Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 36,37,38,39

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 35 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 36,37,38,39 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -36

सूबेदार मेजर जगदेव सिंह जो कि ज़िला रायबरेली के रहने वाले थे सन् 1932 में अपने एक सहायक सिख आफिसर को अपने साथ श्री नीम करोली बाबा जी के दर्शन कराने के लिए कर गये । उन्होंने उनसे कहा कि आप श्री नीम करोली बाबा जी से जो भी पूछेंगे , सही उतर देंगे महाराजजी । सिख अफ़सर को अपने एक मित्र गैंडा सिंह के सम्बंध में कुछ विशेष बात पूछनी थी , पर वे बाबा के पास जाकर कुछ पूछ न पाए । बाबा उन्हें देखकर स्वत: ही बोलने लगे,” गैंडा साहब के लड़के के बारे में पूछना चाहता है, जो घर से भाग गया है । वे अमृतसर गुरुद्वारे में ग्रन्थी से शिष्य बनाने की प्रार्थना कर रहा है ।उसकी स्त्री मर गयी है ,पर माँ जीवित है । माँ की आज्ञा के बिना ग्रन्थी उसे शिष्य बनाने को तैयार नही ।” गैंडा सिंह उस समय फरूर्खाबाद में जेलर थे । पत्नी के वियोग से दुःखी हो उनका लड़का लापता हो गया था ।

सिख अफ़सर ने जब ये सूचना अपने मित्र को दी तो वे अमृतसर जाकर उसे वापस ले आये । उस घटना के बाद से गैंडा सिंह बाबा के भक्त हो गये ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -37

एक बार श्री माँ के मन में जब ये प्रश्न उठा कि महाराजजी आप कौन है ? तब श्री नीम करोली बाबा जी ने अपना परिचय देते हुए कहा –
” तुने गीता के सातवें अध्याय का सातवां श्लोक पढ़ा है ?”
मत: परतंर नान्यत्
किण्चदस्ति धनण्जय ।
मयि सर्वमिंद प्रोतं
सूत्रे मणिगणा इव ।।

मेरे सिवा बिल्कुल भी कोई दूसरी वस्तु नहीं है । यह पूरा जगत सूत्र में मणियों की तरह ही मेरे में गूँथा हुआ है। अर्थात् माला की मणियाँ ( सृष्टि ) एक सूत्र मे मूझमे गुँथी है ।

साक्षात श्री कृष्ण का अवतार है मेरे श्री बाबा जी। है कृष्ण अपने बच्चों पर दया करो

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -38

लड़के का विवाह ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

आपका अनुभव है कि श्री बाबा जी के लिये कुछ भी अदेय न था । वह किसी को कुछ भी दे सकते थे । आप बताती है कि आप अपने पुत्र का विवाह उसकी मनपसन्द लड़की से करना चाहती थी, पर लड़की वाले मान नहीं रहे थे । आपने श्री माँ को इस परिस्थिति से अवगत कराया ।श्री माँ ने आपको बाबाजी से निवेदन करने को कहा । आपकी समस्या सुनकर श्री बाबा जी बोले , ” इस नवम्बर के महीने में विवाह कर दो ।” आप बोली , लड़के वाले तो मानते नहीं बाबा जी और इतनी जल्दी मैं इस कार्य को नहीं कर सकती । ” श्री बाबाजीने नाराज़गी के रूख में अपनी बात दोहरा दी । सितम्बर १९७३ में श्री बाबा का महाप्रयाण हो गया । बाद में जब आपने अपना प्रस्ताव लड़की वालों के सामने रखा , उन्होंने स्वीकार कर लिया और श्री बाबाजीके वचनों अनुसार नवम्बर ७३ में आपके बेटे का विवाह उसकी मनपसन्द लड़की से हो गया ।

श्री बाबा जी कहा कभी कट नहीं सकता था । श्री बाबा जी भगवान है वो अपने भक्तों को सब कुछ दे सकते है ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -39

वाणी में जाद ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

श्रीमति कमला जी के पेट का आपरेशन होना था इसलिए उनको बहुत घबराहट हो रही थी और इस वजह से सभी लोग बहुत ही ज्यादा चिन्तित हो गाए थे और इस कारण घर का वातावरण बहुत ही ज्यादा उदासीन था । एकाएक टेलीफ़ोन की घण्टी बजी । ये बाबा का आलौकिक टेलिफ़ोन था । वे सोनी साहब से कहने लगे , ” कोई बात सुनाओ । ” उन्होंने कमला जी के आपरेशन की बात आरम्भ की । बाबा बोल उठे,” आपरेशन तो हो गया । कोई और बात सुनाओ ।” श्रीमती कमलाजी जी बताती हैं कि श्री नीम करोली बाबा जी की आवाज में इस तरह का जादू है कि घर का पूरा वातावरण ही बदल गया । सभी लोग निश्चिंत हो गये और मेरी घबराहट भी विलीन हो गयी । वे दूसरे दिन अपने आपरेशन के लिये बहुत ही ज्यादा प्रसन्नचित होकर ऐसे गईं जैसे कहीं निमंत्रण में जा रही हों । आपरेशन सफल हुआ ,और वे आसानी से उस कष्ट का सामना कर सकी ।

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