श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 56 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 57,58 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -57
बाबा के चित्र के सामने की हुई प्रार्थना का उत्तर बाबा देते हैं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
बाबा जी के एक भक्त थे केशव प्रसाद द्विवेदी| जो आर्थिक रूप से कमजोर थे| बाबा जी उन्हें अक्सर लम्बी तीर्थयात्रा में अपने साथ ले जाते थे| वह भक्त भी बिना किसी शिकायत के राजी हो जाते| जबकि उन्हें कभी-कभी अपनी यात्रा के लिए पैसे उधार लेने पड़ते थे|
एक बार बाबा जी ने उन्हें बद्रीनाथ साथ चलने के लिए कहा| यात्रा में जाने से पहले केशव प्रसाद ने मेज पर रखी बाबा जी की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए अपनी पत्नी से कहा कि अगर किसी कारण वश वो संपर्क करना चाहे तो बाबा जी की तस्वीर के सामने कह दे| सन्देश उन तक पहुँच जायेगा क्योंकि वह बाबा जी के साथ रहेंगे |
कुछ दिनों बाद, हिमालय की ऊंचाइयों में बाबा जी अचानक केशव प्रसाद की ओर मुड़े और बोले: “तुम यहां क्यों आये हो?”
भक्त ने श्री बाबाजी को उत्तर दिया: ” प्रभु मैं तो आपकी आज्ञा से यहां आया हूँ”।।
श्री नीम करोली बाबा जी बोले: “तुम्हारे तो घर में दाल और आटा कुछ भी नहीं है और तुम्हारी पत्नी बहुत ही ज्यादा चिंतित है क्योंकि उनके पास खाने के लिए कुछ भी है ही नहीं, और तुम यहां इतनी दूर हो | तुम्हें उनके लिए कम-से-कम रोटी का प्रबंध करके ही यहां आना चाहिए था |
परन्तु बाबा जी के सान्निध्य में भक्तों पर मादक प्रभाव रहता था । उनकी चिंताएं लुप्त हो जाती थीं। उन्हें महसूस होता था कि उनकी भलाई के लिए बाबाजी सब संभाल रहे हैं |
अपनी परिवार के लिए भोजन का प्रबंध न करके आने के लिए उस भक्त को फटकारने के आधा घंटे बाद बाबा जी अचानक बोले: “भोजन आ गया है | उनको भोजन मिल गया है। कश्मीरी माँ ने उनको दे दिया है|चिंता मत करो |जब केशव प्रसाद यात्रा से वापस लौटे तो उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा| उनकी पत्नी ने बताया कि जब घर में खाद्य सामग्री समाप्त हो गयी थी तो उसने महाराज जी की तस्वीर के सामने प्रार्थना की| थोड़े समय बाद उनके अमीर पडोसी, ने उससे अपनी पुत्री के जैसा व्यवहार किया और आटा, चावल, दाल इत्यादि की बोरियों के साथ उनके घर आये | उन्होंने ही घर के सभी समान की व्यवस्था की |बाबा जी की इस कृपा से केशव प्रसाद की आंखों से आंसू निकल पड़े |
बाबा जी लोगों से सदा कहते कि मैं अगर न मिलूं तो मेरी तस्वीर के सामने अपनी बात कह दिया करो। मैं जरूर उत्तर दूंगा |
श्री हनुमान जी के अवतार बाबा श्री नीब करौरी ,आपके चरणों में मेरा कोटि कोटि बार प्रणाम है |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -58
आदरणीय महानुभाव,
सादर अभिवादन! परम पूज्य श्री बाबा जी के एक प्रसंग के साथ उपस्थित हूं |
अंतर्यामी श्री बाबा जी, अपने भक्तों का सदा मार्गदर्शन करने वाले पूज्य बाबा श्री नीम करौली जी महाराज
जब श्री बाबा जी किसी को अपनी तरफ आकर्षित करते है, तो वह उस व्यक्ति की पूर्ण रूप से देखभाल और रक्षा भी करते है | भले ही आप उसे समझें या न समझें |
जाड़े के दिन थे | श्री बाबा जी इलाहाबाद आए हुए थे| वो शासकीय अधिवक्ता श्री धर्म नारायण शर्मा के यहां ठहरे हुए थे | शर्मा जी के एक रिश्तेदार बाबाजी के दर्शन हेतु इलाहाबाद आये | उसी दिन शाम को उन्हें रेलवे बोर्ड में नौकरी के लिए इंटरव्यू के लिए कलकत्ता जाना था | वह महाराज जी के आशीर्वाद लेने आये थे | जिस से कि वह सफल हो जाएं | जब वह जाने लगे तो श्री बाबाजी ने कहा “मत जाओ”,उस आदमी ने कहा, “नहीं बाबा, मुझे जाना होगा|” मेरा आज कलकत्ता के लिए रिजर्वेशन है लेकिन बाबाजी जिद पर अड़े थे | उन्होंने बहस किया और आख़िरकार उस आदमी को हार माननी पड़ी |
उस व्यक्ति ने शर्मा जी से कहा, ”दादा, मैं तो श्री महाराजजी के पास उनका आशीर्वाद लेने के लिए आया था, जिससे मुझे वह नौकरी मिल सके| अब श्री बाबाजी मुझे वहां जाने से रोक दिया है।” मेरा मन बहुत खिन्न है |अगली ही सुबह वह आदमी चिल्लाते हुए घर से भागा, “दादा, देखो महाराज जी ने किस प्रकार से मेरी जान बचाई है|” अखबार आ चुका था, और अख़बार की सबसे बड़ी खबर थी| मुगल सराय से रेलवे स्टेशन के करीब दो ट्रेनों की भीषण टक्कर| दो सौ यात्रियों की मौत| क्षतिग्रस्त हुई बोगियों में वो बोगी भी थी| जिसमें शर्मा जी के रिश्तेदार यात्रा करने वाले थे | महासमाधि के बाद भी श्री बाबा जी अपने भक्तों और शिष्यों का मार्गदर्शन करते रहे है| वो अपने अनुयायियों के मार्गदर्शन के लिए समय समय इंसानी रूप में दिखाई पड़ते रहे है|
पूज्य श्री बाबा जी आपके श्री चरणों में मेरा कोटि कोटि बार प्रणाम है| अपने दया और कृपा की दृष्टि बनाए रखना | जब तक जीवित रहूं।मुझे आपकी भक्ति का अवसर प्राप्त हो| मेरी बस इतनी ही ख्वाहिश|