Shree Siddhi Maa Ke Chamatkar Ki Kathayen || श्री सिद्धि मां के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या -1,2

श्री सिद्धि माताजी श्री नीम करोली बाबाजी के परम् भक्तों में से एक थीं | श्री सिद्धि मां के चमत्कार (Shree Siddhi Maa Ke Chamatkar) की अनेक कथाएं हैं | उन्हें श्री दुर्गा माताजी के छठें स्वरुप श्री कात्यायनी माताजी के अवतार के रुप में जाना जाता है | श्री नीम करोली बाबाजी के मानव देह लीला समाप्त करने के पश्चात श्री सिद्धि माताजी ने ही उनका संपूर्ण कार्यभार संभाला था तथा धर्म के कार्य को आगे बढ़ाया था | श्री नीम करोली बाबाजी के मानव देह लीला समाप्त करने के पश्चात भक्त आश्रम आते तो श्री सिद्धि मां कहतीं की श्री बाबाजी से प्रार्थना करो वे सब -कुछ ठीक कर देंगे | आज के इस अंक में हम श्री सिद्धि मां के चमत्कार ( Shree Siddhi Maa Ke Chamatkar ) के बारे मे जानेंगे | कथा संख्या 1,2 इस प्रकार हैं –

श्री श्री सिद्धि मां के चमत्कार की कथाएं ( Shree Siddhi Maa Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -1

आज हम श्री सिद्धि मां महाराज जी के बारे मे कुछ शब्द कहेंगे , जिन पर श्री नीम करोली बाबा जी का पूर्ण आशीर्वाद है । भक्तों के कहने पर कि श्री मां महाराज के बारे मे जानने के जिज्ञासु हैं।

श्री ओम प्रकाश सिक्का जी बताते है कि मेरी रीढ़ की हड्डी में एकाएक भीषण दर्द उठा । मैं ठीक से न खड़ा हो पाता था, न बैठ पाता था । अनेक डाक्टरों ने उपचार किया , अस्पताल भी रहा लेकिन कुछ सही नहीं हुआ । ऐक्सरे में स्लीप डिस्क थी । दिल्ली के डाक्टरों ने आपरेशन बताया । तब मेरी पत्नी ने श्री सिद्धि मां का आशीर्वाद लेने के लिए कहा । इसलिए हम कैंची गये । श्री सिद्धि माता जी को सब कुछ बताया । सुनकर श्री सिद्धि माताजी ने तत्काल कहा , “कुछ नहीं हुआ। आपरेशन की कोई ज़रूरत नहीं है – ऐसे ही ठीक हो जायेगा ।”” ( अपनी शक्ति पर पर्दा डालते हुए ) आश्रम की एक वृद्ध माता को बुलाकर कहा – इसके कमर में दर्द है ठीक कर दो ।”और उन माता जी ने दराती लाकर कुछ मंत्र पड़कर मेरी कमर पर घुमा घुमा कर दर्द कम कर दिया । मैं हैरान । और दूसरे दिन दर्द गायब हो गया ।मैं बिल्कुल ठीक हो गया ।

आज भी सोचता हूं क्या डाक्टर विशेषज्ञ एंव अल्ट्रासाउण्ड द्वारा किया गया निदान गलत था ? या फिर श्री मां के अमोघ वचनों का कमाल था कि -” कुछ नहीं हुआ – ऐसे ही ठीक हो जायेगा । ”

श्री श्री सिद्धि मां के चमत्कार की कथाएं ( Shree Siddhi Maa Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -2

आगरा से श्रीमती संध्या गुप्ता बताती है , उनके एक पारिवारिक मित्र , अक्सर हमारे साथ कैची और वृन्दावन दर्शन करने आते थे । उनकी 16 साल की कन्या को एक विचित्र बिमारी ने घेर लिया । उनके डिंबाशय में दो गांठें उभर आई थी । जिसके कारण उदर भीषण पीड़ा होती थी । आपरेशन के अलावा कोई चारा नहीं था । परन्तु इसके बाद कन्या के मातृत्व प्राप्ति की संभावनाएं बहुत कम थी । पूरा परिवार दुखी था । उन्होंने सिर्फ़ मुझे ये बात बताई । तब मैंने उनसे कहा मैं तो कल ही वृन्दावन मां सिद्धि के दर्शन कर के आई हूं , पहले बताते तो बात करती मां से । ” उन्होंने कहा ,” मुझे भी मां के पास ले चलो । ”

हम दुसरे दिन मां के पास वृन्दावन पहुंच गये । वे मां के आगे ख़ूब रोई और सब बताया , लड़की भी साथ थी । मां ने लड़की से कहा,” रोओ मत, सब ठीक हो जायेगा । , घबराना मत । रोज़ खूब हनुमान चालीसा का पाठ किया करो । जाओ ।” मां बेटी आश्वस्त , कुछ शंकित हो आगरा वापिस आ गई ।अगले सप्ताह लड़की का आपरेशन होना था । उससे पहले अल्ट्रासाउण्ड कराया गया , न तो कोई गाँठ मिली , न ही कोई ख़राबी । लड़की पूर्णतया ठीक थी ।

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