श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 64 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 65,66,67,68 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -65
लड़का कैसे बच गया ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री रब्बू जोशी जी बताते हैं कि एक बार श्री नीम करोली बाबा जी के साथ वे ( रब्बू जोशी ) कानपुर जा रहे थे । महाराजजी ड्राईवर के साथ आगे की सीट पर बैठे हुए थे । श्री नीम करोली बाबा जी लगातार ड्राईवर से बातें कर रहे थे। आगे उन्होंने बताया कि जब हम वापस लौट रहे थे तब मूसलाधार पानी बरसने लगा । ड्राईवर क़रीब ८० किलोमीटर की रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था । जब हम एक छोटे से शहर के बीच से गुजर रहे थे उसी समय एक 17-18 साल का लड़का बिलकुल सामने सड़क पर आ गया इससे पहले कि गाड़ी पूरी तेजी के के साथ उस लड़के से जाकर टकराती श्री नीम करोली बाबा जी ने ” श्री राम ” ” श्री राम” का उच्चारण किया । गाड़ी लड़के के शरीर से पूरी तरह टकरायी और वह गिर पड़ा । ड्राईवर ने जोर से ब्रेक मारा और स्टीरियन्ग व्हील पर अपना मुंह छिपा लिया । उधर वो लड़का उठा और भाग गया , ये सोच कर कि कहीं ये लोग डांटे ना । बाबा जी ने बड़े मासूमियत के साथ ड्राईवर से पूछा कि ,” ये लड़का बच कैसे गया ?” ड्राईवर बाबा के दैवीय स्वरूप से परिचित था वो मुस्कुरा भर दिया।
जब संकटमोचन , बचाने वाले महाप्रभु स्वंय गाड़ी में बैठे थे , तो भला उस लड़के को क्या हो सकता है था ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -66
सत्य वचन ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
महाराजजी के कहे हर वाक्य की सत्यता सिद्ध होती है । कानपुर के एक परिवार के पुत्र सेना में थे । चीन के विरुद्ध जंग लड़ते हुए उनके शहीद होने की सूचना आ गई । बड़ा भाई परेशानी की अवस्था में महाराज जी के पास पहुंचा और उन्हें सब बताया । बाबा एकदम से बोले ,” नहीं वे नहीं मरा , वे जीवित है ।” किसी ने महाराजजी की बात पर विश्वास नहीं किया । उस शहीद की पत्नी ने भी छ: महीने में दुसरा विवाह कर लिया । लेकिन कुछ समय पश्चात् ही वे लड़का लौट आया और बाबा के वचन सत्य हुए ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -67
दूध और नगों मे परिणति( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक बार बाबा अपने भक्तों के साथ गंगोत्री की और जा रहे थे । मार्ग में भागीरथी के पास बैठ गये बाबा और हब्बा जी से बोले ,” सतयुग में यह दूध की गंगा थी |”
हब्बा जी बोले,” सरकार अब भी है |”बाबा जी बोले,” तुझे दूध की दिखाई दे रही है ?”हब्बा जी श्री नीम करोली बाबाजी से बोले, ” प्रभु आपके पास से दूध की दिखाई दे रही है | “बाबा जी ने हब्बा जी से एक लोटा गंगा जल और और एक मुठ्ठी मिट्टी भर रेत ले आने को कहा |
हब्बा जी एक लोटा गंगा जल और मुठ्ठी भर रेत ले आये |
जब बाबा जी के पास आकर उन्होंने अपनी रेत भरी मुठ्ठी खोली को समस्त रेत के कण कीमती नगों में बदल गये | महाराजजी ने उन नगों को सभी लोगों में बांट देने को कहा परन्तु श्री हब्बा जी ने ये बात स्वीकार नहीं की | उनकी दृष्टि में बाबा जी के आगे नगों का कोई मोल नही | श्री नीम करोली बाबा जी की आज्ञा लेकर उन नगों को श्री हब्बा जी ने श्री गंगा माता जी में ही प्रवाहित कर दिया |वाह मेरे प्रभु , आपकी लीला अपरंपार है | आप कभी श्री गंगाजल दूध में परिवर्तित कर देते हैं और कभी रेत के कण को नगों में परिवर्तित कर देते हैं न जाने कब- कब, क्या-क्या बदल डालते है आप प्रभु | कभी-कभी तो भाग्यहीनों को अत्यन्त भाग्यशाली बना कर उनका पूरा नसीब ही बदल डालते है आप |
जय हो मेरे बाबा जी की | श्री नीम करोली बाबाजी को कोटि-कोटि प्रणाम |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -68
एक बार की बात है रात में घनघोर अंधेरा छाया हुआ था | सभी लोग अत्यन्त गहरी नींद में थे | श्री नीम करोली बाबा जी ने सभी भक्तों को जगा दिया | बोले उपर सड़क पर लगभग आधा मिल दूर एक जीप खराब हो गयी है |आप लोग वहां यात्रियों को चाय दे आये | बाबा के जल्दी जाने के आदेश से भक्त लोगों ने तुरंत चाय बनाई और दौड़ते हुए गये | किसी तरह उबड़ -खाबड़ रास्ता तय करके वे जीप तक पहुंचे और देखा कि जीप अटकी हुई है और उसमें चार महिलायें और एक आदमी ठण्ड से सिकुड़ रहे थे |बाबा ने पुनः चाय बनवाई और कुछ भक्तों को जीप तक देकर भेजा | कि पहले वाली चाय ठण्डी हो गयी होगी | अन्त में भक्तगण जब जीप में फंसे लोगों को साथ लेकर आश्रम आये तो बाबा बोले ,” हम ३० साल पहले इन महिलाओं के घर जाया करते थे । उन्होंने हमें एक कम्बल दिया और हमारी बड़ी सेवा की |” फिर उन्होंने उन महिलाओं को कम्बल दिलवाये और सुबह होने पर आश्रम से विदा हुईं |