीब पद्रंह कदम चलने के बाद ही उस भक्त को वह गांव दिखाई दे गया , सिर्फ पद्रंह कदम , लेकिन जब उसने पीछे मुड़ कर देखा तो न ही वहां गुफा थी और न ही श्री महाराजजी, और न ही आसपास की जमीन , जैसे वहां कुछ था ही नही | सब श्री बाबाजी की लीला |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -123

बाबा सहित भक्तों का अदृश्य होना ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

श्री महाराजजी हल्द्वानी स्थित श्री लटूरी बाबा जी के आश्रम में विराजमान थे | वहां उनके भक्तों की भीड़ एकत्रित थी | जब श्री नीम करोली बाबा जी वहां से चलने को हुए तो भीड़ पीछे लग गई | श्री बाबा जी ऐसा नहीं चाहते थे | उन्होंने भक्तों से कहा ,” तुम सब लोग यहीं रूको , हम एक भक्त के घर होकर आते हैं |” फिर श्री बाबा जी ने पूरन दा को साथ लिया और रिक्शे से हल्द्वानी से उल्टी दिशा की और चल दिये | भक्तगण इसी इंतजार में वहीं रूक गये कि लौटते हुए श्री बाबा जी के दर्शन होंगे |श्री महाराजजी रिक्शे से कुछ दूर जाकर पुनः लौट पड़े हल्द्वानी की ओर | श्री लटूरी बाबा जी के आश्रम के सामने प्रतीक्षारत भीड़ को देख कर श्री नीम करोली बाबा जी हंसे लेकिन न तो लोगों ने श्री नीम करोली बाबा जी को देखा , न पूरन दा को ,न रिक्शा और न ही उसके चालक को | भीड़ खड़ी रह गयी और श्री नीम करोली बाबा जी स्वयं तो अदृश्य हुए ही , सभी को अदृश्य कर दिया |

 

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