श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 32 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 33,34,35 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -33
कानपुर में बाबा जी गंगा के किनारे लाड़ली पंडा के घर ही निवास करते थे । सुबह शौच के लिये वे उथली श्री गंगा माताजी के बीच से होते हुए बीच में बने एक बालू के टापू में चढ़ जाते ।और वही शौच से निवृत होकर टापू के उसपार गहरे जल में स्नान कर लेते ।
एक दिन हर दिन की ही भांति लाड़ली महाराज के एक गुमाश्ते को लेकर श्री नीम करोली बाबा जी टापू की तरफ़ चले तो गुमाश्ते और लाड़ली पंडा ये देखकर अत्यन्त ही अचंभित रह गये कि श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji ke chamatkar ) केवल श्री गंगा माताजी की सतह पर चल रहे हैं। जैसे पक्की सड़क पर चल रहे है ।और साथ में वही अनुभव गुमाश्ते को भी करा दिया । न बाबा जी के पैर भीगे और न ही गुमाश्ते के । जैसे बाबा जी के लिये श्री गंगा मां ने अपना आंचल फैला दिया था ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -34
इलाहाबाद में डा़. ब्रह्मस्वरूप का मकान था और वही वे सेवाभाव से होमियोपैथिक चिकित्सा भी किया करते थे | आपने बताया कि मेरे पास कभी कभी असाध्य रोगों के मरीज आते थे और कहते हमें बाबा नीब करौरी ने आप के पास भेजा है | मैं उनका इलाज किया करता था और वह अति शीघ्र ठीक हो जाया करते थे | मुझे अत्यन्त ही आश्चर्य हुआ करता कि मेरी दी गई दवा श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) के भेजे भक्तों पर कितना अच्छा कार्य किया करती हैं , उतना वे दवाईयां दूसरे मरीजों पर कार्य नही करती थीं | मैं श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) को नही जानता था ,और उन्हें देखा भी नही था | इस कारण मुझे उनके दर्शनों की बहुत अभिलाषा थी | मगर धन्धे को छोडकर उन्हें खोजना मेरे लिये सम्भव नही था |
एक दिन अपने नम्बर पर एक लम्बा चौड़ा व्यक्ति , कम्बल ओढ़े , नंगे पैर , अपने एक व्यक्ति के साथ मेरे कमरे में प्रविष्ट हुआ | पूछने पर उसने बताया कि वह हथेली मे कुछ गर्मी महसूस कर रहा है | मैने निदान के लिये उनसे कुछ प्रशन पूछे पर किसी का खास उत्तर नही मिला और वह व्यक्ति बोला ” जो दवा तेरी समझ में आवे वो दे दे |” मै , उनके व्यवहार पर विचलित हुआ , पर मैने 3 दिन की दवाई बना दी | वह बोले “इतनी थोड़ी दवा से क्या होगा ? बहुत तादाद में बना दे , अब हम जा रहे हैं , फिर नही आयेंगे |” उसने अपने साथ आये आदमी को मुझे २० रूपये देने को कहा , पर मैने मना कर दिया , क्योंकि वह देखने मे मुझे कोई बाबा जी लग रहे थे | मैं अपनी व्यस्तता के कारण सोच नही पाया कि वह श्री नीम करोली बाबा जी भी हो सकते है ! जाते हुए श्री बाबाजी २० रूपये मेरे मेज पर रख गये | उन नोटों को मैने दान-पेटी में डाल दिया |
इसके बाद दुसरा मरीज मेरे कमरे में आया तो वह बोला ” आप जानते है कि अभी आपके कमरे से जो बाहर गये हैं , वह कौन थे ?” मेरे ना पहचानने पर और मना करने पर उस व्यक्ति ने यह बताया कि वह पूज्यनीय श्री नीम करोली बाबाजी (Shree Neem Karoli Baba Ji) थे | विश्व की यह अत्यन्त ही महान विभूति श्री नीम करोली बाबाजी आपके पास आकार आपके द्वार पर दो घण्टे तक आपकी प्रतीक्षा मे बैठे रहे | यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया | मुझे अत्याधिक ग्लानि हुई कि मै अज्ञानतावश श्री नीम करोली बाबा जी का यथोचित सम्मान ना कर सका | मैं बाहर भागा , बहुत खोजा मगर बाबा जी ना मिले |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -35
एक बार एक भक्त श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) के साथ जागेश्वर को जा रहे थे । वे रास्ते मे अल्मोड़ा में रूके । श्री नीम करोली बाबाजी ने उनसे कहा ,” तुम चलो और अब ध्यान करो और वे व्यक्ति तुरंत ही ध्यान-साधना करने की अवस्था मे बैठ गए । उनका यह अनुभव बहुत ही ज्यादा अलग था उन व्यक्ति ने यह अनुभव किया कि वे उड़ रहे हैं और कैलाश पर्वत के बारे में सोच रहे थे। उनके होश- हवास कहीं गुम हो गये । कुछ समय वे इसी अवस्था मे रहे।और फिर कुछ देर बाद उनके होश वापस आ गये । लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब उनकी पत्नी और कुछ जानकारों ने उन्हें उसी वक्त ( same time ) दिल्ली में महाराजजी के साथ देखा । वे सब हैरान थे कि ये सब इतनी जल्दी कैसे हो गया | आश्चर्य ! अदभुत ! श्री नीम करोली बाबाजी (Shree Neem Karoli Baba Ji) कहीं भी किसी के साथ भी लीला रच डालते थे ।