श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 72 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 73,74,75,76,77 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -73
पूरन दा बाबा के बहुत भक्त थे । उनके पिताजी की मृत्यु हो गयी थी । बहुत दुःखी थे पूरनदा । तब बाबा जी ने पूरनदा को दर्शन दिये तो कहा था ,” पूरन तेरा बुड्ढा मुझमें समा गया – वे ऐसा आठवां व्यक्ति है जो मुझमें समा गया । अब मैं ही तेरा बाप हूं।” धन्य हो गये श्री पूरन जी जिनका संपूर्ण भार पिता बन कर स्वयं श्री नीम कारोली बाबा जी ने उठा लिया था ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -74
श्री सुशीतल बनर्जी जी बताते हैं कि मेरे पिताजी श्री नीम करोली बाबा जी के अनन्य भक्त थे । एक समय की बात है श्री नीम करोली बाबा जी हमारे घर नैनीताल पधारे । एकाएक महाराजजी सिसकियां लेने लगे और कम्बल में मुंह छिपा लिया । काफ़ी देर रोने के बाद वे उठ खड़े हुए और जाने लगे , पिताजी के कहने पर भी रूके नही । मैं भी उनके साथ हो लिया । बाबा पैदल ही चल पड़े । सीधे सेनेटोरियम पहुंच कर बड़ी तेज़ी से एक कमरे की और बड़ गये । मैंने वहां देखा कि एक बिमार आदमी अपनी अन्तिम सांसे गिन रहा है । बाबा जी को देखते ही वे प्रसन्न हो बोला ,” महाराज मैं बड़ी देर से आपको याद कर रहा था दर्शनों के लिये । आप आ गये ।” इतना कहते ही उसने बाबा के समक्ष प्राण त्याग दिये ।
उक्त भक्त की पुकार में बाबा जी के दर्शनों हेतु जो आर्तता थी , उसने बाबा जी को हिला दिया । बाबा जी के इस दया-मूर्ति के दर्शन कर मेरा अन्तर भर आया । जिस तरह बाबा को भक्त के लिये रोते देखा तो उनका करूणा मय रूप ने मेरी आँखें नम कर दी कि अपने भक्तों के लिये इतनी दया और प्रेम , ऐसे बाबा मेरे गुरूदेव है ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -75
ट्रक चालक पर कृपा ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक बार श्री नीम कारोली बाबाजी लालकुंआ स्टेशन पर खड़े थे । महाराज जी कम्बल ओढ़े खड़े थे । वहीं पास में एक मुसलमान ट्रक चालक खड़ा था , उसकी दृष्टि महाराजजी पर पड़ी । वह बहुत ही कौतूहलपूर्ण नजरों से बाबाजी देखता रहा । बाबा जी उसकी और देख कर बोले,
” औरत बीमार है तेरी ? तू दुःखी है ? बरेली , आगरा सब जगह दिखा चूका है , कुछ लाभ नहीं हो रहा ? घबरा मत ठीक हो जायेगी ।” वे चुपचाप बाबा की बातें सुनता रहा और आश्चर्यचकित हो निवेदन करने लगा ,” बाबा आप को कहां जाना है ?” मैं आपको ट्रक पर छोड़ दूंगा । वे हैरान एक अंजाम बाबा ने कैसे जान लिया उसका हाल , सच में बीवी बीमार थी उसकी । पर अब श्री नीम करोली बाबा जी ने कहा वो ठीक हो जायेगी तो वो निर्णय स्वंय नारायण ने लिया ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -76
इलहाबाद चर्चलेन में श्री नीम करोली बाबा जी कई लीलायें करते रहते थे । दादा मुखर्जी का वह घर श्री नीम करोली बाबाजी उन्हे बहुत ज्यादा प्रिय था । एक बार बाबा अपने कमरे में विश्राम कर रहे थे और दादा साथ ही जुड़ी रसोई में कुछ कार्य कर रहे थे । रसोई और कमरे के बीच आंगन में उन्हें कुछ आवाज़ आई , दादा मुखर्जी ने बाहर आंगन में आकर देखा कि श्री नीम कारोली बाबा जी का शरीर अपने साधारण शरीर से कई फुट ऊंचा हो गया और वे दरवाज़े की चौखट से भी उपर जा रहा था । उनकी धोती घुटने से उपर चढ़ गई , धोती छोटी प्रतीत हो रही थी , और आधी धोती पीछे पूंछ की तरह लटक रही थी । विराट श्री हनुमत रूप में श्री नीम करोली बाबाजी देखकर दादा मुखर्जी का शरीर कम्पायमान हो गयी , वे भयभीत हो श्री नीम करोली बाबा जी के चरणों में गिर पड़े और प्रार्थना करने लगे कि श्री नीम करोली बाबा जी अपना सामान्य रूप में आये , कुछ देर में ही महाराजजी अपने रूप मे आ गये ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -77
मृत्यु भी वापिस लौट गई ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
केहर सिंह दी को आधी रात में अर्धनिन्द्रा में ही हार्टअटैक आ गया ।उसी चेतनहीनता में उन्होंने पाया कि कुछ विचित्र आकृति एवम वेशभूषा वाले लोग उन्हें पकड़कर उठाये लिये जा रहे है और तब एक विशेष तेजोमय क्षेत्र में पहुंचकर पाया कि सामने ही बाबा बैठे है ।। इन्हें देखते ही बाबा जी पहले तो बहुत प्रसन्न हुए और फिर चिल्ला उठे ,”इसे क्यों लाये ?” वे लोग बोले,” महाराज इसका समय पूरा हो गया है ।”तब बाबा जी और भी ज़ोर से बोले,” क्या होता है समय ? आगे श्री नीम करोली बाबाजी बोले केहर सिंह मेरे हुक्म से यहां आयेगा । इसे वापस ले जाओ।”और कुछ देर बाद पसीने से तर श्री केहर सिंह जी चैतनयावस्था में आने लगे । जीवनदान दे दिया श्री नीम करोली बाबा जी ने |मृत्यु के बाद वापस जीवन दे दिया क्योंकि श्री नीम करोली बाबा जी के ईच्छा के बिना मृत्यु भी नही आ सकती |