श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी ने अधर्म का नाश करने तथा आसुरी शक्तियों को खत्म करने के लिए अलग अलग समय पर अलग-अलग अवतार लिए उनमें से श्री गणेश भगवानजी के 8 अवतार प्रमुख हैं | ये आठ अवतार मनुष्य के आठ तरह के दोष दूर करते हैं | आइए जानते हैं श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी के आठ अवतारों के बारे में –
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी वक्रतुंड अवतार –
भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) ने इस रूप में राक्षस मत्सरासुर के पुत्रों को मारा था | ये राक्षस भगवान शिव का भक्त था और उसने भगवान शिव की तपस्या करके ये वरदान पा लिया था कि उसे किसी से भय नहीं रहेगा | इस राक्षस के दो पुत्र भी थे सुंदरप्रिय और विषयप्रिय ये दोनों भी बहुत अत्याचारी थे | इनके अत्याचार से परेशान होकर सारे देवता भगवान शिव की शरण में पहुंच गए भगवान शिव ने उन्हें कहा की वे भगवान गणेश का आह्वाहन करें | सभी देवताओं ने भगवान श्री गणेश की आराधना की उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान श्री गणेश ने वक्रतुंड का अवतार लिया और मत्सरासुर के दोनो पुत्रों का संहार किया और मत्सरासुर को भी पराजित कर दिया वही मत्सरासुर बाद में भगवान श्री गणेश का भक्त बन गया |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी एकदंत अवतार –
महर्षि च्यवन ने अपने तपोबल से मद नाम के राक्षस की रचना की वह राक्षस ऋषि च्यवन का पुत्र कहलाया | मद ने दैत्यों के गुरु श्री शुक्राचार्य से दीक्षा ली श्री शुक्राचार्य ने उसे हर तरह की विद्या में निपुण बनाया | शिक्षा पूरी होने पर उसने देवताओं का विरोध शुरू कर दिया सारे देवता उससे प्रताड़ित रहने लगे | सभी देवताओं ने मिलकर श्री गणेश भगवानजी की आराधना शुरू की तब भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) एकदंत के अवतार में प्रकट हुए एकदंत के अवतार में भगवान श्री गणेश ने मदासुर को युद्ध में पराजित किया |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी महोदर अवतार –
जब भगवान श्री कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो दैत्य गुरु श्री शुक्राचार्य ने मोहासुर नाम के दैत्य को देवताओं के खिलाफ खड़ा कर दिया | देवताओं ने भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) की आराधना की तब भगवान श्री गणेश ने महोदर अवतार लिया | भगवान गणेश मूषक पर सवार होकर मोहासुर के नगर मे पहुंचे तो मोहासुर ने बिना युद्ध किए ही भगवान श्री गणेश को अपना इष्ट बना लिया |
श्री गणेश भगवान (Shree Ganesh) जी विकट अवतार –
भगवान श्री विष्णु ने जलन्धर नाम के राक्षस के विनाश के लिए उसकी पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग किया उससे एक दैत्य उत्पन्न हुआ उसका नाम था कामासुर | कामासुर ने भगवान शिव की आराधना करके त्रिलोक विजय का वरदान प्राप्त किया | इसके बाद उसने अन्य दैत्यों की तरह ही देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया | तब सारे देवताओं ने भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) का ध्यान किया तब भगवान श्री गणेश ने विकट रूप मे अवतार लिया | उन्होंने देवताओं को अभय वरदान देकर कामासुर को पराजित किया |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी गजानन अवतार –
धनराज कुबेर से लोभासुर का जन्म हुआ | वो दैत्य गुरु शुक्राचार्य के शरण में गया और उसने श्री शुक्राचार्य के आदेश पर भगवान शिव की आराधना शुरू कर दी | भगवान शिव उससे प्रसन्न हो गए और उसे निर्भय होने का वरदान दिया | उसके बाद लोभासुर ने तीनों लोकों पर कब्जा कर लिया तब देवगुरु ने सभी देवताओं को भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) की उपासना करने की सलाह दी | तब श्री गणेश भगवान ने देवताओं को गजानन रूप मे दर्शन दिए और देवताओं को वरदान दिया कि मै लोभासुर को युद्ध में परास्त करूंगा | श्री गणेश भगवानजी ने लोभासुर को युद्ध के लिए संदेश भेजा | श्री शुक्राचार्य की सलाह पर लोभासुर ने बिना युद्ध किए ही अपनी पराजय स्वीकार कर ली |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी लम्बोदर अवतार –
क्रोधासुर नाम के दैत्य ने श्री सूर्यदेव की आराधना करके उनसे ब्रह्मांड विजय का वरदान प्राप्त कर लिया | क्रोधासुर के इस वरदान के कारण सारे देवता भयभीत हो गए और सारे देवताओं ने भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) का आह्वाहन किया | तब श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवानजी ने लम्बोदर रूप धरकर क्रोधासुर को रोक लिया और क्रोधासुर को ये आभास दिलाया कि वो ब्रह्मांड में कभी अजेय योद्धा नहीं हो सकता | क्रोधासुर ने भगवान श्री गणेश के सामने अपनी हार मान ली और सब कुछ छोड़कर पाताल लोक चला गया |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी विघ्नराज अवतार –
एक बार माता श्री पार्वती अपनी सखियों के साथ बात -चीत के दौरान जोर से हंस पड़ीं, उनकी हंसी से एक विशाल पुरुष की उत्पत्ति हुई , माता श्री पार्वती ने उस पुरुष का नाम मम रख दिया | मम माता पार्वती से मिलने के बाद वन में तप के लिए चला गया वहीं वो सम्रासुर से मिला | सम्रासुर ने उसे कई आसुरी शक्तियां सिखा दीं, उसने मम को भगवान श्री गणेश की उपासना करने को कहा | मम ने भगवान श्री गणेश को प्रसन्न कर ब्रह्मांड का राज्य मांग लिया | मम ने भी अत्याचार शुरू कर दिया और सभी देवताओं को कारागार में डाल दिया , तब सभी देवताओं ने भगवान श्री गणेश की आराधना की, इससे प्रसन्न होकर भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) ने विघ्नराज अवतार लिया और मम को युद्ध में पराजित किया और सभी देवताओं को कारागार से छुड़ाया |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी धूम्रवर्ण अवतार –
एक बार श्री सूर्यदेव को छींक आ गई और उनकी छींक से एक दैत्य की उत्पत्ति हुई उसका नाम था अहम् , वह श्री शुक्राचार्य के पास गया और उनको अपना गुरु बना लिया वह अहम् से अहंतासुर हो गया, उसने खुद का एक राज्य बसा लिया और भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) को तप से प्रसन्न करके वरदान प्राप्त कर लिया, उसने भी बहुत अत्याचार और अनाचार फैलाया, तब भगवान श्री गणेश ने धूम्रवर्ण के रूप मे अवतार लिया | धूम्रवर्ण के रूप मे भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) ने अहंतासुर को हरा दिया |