Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 69,70,71,72

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 68 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 69,70,71,72 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -69

घटना अकबरपुर ग्राम की है । जहां चौपाल पर बैठे बैठे बाबा जी ने जान लिया कि फ़िरोज़ाबाद का एक मुसलमान डाक्टर बाबा जी की अलौकिक शक्ति की कथाएं सुनकर अपने अर्ध-विकसित मस्तिष्क वाले गूंगे लड़के को लेकर बाबा को खोजते खोजते वही को आ रहा है बड़ी आशाएं लेकर – उपचार हेतू । अकबरपुर वाले से अपने को छिपाये हुए बाबा जी ने तुरंत ही अपने एक विश्वसनीय आदमी को भेजकर उस डाक्टर से मार्ग ने ही कहलवा भेजा ,” जा तेरा लड़का ठीक हो जायेगा ।”और वे लड़का श्री नीम करोली बाबाजी के कहते ही ठीक होना शुरू हो गया ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -70

कहा जाता है कि श्री हनुमान भगवानजी श्री सूर्य भगवानजी से बालहठ कर अपने बाल्यकाल में ही समस्त विधाएं सीख कर ली थीं और ग्यानिनामग्रण्यम बन गये | युग पुरूष एकादशरूद्रावतार श्री बाबा जी महाराज ने स्वंय भी ग्यानिनामग्रण्यम बन जाने में ऐसी विधाये कहा से कैसे प्राप्त की , पता नहीं | किसी भक्त ने जब अपने को श्री नीम करोली बाबा जी का चेला बनाने को कहा तो महाराजजी बोले, ” मैई काऊ कौ चेला नाऊ , तोय कैसे बनाय लेऊ |” परन्तु वे साथ में पूर्णानंद जी से स्वंय बाबा जी बोले थे ,” पूरन सत्रह वर्ष की उम्र में ही हमें कुछ करने को बाक़ी नहीं रह गया था |” ( त्रिगुणात्मक तत्वों से संभूत काया का परिष्करण हो  चुका था )

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -71

मार-मार कर भगा दिया ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

बनारस के श्री शंकर प्रसाद व्यास जी श्री कैंची आश्रम में रहने के लिए आये थे | एक दिन वह श्री नीम कारोली बाबाजी से बोले कि उनका नैनीताल घूमने का मन है , श्री महाराजजी ने आश्रम की जीप मे श्री रामानन्द जी को उन्हे घुमाने के लिए कहा |वहां पहुचने पर आप जीप से उतरकर चले गये | आपको घूमते हुऐ काफी समय हो गया | जब उनको श्री रामानन्द जी की याद आयी तो आप वापिस आऐ |लेकिन श्री रामानन्द इंतजार कर के जा चुके थे |
उनको वहां एक और कार खड़ी दिखी जोकि एक फौजी अफसर की थी | वह अफसर भी श्री नीम करोली बाबा जी के दर्शन करने आश्रम जा रहा था |श्री व्यास जी ने उस अफसर से साथ ले जाने की प्रार्थना की , लेकिन फौजी अफसर ने मना कर दिया |श्री व्यास जी को बहुत गुस्सा आया | वह मन ही मन कहने लगे कि श्री बाबाजी ने भी ना जाने कैसे भक्त बना रखे है, मैं श्री बाबाजी होता तो ऐसे भक्तों को मार मार के आश्रम से बाहर निकाल देता ! अचानक ही बस आ गई और वह उस में बैठ कर आश्रम आ गये | उन्होने आकर देखा कि वह फौजी अफसर दर्शन के लिऐ श्री बाबाजी की कुटिया के बाहर खडा है , जब वह अन्दर पहुंचा तो श्री बाबाजी एकाएक रूद्र रूप हो गऐ , और उन्होनें फौजी पर मुष्टि प्रहार करना आरम्भ कर दिया | श्री बाबा जी गेंद की तरह उसको मारते उछालते बाहर ले आऐ | अन्त में उस अफसर से बोले कि यहां मत आना | वहां उपस्थित सभी लोग घबरा गये |कुछ देर बाद आप श्री बाबाजी के पास गये तो बाबा शान्त थे |आपसे श्री बाबाजी बोले ” तुझे फौजी अपनी गाडी में नही लाया था? तुने क्या कही ? बताता क्यो नही ? व्यास जी चुप रहे , श्री बाबाजी  स्वयं कहने लगे ” तू कह रहा था श्री बाबाजी ने कैसे भक्त पाल रखे हैं | यदि मैं श्री बाबाजी होता तो ऐसे भक्तों को मार-मार कर भगा देता | कह रहा था रि नही.? बता | “श्री महाराजजी बोले इसलिए हमनें उसे मार -मार कर भगा दिया | अब वह यहां नही आयेगा|”

यह थी हमारे श्री बाबा जी की लीला | किसी की भी मन स्थिति को पढ़ लेते थे श्री बाबाजी |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -72

एक बार एक भक्त ने बाबा से शिकायत की कि आप ने वायदा किया था मेरे घर आने का पर आप आये नही | बाबा बोले ,” हम तो आये थे | अच्छा वे तेरा घर था | हमने उसे अपना घर समझा | ” सम्पूर्ण वसुधा श्री नीम करोली बाबाजी के लिये कुटुम्ब रही | अपने भक्तों के घरों को महाराजजी अपना घर समझते थे |और अप्रत्यक्ष रूप से वहां वास करते थे |

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