श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 113 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 114,115,116 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -114
श्री नीम करौली बाबा यानि संजीवनी ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
५ सितम्बर बाबा का निर्वाण दिवस । हम वहां वृन्दावन श्री बाबाजी के अन्नय भक्त श्री राकेश गुप्ता जी , मुरादाबाद से मिले । उन्होंने अपना अनुभव यहां आप लोगों से शेयर करने को कहा ।
एक भक्त श्री राकेश गुप्ता जी बताते हैं कि उनके बड़े भाई पिछले साल अचानक ही बहुत तकलीफ मे आ गये , उनके सीने में बहुत जोरों का दर्द उठा | पूरे परिवार वाले श्री राकेश गुप्ता जी के भाई को अस्पताल ले गये , पूरा परिवार चिन्ता ग्रसित था |डाक्टर ईलाज करने में जुट गये | कुछ समय बाद डाक्टर ने उन्हें बताया कि हमने पूरी कोशिश कर ली लेकिन आपके भाई का बचना मुश्किल है | ये उनका अन्तिम समय है | हमने अपनी पूरी कोशिश कर ली |तभी मैं आई . सी. यू में गया और अपने श्री नीम करोली बाबा जी का लाकेट अपने गले से उतार कर अपने बड़े भईया के गले मे डाल दिया और श्री नीम करोली बाबा जी से प्रार्थना करने लगा , बस एक विश्वास था अपने श्री बाबा जी पर कि वो कभी किसी को निराश नहीं करते , और अपनी भाभी से भी कह दिया कि भाई को कुछ नहीं होगा , श्री बाबा जी सब ठीक करेंगे | अचानक कुछ ही समय पश्चात डाक्टर आये और बोले कि आपके भाई की स्थिति मे सुधार आने लगा है | और कुछ ही समय पश्चात वे होश मे आ गये और धीरे धीरे स्वास्थय लाभ होने लगा और वे ठीक हो गये | डाक्टर भी हैरान थे | हम सब जानते हैं कि ये तो श्री बाबा जी की अमूल्य कृपा है | जो उन भक्त पर बरसी |
सत्य है ये कि श्री बाबा जी का नाम ही अमूल्य निधि है जो लेने भर से सब संकट समाप्त हो जाते हैं और रोगी के लिये तो ये नाम ( श्री नीम करौली बाबा जी ) संजीवनी है जिसके लेते ही श्री बाबा जी भक्त की सहायता करने उपस्थित हो जाते हैं |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -115
कृपा करने का अपना ढंग ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक बार की बात है श्री बिहारी जी के मन्दिर के बाहर एक भिखारी माला फेर रहा था | सारा दिन हो गया उसे कुछ प्राप्त न हुआ, वे बहुत दुखी था | मन की जानने वाले श्री नीम करोली बाबाजी की दृष्टि जब उस पर पड़ी तो वे तुरन्त उसके बगल मे जा बैठे | वे भिखारी बड़बड़ाने लगा कि पहले ही सुबह से कुछ नहीं मिला और ये भी हिस्सा बांटने आ गया |श्री बाबा जी ने झटके से उसकी माला छीन ली और स्वंय उससे जाप करने लगे | उसे श्री बाबा जी पर बहुत गुस्सा आया, पर श्री बाबाजी शान्ति से उसकी माला जपते रहे | थोड़ी देर में उसकी माला सिद्ध कर के उन्होंने उसे लौटा दी और आप उठ कर चले गये | अब वे भाव, कुभाव कैसे ही क्यूँ न माला फेरे उसके दारिद्रय ने मिट ही जाना था |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -116
बाबा जी कहीं नहीं गये ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री हेमदा की पत्नी श्रीमती हरिप्रिया जोशी अपना ही दृढ़ विश्वास लिये कि ” श्री नीम करोली बाबा जी कहीं नहीं गये है , शरीर लीला एक बहकावा है उनका -‘ आश्रमों में श्री सिद्धि मां – श्री नीम करोली बाबाजी तथा भक्तों की सेवा में लगीं रहीं | ‘ उनके लिये श्री महाराजजी ने स्वंय भी कहा था कि,” यह तो सहस्त्रों वर्ष से मेरे साथ है , ये श्री हनुमान भगवानजी की चौकीदार है |” और श्री सिद्धि मां से भी कहा था ,” यह तुझे चाय पिलायेगी |”श्री महाराज जी की वाणी थी , सत्य तो होनी ही थी |
जब श्री बाबा जी की महासमाधि का दुखद समाचार सुन श्री कैंची धाम आश्रम खाली हो गया | सब वृन्दावन को भाग चले तो केवल श्री हरिप्रिया जोशी जी ही जो श्री कैंची धाम आश्रम के श्री हनुमान भगवानजी के मन्दिर और अन्य मंदिरों की चौकीदारी करती रहीं अकेले ,जबकि श्री बाबा जी की महासमाधि के कारण सारा वातावरण भयावह हो गया था | वाकई वे उस समय श्री हनुमान भगवानजी की चौकीदार थीं |