Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 40,41,42

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 39 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 40,41,42, इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -40

साँड़ों के रूप में सिद्ध सन्त ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

बजरंगगढ श्री हनुमान मन्दिर , घाटी के बजरी के पहाड़ पर , जो पहले शमशान भूमि होने के कारण एक हेय भूमि थी , श्री नीम करोली बाबा जी वहीं बैठ जाते और वहीं दरबार लग जाता था । श्री हनुमान चालीसा, श्री सुंदरकांड के पाठ होने लगते , वहीं संगत जमने लग जाती थी। दरबार लग जाता बाबा का । वही दिन रात धूनी जलाकर बाबा पक्के भक्तों के साथ वही रहने लगे । और फिर एक दिन कुछ भक्तों को ये कहकर चले गये,” अबकी मंगलवार को थोड़ी सी ज़मीन खोद जगह बनाकर हरदा( श्री हरिदत्त कर्नाटक ) द्वारा बनाये गये श्री हनुमान जी को बैठा देना ।” इस तरह से बजरंगगढ़ स्थापना का श्रीगणेश हो गया।
श्री हनुमान जी को बैठाने के बाद जब भोग , अर्पण , आरती होने लगी तो विकट आकार के दो बड़े बड़े सींग वाले , सांड( एक काला और एक सफ़ेद ) एकाएक वहाँ प्रगट हो गये -श्री हनुमान जी के चरणों में सिर झुकाते , उन्हें प्रणाम करते , एकाएक एक भक्त चिल्ला पड़ा जिससे एक साँड़ एकदम लोप हो गया । दूसरे को भोग की पूरियाँ खिलाई गयी । और वे भी गायब हो गया । जब बाबा जी को ये घटना सुनाई गई तो वे बोले,” तुम लोगों ने पहचाना नही । वे दो सिद्ध थे जो श्री हनुमान जी को प्रणाम करने आये थे । ”

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -41

लम्बी जटाँये , शरीर में भस्म रमाये , हाथ में चिमटा लिये श्री नीम करोली बाबा जी महाराज मैनपुरी के मोटा नामक स्टेशन पर मस्त फकीर की तरह घूम रहे थे । वहीं उन्हें एक 12-13 वर्ष का एक बालक मिल गया । उससे श्री नीम करोली बाबाजी ने पानी मांगकर पिया और उससे बोल उठे , ” तू जल्दी घर से विरक्त हो जायेगा । ”

ऐसा ही हुआ , ये बालक युवावस्था प्राप्त करते करते घर से विरक्त हो गया और कासगंज मे रामकुटी बनाकर ब्रह्मचारी रामशरण दास बन गया । वर्षों बाद जब वे बाबा जी से मिला श्री नीम करोली बाबा जी बोले,” हो गया विरक्त !विरक्त हो गया !”( इतने वर्ष बाद भी ब्रह्मचारी वेष धारण किये अपने परिकर को पकड़ लिया श्री नीम करोली बाबा जी ने – पहचान लिया श्री नीम करोली बाबा जी ने कहा कि ये वही बालक है । दिव्य दृष्टि थी महाराजजी की । अपने भक्तों के जन्म जन्मांतरो का हाल जानते थे वे ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -42

भक्त के लिये गाड़ी रोक दी ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

एक भक्त बताते हैं कि एक बार उनके छोटे चाचा जी अपने बड़े भाई के साथ काठगोदाम से लखनऊ जाने वाली गाड़ी में यात्रा कर रहे थे । उनके अगले डिब्बे में श्री नीम करोली बाबा जी विराजमान थे ।भोजीपूरा जंक्शन स्टेशन में वे श्री नीम करोली बाबा जी के पास गये और उनसे बातें करने लगे । गाड़ी छूटने का समय हो चूका था और गार्ड भी हरी रोशनी दिखाता जा रहा था , पर गाड़ी आगे नहीं बड़ रही थी । उन्होंने बाबा से गाड़ी न चलने का कारण पूछा । बाबा बोले ,” हमने अपने एक भक्त को यहाँ मिलने को कहा हैव, वह भागा चला आ रहा है ।”लगभग 5 मिनट बाद एक व्यक्ति श्री नीम करोली बाबा जी को खोजता हुआ उनके सम्मुख उपस्थित हुआ । उसने श्री नीम करोली बाबा जी के चरण स्पर्श किये और महाराजजी ने धीरे से उससे कुछ बात की और तत्काल आशीर्वाद देकर उसे विदा कर दिया, और गाड़ी चल पड़ी । सब बाबा जी की लीला ।

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