श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 126 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 134,135 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -134
भगवान सिंह के प्राणों की रक्षा
भगवान सिंह बचपन से ही अनाथों था | श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar ) ने उसको अपनी सेवा में लेकर उस पर अनेक उपकार किये थे | और वृन्दावन हनुमान मन्दिर का पुजारी भी बना दिया था | उस अनपढ़ के मूँ से गीता का पाठ सुनकर श्री नीम करोली बाबाजी ने उसकी प्रतिष्ठा भी बनवा दी थी | अन्त में श्री नीम करोली बाबा जी ने उसे लखनऊ के श्री संकटमोचन हनुमान मन्दिर का पुजारी बनाकर उसकी जीवन को अत्यंत सुखमय बना दिया था |
जब श्री नीम करोली बाबा जी का महाप्रयाण हुआ तो वे अपने को अनाथ समझने लगा | वह अत्यंत दुःखी हो गया क्योंकि उसके माता पिता भगवान सब श्री नीम करोली बाबा जी थे | जब से श्री नीम करोली बाबा जी का अस्थि कलश वहाँ पहुँचाया गया | वो भी अपना जीवन समाप्त करने की सोचने लगा | उसने अगले दिन श्री हनुमान सेतु से गोमती में कूदकर अपने प्राण देने का निश्चय कर लिया था | परन्तु अन्तर्यामी करूणामयी श्री नीम करोली बाबा जी से ये सब कहाँ छिप सकता था | अत: दूसरे दिन सुबह ही एक लम्बे बदन और गेरूआ वस्त्र डाले एक साधू ने मन्दिर में प्रविष्ट किया | उन्होंने भगवान सिंह को बाबा की दी हुई कण्ठमाला की और संकेत करते हुए कहा कि ” ये माला तुम्हें कहाँ से मिली ?” उसने श्री नीम करोली बाबाजी का नाम बताया | फिर अपने अस्थि कलश को इंगित करते हुए पूछा कि ,” इसमें क्या है ?”
वो बताने लग़ा कि “श्री नीम करोली बाबा की अस्थियाँ हैं |” वे तुरंत बोल उठे,” झूठ , बिल्कुल झूठ | हम बाबा नीब करौरी को अच्छी तरह जानते हैं | हम सीधे अमरकण्टक से आ रहे हैं | हमें श्री नीम करोली बाबा जी वहाँ टाट लपेटे हुए दिखाई दिये | “हमने उनसे पूछा ,” महाराज, आपने अपना कम्बल कहाँँ छोड़ा ?” वे बोले, ” हम उसे कैंची में छोड़ आये | अब हम एकान्त में भजन करना चाहते है |”भगवान सिंह जानता था कि श्री नीम करोली बाबा जी सर्वशक्तिमान हैं , पर अस्थि कलश के बाद श्री बाबा जी कैसे जीवित हो सकते हैं | वे साधू फिर श्री नीम करोली बाबा जी के लहजे में बोला ,” हम नहाना चाहते हैं | हमारे लिये साबुन और पानी रख दो |” जब उसने साबुन पानी रखा को बाबा बोले ,” साधू साबुन नहीं लगाते |” उस साधू के हाव-भाव , बातें सब उसे बाबा की तरह लग रही थी | उसने देखा कि नहाते हुए भी वे साधू बच्चों की तरह हरकत कर रहे हैं जिस तरह श्री नीम करोली बाबाजी करके थे | सब हरकतें श्री बाबा जी की तरह देखकर वे भ्रमित हो रहा था | भोजन करने के बाद साधू जाने लगा तो भगवान सिंह ने पूछा ,” आप कहाँ ठहरे हैं ? आप के दर्शन कब हो सकते हैं ?” साधू बोला ,” हम पास में अमीनाबाद के श्री हनुमान मन्दिर में रहते हैं | वहाँ का पुजारी हमारी बड़ी सेवा करता है | तुम कभी भी हमसे मिल सकते हो |
“उसी दिन दोपहर बाद अपनी शंका मिटाने हेतु भगवान सिंह अमीनाबाद के श्री हनुमान मन्दिर पहुंचे | उसे वहाँ कोई साधू दिखाई नहीं दिया | पूजारी से पूछने पर पता चला कि यहाँ कोई साधू नहीं रहते | तब भगवान सिंह को एहसास हुआ कि श्री नीम करोली बाबा जी स्वंय उसके पास साधू वेश में आये और वे स्वयं उसके जीवन समाप्त करने के संकल्प को समाप्त करवाने आये थे |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -135
ठीक हो जायेगा
एक बार की बात है कि एक औरत जो की गर्भवती थी , सभी डॉक्टरों ने उसको बोल दिया था कि उनकी हालत अत्यंत चिन्ताजनक है और ये गर्भधारण उनके लिये और उनके बच्चे दोनों की जान के लिये ख़तरनाक है | तब वे श्री महाराजजी के दर्शन करने गईं , परेशान , घबराई सी श्री नीम करोली बाबा जी ने उसे देखा और बोल उठे,” ठीक हो जायेगा |” और फिर क्या था सब कुछ ठीक-ठाक से हो गया | नार्मल डिलवरी से माँ और बच्चा दोनो स्वस्थ थे | प्रभु ने जो कह दिया तो सब चिकित्सकों की भविष्यवाणी ग़लत साबित हुई |