श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 42 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 43,44,45,46 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -43
अन्तिम इच्छा की पूर्ति ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक रात की बात है श्री भूमियाधार आश्रम में सभी लोग भोजन खाकर सो गये थे |श्री नीम करोली बाबा जी ने आधी रात में श्री माँ , श्री् ब्रह्मचारी बाबा जी आदि सभी लोगों को जगाया और फिर अपनी पसन्द का भोजन तैयार करने को कहा । सब ने श्री नीम करोली बाबा जी से आग्रह किया कि आप भोग पा चुके हैं और अब अर्धरात्रि को भोजन करना उचित नहीं है । श्री नीम करोली बाबाजी नाराज़ होकर बोले,” यदि तुम खाना नहीं बनाना चाहते तो मैं स्वंय जाकर खाना बनाऊंगा। ” उनके आदेश का तत्काल पालन किया गया और लगभग 2 बजे रात में बाबा जी ने बड़े चाव से भोजन किया । सब लोगों ने भी प्रसाद पाया और फिर सब सो गये । दूसरे दिन बाबा के पास सूचना आई कि उनका अमूक भक्त गत रात्रि में दो बजे इस संसार से विदा हो गया । श्री नीम करोली बाबा जी बोले , ” मरते-मरते उसकी ईच्छा विशेष प्रकार के भोजन में चली गई थी । इस कारण उसे फिर से जन्म न लेना पड़े , हमने कल रात वही भोजन कर उसे तृप्त कर दिया था ।”
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -44
झांसी के पास एक गांव में एक ग़रीब वृद्ध औरत के घर श्री नीम करोली बाबा जी अक्सर पहुंच जाते थे । उस गरीब बुढ़िया के हाथों से रोटी ज़रूर खाते थे । उसका वृद्ध औरत के पास बस एक ही लड़का था , और उसका पति नहीं था । लड़के की कमाई से मां और बेटे अपना पेट भरते थे । लड़का एक दिन काल- कवलित हो गया । परन्तु उस वृद्धा को शव उठाने वाला कोई नहीं मिला । दाह-संस्कार के भी पैसे नहीं थे । तीन दिन हो गये थे शव को आंगन में पड़े -पड़े , बुढ़िया आंसू बहाती रही और करुणामई प्रभु वहां पहुंच गये । उसके पास आते ही बोले,” माई हमारी रोटी ला ।” तब बुढ़िया सिसक- सिसक कर बोली ,” कहां से लाऊं रोटी ? कमाने वाला तो वो पड़ा आंगन में मरा हुआ ।” बाबा जी तत्काल बोल उठे ,” मरा कहां है ? ” और श्री नीम करोली बाबाजी उस लड़के के शव के पास जाकर बोले ,”उठ! उठता क्यूं नही है ? पड़ा क्यूं है ?” और वह लड़का श्री नीम करोली बाबाजी की वह अमृत वाणी कानो में पड़ते ही तुरन्त उठ बैठा । जैसे उस लडके को कुछ हुआ ही न हो ।
(हरिराम जोशी जी द्वारा केहर सिंह जी के सुनाई गई कथा )
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -45
श्री राम के रूप में ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री देवीदत जोशी , प्रधानाचार्य , बाबा के दर्शनार्थ हेतू हनूमान गढँ जाया करते थे । एक दिन प्रात: काल जब वे मन्दिर की सीढ़ियों से उपर जा रहे थे । बाबा उन सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे ।आप की दृष्टि ज्यूँ ही बाबा पर पड़ी आप चकरा गये ।आपको बाबा नहीं साक्षात धनुर्धारी राम दिखाई दिये । कुछ ही देर में ये दृश्य बदल गया और बाबा मूस्कराते हूये दिखे । इस घटना से आप अत्याधिक प्रभावित हूये और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगे , “मूझे सब पता चल गया है , आप सच में राम है । अब मैं सब को बताँऊगा ।” बाबा आपको चूर रहने का संकेत करके रहे । पर आप तो चिल्लाते रहे , मैं सब को बताँऊगा । आप में ऐसा विरक्ति और मस्ती छा गयी की आप को विक्षिप्त समझा दाने लगा और मानसिक अस्पताल में भेज दिया गया । ऐसे आलौकिक दर्शनों से आपकी आन्तरिक स्थिति अंत तक आन्नदपूर्वक रही ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -46
१९७२ में अलीगढ़ में विशम्भर जी मरणान्तक रूप से बीमार हो गये । जीवन की आशा छूट चुकी थी । डाक्टर जवाब दे चुके थे । तभी अत्यन्त हताश होकर उनके पिताजी ने अपने पोते , मुन्ना को एक पपीता देकर कहा,” बेटा अब एक ही आस रह गयी है । तुम पपीता लेकर वृन्दावन जाओ और बाबा जी से सब कह देना । उनकी जो मर्ज़ी होगी वही होगा ।” रोता हुआ मुन्ना वृन्दावन आश्रम पहुंचा तो महाराज जी वहां नही थे । वे बहुत दुःखी हो गया । पर तभी श्री बाबा जी आ गये जीप मे । आते ही मुन्ना से बोले ,” अब क्यूं रोता है , जा बच गया तेरा बाप ।”
केवल पिता की आर्त पुकार ही गजेन्द्र पुकार बन गयी विशम्बर जी को जीवनदान देने के लिये ।