श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 107 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 108,109,110 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -108
‘मेटहि कठिन कुअंक भाल के ‘ ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
बात १९४८ के समय की है , श्री केहर सिंह जी एक बार अपने एक मित्र के साथ एक पंडित जी के पास गए जो की भृग संहिता वाले थे| उन्होने श्री केहर सिंह जी के भविष्य का पूरा विवरण उनको लिख कर दिया और प्रत्येक घटना वैसे ही सत्य प्रतीत होती गयी | एक बात अशुभ थी उसमें कि ५४ साल की आयु में किसी बिमारी से आपका मृत्यु योग था |
जब आपने ५४ वे साल में प्रवेश किया तो आप की जी के नीचे एक माँस का लोथड़ा उभर आया | डाक्टर ने इसे कैन्सर ग्रोथ बताया | श्री केहर सिंह जी बहुत चिन्तित थे और सोच रहे थे कि इस बात का श्री बाबाजी को बताया जाये या नही | अचानक से महाराज का लखनऊ में आगमन हो गया |आप सारे दिन उनके साथ घूमते रहे | श्री मेहरोत्रा जी और प्रेम लाल भी उनके साथ थे | शाम को श्री बाबा जी के साथ आप सब श्री हनुमान सेतु पर श्री गोमती जी के किनारे बैठ गये |श्री बाबा जी ने श्री महरोत्रा जी और श्री प्रेम लाल जी को काम से इधर -उधर भेज दिया , अब उनके कान के पास मुंह लाकर श्री बाबा जी उनसे बोले,”अब कह ” |आप श्री नीम करोली बाबा जी का प्रेम देखकर अपने आप को रोक नही पाये और बोले ,” श्री महाराज जी मेरी जीभ पर कैन्सर हो गया है | ” श्री नीम करोली बाबा जी ,श्री केहर सिंह जी को अपने बायें हाथ से खींचते हैं और श्री केहर सिंह जी को अपनी छाती से लगा लेते हैं और अपने दाहिने हांथ से श्री केहर सिंह जी के सिर को जोर से रगड़ने लगे | इसके बाद श्री बाबाजी ने उनको छोड़ दिया और कुछ बोले नही | श्री केहर सिंह जी रोज शीशे में इस मांस के लोथड़े को देखते रहते थे और वो ये भी देख रहे थे कि ये प्रतिदिन कम होता जा रहा था | एक ही हफ्ते में उनकी जीभ ही साफ़ नहीं हुई बल्कि हाथ की टूटी जीवन रेखा भी बढ़कर अखण्ड हो गयी | श्री बाबा जी ने आपको जीवन दान देकर आपकी मृत्यु के योग को टाल दिया था |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -109
लेखक और उसका परिवार ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक भक्त बताते हैं कि उन्हें श्री बाबा जी के दर्शन प्रथम बार १९४४ में हुए और १९५२ में श्री बाबा जी मुझे अपनी शरण में लिया |भक्त बताते हैं कि वे केवल उनका नाम ही जानते थे | उनकी स्थिति सदा ,” नाहि विधा , नाहिं बाहुबल और नाहि खर्चन को दाम की रही |” इसलिये मैं श्री बाबा जी के किसी काम का नहीं रहा और न ही मुझसे उनकी कोई सेवा ही बन पाई पर बिना सेवा के द्रवित होने वाले श्री बाबा जी मेरी स्थिति को भलीभांति जानते थे और निरन्तर मुझ पर अपनी कृपा की अक्षय वर्षा करते रहे | श्री बाबाजी की कृपा भक्त के सम्पूर्ण परिवार पर हुई थी| जिससे उनका पूरा परिवार उनको समर्पित है |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -110
आज तो खूब प्रसाद बंटेगा ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक दिन भाव में श्री नीम करोली बाबाजी श्री दादाजी से बोले , ” आज तो खूब प्रसाद बंटेगा |” श्री मुकुन्दा जी भी उस समय वहां उपस्थित थे , सुबह का समय था उस दिन शाम को जब में ऑफिस से श्री नीम करोली बाबा जी के पास लौटा तो उन्होंने देखा कि लोग भर-भर कर प्रसाद ले कर जा रहे हैं |
अब श्री नीम करोली बाबा जी का मुख्य लाला यह थी कि जंगल विभाग का एक आफिसर अपनी पत्नी के साथ ( जिनकी गोद मे २-३ माह का बच्चा था ) श्री नीम करोली बाबा जी के चरणों में बैठा था | ६ वर्ष हो गये उसकी कोई संतान नहीं हुई | अनेक उपचार करा लिये तब महाराजजी ने उसे पुत्र प्राप्ति हेतु आशीर्वाद दिया था | श्री बाबा जी के इस अमोघ आशीर्वाद के फलस्वरूप उसे जब पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो उसने कृतज्ञता व्यक्त करने के लिये ढेर प्रसाद अर्पण किया , वही प्रसाद मुक्त भाव से अब बंट रहा था | श्री बाबाजी को सब पता था तभी तो सुबह कह बैठे थे -” आज खूब प्रसाद बंटेगा |”