श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 116 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 117,118,119 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -117
ऐसा माना जाता है कि आपके गुरू ( श्री नीम करौली बाबा जी) आपको देश और काल की परिधि के बाहर ले कर जाते हैं और सदा के लिये आपको अपने आप से आपको जोड़ कर छोड़ देते हैं | तुम्हारे अपने और गुरू के संबंधों में देश और काल की गणना का कोई मतलब नहीं होता | भौतिक तथ्य की दृष्टि से तो हमारे गुरूदेव यानि श्री बाबा जी को गये ४४ वर्ष हो गये परन्तु हम उनसे अलग है , ऐसा तो हम महसूस नहीं करते |हम जब भी उनके बारे में बात करते है कि बिना किसी व्यवधान के य बाधा के वे तो यहीं है |
बाइबिल में श्री ईसा मसीह भगवानजी ने कहा है :
” वे सभी लोग अत्यन्त ही भाग्यवान हैं जो मुझे देख पाये हैं और जो मुझ पर विश्वास करते हैं…. पर उनसे भी कहीं ज्यादा अधिक सौभाग्यशाली वे हैं जिन्होंने मुझे नहीं देखा है और फिर भी मुझ पर विश्वास करते हैं |”
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -118
कम्बल रूपी इंजेक्शन ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक बार की बात है १९९२ में अगस्त माह में श्री सिक्का जी अपनी पत्नी तथा सास के साथ पदमपुरी के दर्शन करने के लिए जा रहे थे | रास्ते में श्री सिक्का जी के सीने में बहुत जोर का दर्द उठा | पत्नी ने वापस घर चलने की सलाह दी पर श्री सिक्का जी बोले, ” घर से चले है तो श्री पदमपुरी के दर्शन कर के ही लौटेंगे |” परन्तु धीरे -धीरे दर्द बढ़ता गया और सांस लेने में भी परेशानी होने लगी , किसी तरह वे घर वापिस पहुंचे |उन्होंने श्री सिद्धि मां-श्री नीम करोली बाबाजी का स्मरण किया और पलंग पर लेटते ही वे अचेत हो गये |१५ अगस्त था उस दिन कोई डाक्टर भी नहीं मिल रहा था तब तक श्री सिक्का जी की नब्ज़ भी लापता होने लगी थी – शरीर शीतल हो चला था – पसीना बह रहा था |
पड़ोसी की मदद से किसी तरह एक डाक्टर मिला |इन्हें खतरे में बताकर अस्पताल ले जाने की सलाह दी तभी एकाएक श्रीमती सिक्का को श्री महाराज जी के उस कम्बल की याद आई जिसको उन्हें आशीर्वाद स्वरूप देते समय श्री सिद्धि मां ने कहा था ,” जब कोई गहरी दुःख- पीड़ा हो तो ये कम्बल ओढ़ा देना बीमार को |”याद आते ही उन्होंने वे कम्बल श्री सिक्का जी के ऊपर डाल दिया |
पड़ोसी की गाड़ी में सिक्का जी को अस्पताल ले जाया गया | डाक्टर इंजेक्शन लेने अंदर गया परन्तु तब तक तो विश्वास रूपी कम्बल का इंजेक्शन लग चुका था |
डाक्टर इंजेक्शन लेने अंदर गया और श्री सिक्का जी का दर्द गायब और वे पूरे होश में | शीघ्र ही स्वास्थय लाभ भी हो गया | श्री सिक्का जी अपने वर्तमान शरीर को अब श्री बाबा महाराज जी द्वारा प्रदत शरीर ही मानते हैं – पुनर्जन्म का |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -119
इसमें सर्प है ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
1973 , जून माह 16 तारीख़ , कैंची आश्रम में बाबा जी भक्तों को कुछ लिफाफे से बांट रहे थे | मैंने सोचा कि इसमें श्री बाबा जी की फोटो – छवियां होंगी | तभी श्री बाबा जी ने मेरे छोटे पुत्र तप्पन को भी एक लिफ़ाफ़ा दे दिया और उसने तत्काल ही वे खोल कर देख लिया | तभी श्री नीम करोली बाबा जी ने उससे कहा ,” अपने बाप को मत बताना कि इसमें क्या है, बोल , बतायेगा ?” तप्पन ने उत्तर दिया ,” हां बताऊंगा | श्री नीम करोली बाबाजी ने बोला ” कैसा लड़का है ? हम कह रहे हैं मत बताना और यह कहता है कि बताऊंगा |” श्री बाबाजी ने फिर बोला बोल बतायेगा ?” , तप्पन ने फिर यही उत्तर दिया कि हां बताऊंगा |” अब तो वहां एकत्रित सभी लोग तप्पन का मुंह देखने लगे , कि यह तो बड़ा ही ढीठ लड़का है | इधर वह भक्त सोच रहे थे कि अगर तप्पन मुझे इस फोटो के बारे में बता भी देगा तो इसमें क्या बुराई है परन्तु तभी श्री नीम करोली बाबा जी पुनः अधिक तेज आवाज में तप्पन से बोले ,” मत बताना | इसमें सर्प है ! बतायेगा ?”
वे फिर बोल उठा हां बताऊंगा |” श्री नीम करोली बाबाजी बहुत प्रसन्न हो बोले ,” अपने बाप से कुछ नहीं छिपायेगा |” तब तक उन भक्त की जिज्ञासा जाग उठी कि ,आख़िर क्या है उस लिफाफे में ? श्री नीम करोली बाबा जी की आज्ञा हुई ,” अब जाओ |” बाहर आकर उस लड़के से भक्त जी ने कहा ,” दिखा तो क्या है ?” तप्पन ने लिफाफा उनकी तरफ बढ़ा दिया | लिफाफे के भीतर 51 सर्प थे ( 51 रूपये )|
( आज यही सर्प सारे जगत को डसे है– मुकुन्दा )