Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 47,48,49,50

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 46 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 47,48,49,50 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -47

श्री बाबा जी कहीं नहीं गये ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

अपना ही दृढ विश्वास लिये कि -” बाबा जी कहीं नहीं गये है – शरीर लीला एक बहकावा है उनका -‘ हेमदा की पत्नी श्रीमती हरिप्रिया जोशी आश्रमों में श्री मां- महाराज तथा भक्तों की सेवा में पूर्ववत रत रही । उनके लिये महाराजजी ने स्वंय भी कहा था कि,”यह तो सहस्त्रों वर्ष से मेरे साथ है , ये हनुमान जी की चौकीदार है ।” और श्री माँ से भी कहा था ,” यह तुझे चाय पिलायेगी ।” ये बाबा जी की वाणी थी , सत्य तो होनी थी ।
जब बाबा जी की महासमाधि का दुखद समाचार सुन कैंची आश्रम ख़ाली हो गया – सब वृन्दावन को भाग चले तो केवल हरिप्रिया जोशी जी ही जो कैंची आश्रम के हनुमान मन्दिर और अन्य मंदिरों की चौकीदारी करती रहीं – अकेले, जबकि बाबा जी की महासमाधि के कारण सारा वातावरण भयावह हो गया था । वाकई वे उस समय हनुमान जी की चौकीदार थीं ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -48

वरद हस्त के दर्शन ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

एक बार की बात है श्री भूषण चन्द्र जोशी जी को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ा | उनको तत्काल अस्पताल में भरती किया गया | उस समय उनकी हालत बहुत नाजुक थी और उनकी नाक में तुरंत आक्सीजन की नली लगायी गयी | उनको वार्ड की तरफ ले जाया जा रहा था |आप कहते है कि आप को उस समय बाबा का वरद हस्त अपने उपर दिखाई देने लगा |आप को ऐसी अनुभूति होने लगी कि आप को आक्सीजन की आवश्यकता है ही नही |आपने नली हटा दी, डॉक्टरों के बहुत कहने पर भी उसका उपयोग नही किया | इसके पश्चात् वे शीघ्र स्वस्थ होकर अस्पताल से अपने घर पर वापस आ गये |
श्री बाबा जी का वरद हस्त कभी कभी श्री हनुमान भगवान जी के हाथ का रूप ले लेता था |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -49

एक भक्त बताते हैं एक बार श्री नीम करोली बाबाजी ने उनसे कहा कि कुम्भ के मेले में अकेले मत जाओ , नही तो खो जाओगे । भक्त बताते हैं कि तब वे महाराजजी के संग में मेले में गए। श्री नीम करोली बाबाजी का कम्बल उन भक्त ने पकड़ रखा था , ताकि वे खो न जाएं । तभी एक लम्बा , तगड़ा , प्रचण्ड सा दिखने वाला व्यक्ति बाबाजी से मिला एक बहुत ही नजदीकी परिवार वाले की तरह बाबाजी को बाहों में भर लिया ।अब दोनो ने नाचना आरम्भ कर दिया बाहों में बाहें डाले और गाने लगे ,” लिलयरी ” बार-बार यही गा रहे । 2 मिनट तक यही चलता रहा । पहली बार उन भक्त ने महाराजजी को इस तरह डांस करते देखा । वे भक्त उस व्यक्ति के पांव छूना चाहता था क्योंकि मैंने सुना था कि श्री हनुमान भगवानजी, बड़े-बड़े सन्त , कई देव रूप बदल कर इस मेले में आते हैं । पर वे नहीं छू पाया । क्योंकि अचानक ही वे व्यक्ति गायब हो गया । वो भक्त हमेशा पछताता रहा कि वे उन को छू नहीं पाया । कितने वेशों में सन्त-देव बाबा जी से मिलने आते । जिन्हें महाराजजी के सिवा कोई नहीं पहचानता था ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -50

घटना अकबरपुर ग्राम की है । जहां चौपाल पर बैठे बैठे बाबा जी ने जान लिया कि फ़िरोज़ाबाद का एक मुसलमान डाक्टर बाबा जी की अलौकिक शक्ति की कथाएं सुनकर अपने अर्ध- विकसित मस्तिष्क वाले गूंगे लड़के को लेकर बाबा को खोजते खोजते वही को आ रहा है बड़ी आशाएं लेकर – उपचार हेतू । अकबरपुर वाले से अपने को छिपाये हुए बाबा जी ने तुरंत ही अपने एक विश्वसनीय आदमी को भेजकर उस डाक्टर से मार्ग ने ही कहलवा भेजा ,” जा तेरा लड़का ठीक हो जायेगा ।””और वे लड़का बाबा के कहते ही ठीक होना शुरू हो गया ।

 

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