श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 58 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 59,60,61 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -59
गुफा के पुनः दर्शन ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री नीम करोली बाबा जी ने खेतों की जिस गुफा में रहकर साधना और तपस्या की वह कहीं खो गई थी । धीरे -धीरे इस गुफा के उपर मिट्टी जमा होने लगी थी और यह गुफा खेतों में सम्मिलित हो गई थी , जिस के ऊपर हल और खेती हो रही थी ।श्री सिद्धि मां उस गुफा के दर्शन हेतु बहुत ही उत्सुक्त थीं । १९७७-७८ में उन्होंने इसकी खोजबीन शुरू कर दी ।सन् १९८८ में एक बार की बात है श्री सिद्धि माताजी मन्दिर के ठीक सामने के खेत में घूम रहीं थीं तभी वे कुछ देर के लिए एक स्थान पर बिल्कुल स्थिर खड़ी हो गईं | तभी एक वृद्ध व्यक्ति बोले,” जहां श्री सिद्धि माताजी खड़ी हैं उसी स्थान पर खोदो ।” श्री सिद्धि माताजी ने ही उस वृद्ध व्यक्ति को प्रेरित किया ऐसा बोलने के लिये । जैसे-जैसे उस स्थान पर खोदा गया , गुफा के अवशेषों के दर्शन होने लगे । और धीरे -धीरे पूरी गुफा के दर्शन हो गये । कुछ बर्तन , दीवार में बनी धूनी की राख और कोयला , लकड़ी भी प्रारम्भ हो गये मिलने । गोल आकार की मिट्टी से बनी श्री गौरी, श्री गणेश की मूर्तियाँ मिलीं ।
गुफा के प्रकट होते ही स्वंय ही धूप, बत्ती की सुगंध निकलकर व्याप्त गई चहुं ओर | इस अद्भुत लीला से सभी आन्नदित हो गये ।
इस प्रकार इस गुफा को प्रगट करके श्री सिद्धि माताजी का उद्देश्य पूरा हुआ|
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -60
कार निकल गई ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
महाराजजी जिस कार मे बैठे थे वे पूल पर आई । सामने से गन्ने की लदी बैलगाड़ियां आ रही थीं जिससे रस्ता अवरूद्ध हो गया था । ड्राईवर ने गाड़ी की रफ़्तार धीमी कर दी । बाबा बोले,” गाड़ी तेज़ चलाओ ।” ड्राईवर बोला,” महाराजजी इतनी जगह नही कि गाड़ी निकल सके । ” बाबा फिर तेज़ चलाने को बोले, ड्राईवर ने मना किया ।
श्री नीम करोली बाबा जी तब बोले,” अपनी आँखें बन्द कर और गाड़ी चला ।” ड्राईवर थोड़ा सा घबरा गया , पर बाबाजी बोले,” हमने कही न कि आँखें बन्द कर और गाड़ी चला |” तब ड्राईवर ने अपनी आँखें बन्द कर ली और गाड़ी की रफ़्तार बड़ा दी । जब उसने आँखें खोली तो गाड़ी पूल के पार निकल गई थी । उसे विश्वास नहीं हो रहा था , पर लीला धारी कब लीला कर जाएं , किसी को पता नही ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -61
एक रात स्व. लखपत सिंह रघुवंशी , कमिश्नर बरेली , अपने घर पर थे | अगले दिन उनके प्रोस्ट्रेट- ग्लैण्ड का आपरेशन था में उन्हें बहुत घबराहट बो रही थी और इस चिन्ता में सो नहीं पा रहे थे | वे मन ही मन आर्त-भाव से बाबा जी को याद कर रहे थे | इतने में बाहर किसी ने ज़ोर से दरवाज़ों को खटकाया | घर के सभी लोग घबरा गये | उन्हें डकैतों का सन्देह हुआ| वे किवाड़ तोड़ कर भी आ सकते है , इसलिये उन्हेने दरवाज़ा खोल दिया | द्वार खोलते ही बाबा के दर्शन हुए | वे सीधे लखपत सिंह जी के कमरे में गये और बोले,”” तूने हमें याद किया था , हमें नर्मदा के तट से यहां आना पड़ा | ” बाबा जी ने उन्हें निर्भय होकर आपरेशन कराने का हुक्म दिया | उनकी कृपा से उन्हें शान्ति मिली | आपरेशन सफल हुआ और वे स्वस्थ हो गये |