देवों के देव श्री महादेवजी के दूसरे पुत्र श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी सभी देवताओं में प्रथम पूज्य हैं | किसी भी कार्य के प्रारम्भ से पूर्व उनकी पूजा अनिवार्य है ऐसा करने से वह कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो जाता है | भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) सुभता बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी का परिवार
भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) के पिता भोलेनाथ श्री शंकर भगवानजी और माता श्री पार्वती माताजी हैं | उनके भाई श्री कार्तिकेय और बहन श्री अशोक सुन्दरी हैं | श्री गणेश भगवानजी की दो पत्नियां हैं जिनके नाम श्री रिद्धि और श्री सिद्धि हैं | श्री ऋद्धि और श्री सिद्धि प्रजापति श्री विश्वकर्मा भगवानजी की पुत्रियां हैं | श्री सिद्धि से श्री शुभ और श्री ऋद्धि से श्री लाभ नाम के दो पुत्र हैं लोक परम्परा में इन्हे ही शुभ -लाभ कहा जाता है | शास्त्रों में श्री तुष्टी और श्री पुष्टी को श्री गणेश भगवानजी की बहुएं कहा गया है | श्री गणेश भगवानजी के पोते श्री आमोद और श्री प्रमोद हैं | मान्यता के अनुसार श्री गणेश भगवानजी की एक पुत्री भी हैं जिनका नाम श्री संतोषी माताजी है | श्री संतोषी माताजी का दिन शुक्रवार है और इस दिन इनका व्रत रखा जाता है | श्री संतोषी माताजी के जन्म की कथा के अनुसार भगवान श्री गणेश जी अपनी बुआजी से रक्षासूत्र बंधवा रहे थे तो इस पर उनके दोनो पुत्रों ने इस रस्म के बारे मे पूछा तो श्री गणेश भगवानजी ने कहा कि ये धागा नही बल्कि सुरक्षा -कवच है यह रक्षासूत्र आशीर्वाद और भाई – बहन के प्रेम का प्रतीक है | यह सुनकर श्री शुभ और श्री लाभ ने कहा कि यदि ऐसा है तो हमे भी एक बहन चाहिए | यह सुनकर श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और उनकी दोनो पत्नियों की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मलित कर दिया इस ज्योति ने कन्या का रूप धारण कर लिया और श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी की पुत्री का जन्म हुआ जिनका नाम श्री संतोषी रखा गया | यह पुत्री माता श्री संतोषी के नाम से विख्यात हैं |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी का जन्मदिन
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री गणेश भगवान जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर हुआ था इस कारण से महीने में आने वाली दोनों चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी की पूजा आराधना विशेष रूप से की जाती है | जब भाद्रपद माह की चतुर्थी आती है तब श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी का जन्मोत्सव बड़ी धूम -धाम और विधि -विधान के साथ मनाया जाता है |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी के जन्म की कथा
एक दिन जब माता पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थीं तो उन्होंने भगवान शिव के वाहन श्री नन्दीजी को बाहर पहरा देने के लिए कहा और ये आदेश दिया कि चाहे कोई भी हो उसे अंदर आने की अनुमति नही है | परन्तु कुछ समय बाद जब भगवान शिवजी वहां पहुंचे और उन्होंने श्री नन्दीजी से कहा कि वो अन्दर जाना चाहते हैं तब श्री नन्दीजी को उनकी आज्ञा का पालन करते हुए उन्हें अन्दर जाने देना पड़ा | इस बात से माता पार्वती क्रोधित हो गईं | उन्हें ये बात समझ आ गई कि अब उन्हें कोई ऐसा चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ उन्ही से निष्ठावान रहेगा इसलिए उन्होंने अपने शरीर की हल्दी को एकत्रित कर एक मनुष्य की आकृति का निर्माण किया और उसे जीवित किया | इस प्रकार जन्म हुआ श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी का | माता श्री पार्वती ने उन्हें अपना पुत्र घोषित कर दिया |
एक दिन फिर हमेशा की तरह माता श्री पार्वती स्नान करने गईं तब उन्होंने श्री गणेश भगवान जी से पहरा देने के लिए कहा और उन्हें ये आदेश दिए कि वे किसी को भी अंदर ना आने दें | कुछ समय बाद भगवान शिव वहां पर आए और उन्होंने श्री गणेश भगवानजी से कहा कि वो अन्दर जाना चाहते हैं परन्तु माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी ने उन्हें अन्दर जाने से मना कर दिया | इस बात से भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने गणों को श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी को दण्ड देने का आदेश दिया परन्तु श्री गणेश भगवान जी कोई साधारण बालक नहीं बल्कि माता पार्वती के पुत्र थे | उन्होंने उन सभी से अकेले लड़ाई की और सभी को हराया | भगवान श्री शिव को भी ये अंदाजा हो चुका था कि ये कोई साधारण बालक नहीं हैं | तब भगवान शिव स्वयं उन्हें मारने के लिए आ गए | उन दोनों में घमासान युद्ध हुआ और उस युद्ध में भगवान शिवजी ने श्री गणेश भगवानजी का सिर धड़ से अलग कर दिया | जब माता श्री पार्वतीजी को इस बात का पता चला तब वो अत्यंत क्रोधित हुईं और उन्होंने पूरे ब्रह्माण्ड को तहस -नहस करने का दृढ़ निश्चय कर लिया | उनके इस निश्चय से सभी डर गए तब श्री ब्रह्मा भगवानजी ने आकर उन्हें समझाया कि ऐसा ना करें | जैसे -तैसे उन्होंने माता पार्वती का क्रोध शांत किया | माता श्री पार्वती ने उनसे कहा कि वो उनकी बात कुछ ही शर्तों पर मानेंगी जो ये थीं कि भगवान श्री गणेश जी को फिर से जीवित करना होगा और उन्हें सभी देवों में सबसे पहले पूजा जाएगा | भगवान श्री शंकरजी ने माता पार्वतीजी से माफी मांगी और देवगणों को ये आदेश दिया कि जाकर किसी ऐसे प्राणी का मस्तक लेकर आएं जिसका मुख उत्तर दिशा की ओर होगा | देवगणों को सबसे पहले एक हांथी दिखा जिसका मुख उत्तर दिशा की ओर था और इस तरह भगवान श्री गणेशजी के मस्तक पर हांथी के सिर को स्थापित किया गया |
इस संदर्भ में एक अन्य कथा प्रचलित है –
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार भगवान श्री शिव के शिष्य भगवान श्री शनि कैलाश पर्वत पर आए उस समय भगवान श्री शिव ध्यान में थे तो भगवान श्री शनि माता श्री पार्वती से मिलने पहुंचे | माता श्री पार्वती श्री गणेश भगवानजी के साथ बैठी थीं | भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) का मुख सुन्दर और हर प्रकार के कष्ट को भुला देने वाला था | श्री शनि भगवानजी आंखें नीची किए माता श्री पार्वतीजी से बात करने लगे | माता श्री पार्वतीजी ने देखा कि भगवान श्री शनि किसी को देख नही रहे हैं वो लगातार अपनी नजरें नीची किए हुए हैं | माता श्री पार्वतीजी ने उनसे पुछा कि वे किसी को देख क्यों नहीं रहे क्या उनको कोई दृष्टि दोष हो गया ? भगवान श्री शनि ने कारण बताते हुए कहा कि उन्हें उनकी पत्नी ने शाप दिया है कि वो जिसे देखेंगे उसका विनाश हो जाएगा | ये बात सुनकर माता श्री पार्वती ने कहा कि आप मेरे पुत्र गणेश की ओर देखिए उसके मुख का तेज समस्त कष्टों को हरने वाला है | भगवान श्री शनि भगवान श्री गणेश पर दृष्टि डालना नहीं चाहते थे लेकिन वे माता श्री पार्वती के आदेश की अवहेलना नही कर सकते थे | उन्होंने तिरछी निगाह से भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) की ओर धीरे से देखा | भगवान श्री शनि की दृष्टि पड़ते ही श्री गणेश भगवानजी का सिर धड़ से कटकर नीचे गिर गया | उसके बाद भगवान श्री विष्णु एक गज बालक का सिर लेकर पहुंचे और उसे श्री गणेश भगवानजी के सिर पर स्थापित किया |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी के विवाह की कथा
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी का सिर हाथी का था और उनका एक दांत टूटा हुआ था इसलिए कोई भी देवकन्या उनसे विवाह करने को तैयार नहीं हो रही थी | इस बात का श्री गणेश भगवानजी को अत्यन्त दुःख था | जब भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) किसी देवता के विवाह में जाते तो उनको बड़ा दुःख होता कि बाकी सभी देवता का विवाह हो रहा था लेकिन श्री गणेश भगवानजी का विवाह नहीं हो रहा था कोई भी देव कन्या उनके साथ विवाह करने को राजी नहीं थी | तब श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी ऐसा सोचा करते थे कि यदि मेरा विवाह नहीं हो रहा है तो मै किसी और देव का विवाह कैसे होने दे सकता हूं तब श्री गणेश भगवानजी किसी का विवाह नहीं होने देते थे और उनके विवाह में बाधा उत्पन्न करते थे और उनका सहायक उनकी सवारी मूषक भी उनका साथ देता था | इस बात से सभी देवता बहुत नाराज हुआ करते थे तब सभी देवता मिलकर भगवान श्री शंकर और माता श्री पार्वतीजी के पास गए और उन्हें ये कथा सुनाई तो भगवान श्री शंकरजी और माता श्री पार्वतीजी ने बोला कि इसका उपाय तो हमारे पास बिल्कुल भी नही है आप सभी श्री ब्रह्मा भगवानजी के पास जाएं उन्ही के पास इस समस्या का हल है तो सभी देवता ब्रह्माजी के पास गए |
श्री ब्रह्मा भगवानजी ने इस समस्या का हल निकालने के लिए दो पुत्रियां बनाईं उनका नाम श्री ऋद्धि और श्री सिद्धि था | श्री ऋद्धि और श्री सिद्धि ये दोनों ही श्री ब्रह्मा भगवानजी की मानस पुत्रियां थीं और श्री ब्रह्मा भगवानजी श्री ऋद्धि और श्री सिद्धि को लेकर श्री गणेश भगवानजी के पास पहुंचे और बोले कि ये दोनों मेरी मानस पुत्रियां हैं ऋद्धि और सिद्धि इनको आपको शिक्षा देनी होगी तब श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी उनको शिक्षा देने के लिए तैयार हो गए | इसके बाद जबभी किसी देवता का विवाह होता और मूषक उनको सूचना देने जाता तो श्री ऋद्धि और श्री सिद्धि कोई बात बोलकर श्री गणेश भगवानजी का ध्यान भटकाया करती थीं ऐसा करने से सभी देवताओं का विवाह बिना किसी समस्या के हो जाता था | बाद में एक दिन मूषक ने उन्हें बताया कि सभी के विवाह बिना रुकावट के कैसे हो रहा है इसके बाद श्री गणेश भगवानजी को सारी बातें समझ में आगई श्री गणेश भगवानजी के ये बात समझ में आने तक श्री ब्रह्मा भगवानजी को भी पता चल गया कि श्री गणेश भगवान जी को यह बात पता चल गई है | इससे पहले श्री गणेश भगवानजी नाराज होते श्री ब्रह्मा भगवानजी श्री ऋद्धि और श्री सिद्धि माताजी को लेकर श्री गणेश भगवान जी के पास पहुंच गए और श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी से कहा कि इस युग में ऋद्धि और सिद्धि के लिए कोई योग्य वर नही मिल रहा है कृपया आप इनसे विवाह कर लें तब श्री ब्रह्मा भगवानजी श्री ब्राह्मणी माताजी श्री शंकर भगवानजी श्री पार्वती माताजी ने सभी देवी -देवताओं के साथ मिलकर श्री गणेश भगवानजी का विवाह श्री ऋद्धि और श्री सिद्धि के साथ कर दिया |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी की पूजा सबसे पहले क्यों करते हैं
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पूर्व श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी की पूजा को आवश्यक माना गया है क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता एवम् ऋद्धि -सिद्धि का स्वामी कहा जाता है | इनके स्मरण, ध्यान, जप और आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है एवम् विघ्नों का विनाश होता है | वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता एवम् साक्षात प्राण स्वरूप हैं | गणेश का अर्थ है गणों का ईश अर्थात् गणों का स्वामी | किसी पूजा ,आराधना, अनुष्ठान एवम् कार्य में श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी के गण कोई विघ्न बाधा ना पहुंचाएं इसलिए सर्वप्रथम श्री गणेश पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त की जाती है |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी विद्या के देवता हैं | साधना में उच्च स्तरीय दूर -दर्शिता आजाए, उचित-अनुचित, कर्तव्य – अकर्तव्य की पहचान हो जाए इसलिए सभी शुभ कार्यों में गणेश पूजन का विधान बनाया गया है | पद्म पुराण के अनुसार सृष्टि के आरंभ में जब यह प्रश्न उठा की प्रथम पूज्य किसे बनाया जाए तो समस्त देवतागण श्री ब्रह्मा भगवानजी के पास पहुंचे | श्री ब्रह्मा भगवानजी ने कहा कि जो कोई संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा सबसे पहले कर लेगा उसे ही प्रथम पूजा जाएगा, इस पर सभी देवतागण अपने अपने वाहनों पर सवार होकर परिक्रमा हेतु चल पड़े | चुंकि श्री गणेश भगवानजी का वाहन चूहा है और उनका शरीर स्थूल तो ऐसे मे वो परिक्रमा कैसे कर पाते इस समस्या को सुलझाया देवऋषि श्री नारद भगवानजी ने | श्री नारद भगवानजी ने उन्हें जो उपाय सुझाया उसके अनुसार श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी ने श्री राम नाम लिखकर उनकी सात परिक्रमा की और श्री ब्रह्मा भगवानजी के पास सबसे पहले पहुंच गए तब श्री ब्रह्मा भगवानजी ने उन्हें प्रथमपुज्य बताया क्योंकि श्री राम नाम साक्षात श्री राम भगवानजी का स्वरूप है और श्री राम में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड निहित है |
शिव पुराण की एक अन्य कथा के अनुसार एक बार सभी देवता भगवान श्री शंकर के पास यह समस्या लेकर पहुंचे कि किस देव को उनका मुखिया चुना जाए, भगवान शिव ने यह प्रस्ताव रखा कि जो भी पहले पृथ्वी की तीन परिक्रमा करके लौटेगा वो ही अग्र पूजा के योग्य होगा और उसे ही देताओं का स्वामी चुना जाएगा | चुंकि भगवान गणेश का वाहन चूहा अत्यंत धीमी गति से चलने वाला था इसलिए अपनी बुद्धि चातुर्य के कारण उन्होंने अपने पिता भगवान श्री शिव और माता श्री पार्वती के ही तीन परिक्रमा पूर्ण किए और हाथ जोड़कर खड़े हो गए भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा तुमसे बढ़कर संसार में अन्य कोई चतुर नही है, माता -पिता की परिक्रमा से तीनों लोकों की परिक्रमा का पुण्य तुम्हे मिल गया जो पृथ्वी की परिक्रमा से भी बड़ा है इसलिए जो मनुष्य किसी कार्य के शुभ आरंभ से पहले तुम्हारा पूजन करेगा उसे कोई बाधा नहीं आयेगी | बस तभी से श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी अग्र पूज्य हो गए |
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी की पूजा में क्या चढ़ाना चाहिए
रोजाना श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी के पूजन में ये 5 चीजें जरूर चढ़ाएं –
श्री गणेश (Shree Ganesh) भगवान जी अमंगल और विघ्नहर्ता हैं | जिस पर श्री गणेश भगवानजी की कृपा होती है उसके जीवन में आने वाली सभी बढ़ाएं दूर हो जाती हैं | शास्त्रों में कुछ आसान उपाय बताए गए हैं जिनसे आप भी श्री गणेश भगवानजी को जल्दी खुश कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं –
1- हर दिन सुबह स्नान, पूजा करके श्री गणेश भगवानजी को गिन कर 5 दुर्वा यानी हरी घास अर्पित करें |
2- शास्त्रों के अनुसार शमी ही एक मात्र पौधा है जिसकी पूजा से श्री गणेश भगवानजी और श्री शनि भगवानजी दोनो प्रसन्न होते हैं |
3- भगवान श्री गणेश (Shree Ganesh) को प्रसन्न करने के लिए अक्षत अर्पित करें | सूखा अक्षत श्री गणेश भगवान जी को नहीं चढ़ाना चाहिए इसके लिए अक्षत को गीला करके फिर चढ़ाएं |
4 – सिंदूर की लाली श्री गणेश भगवान जी को बहुत पसन्द है | श्री गणेश भगवानजी की प्रसन्नता के लिए उनको लाल सिंदूर का तिलक लगाएं उसके बाद अपने माथे पर भी तिलक लगाएं |
5 – श्री गणेश भगवान जी को मोदक बहुत पसन्द है इसलिए उनकी पूजा में मोदक जरूर चढ़ाएं |