श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 102 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 103,104,105,106,107 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -103
लड़की पर कृपा ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री महरोत्रा जी की पुत्री ज्ञानू जी का लड़का एक बार किसी गम्भीर रोग से शिमला के एक अस्पताल में भर्ती था | ज्ञानू जी बहुत बैचेन थीं और श्री नीम करोली बाबा जी से उसकी सुरक्षा की प्रार्थना करनी चाहती थीं पर भ्रमणशील श्री बाबा जी का पता न जान पाने के कारण बहुत अशान्त थीं |श्री बाबा जी उस समय श्री केहर सिंह जी के साथ कार से वृन्दावन से दिल्ली जा रहे थे | रास्ते में श्री बाबाजी श्री केहर सिंह जी से बोले, ” ज्ञानू मेरी बड़ी भक्त है | यदि उसका लड़का न रहा तो हम मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे | ” दिल्ली पहुंचते ही श्री बाबाजी ने ज्ञानू जी के फोन किया |उनके पतिदेव बोले,” ज्ञानू रो रही है | लड़का अस्पताल में है , उसकी ज़िन्दगी खराब हो गयी है ,” श्री बाबा जी ने ज्ञानू को फोन देने को कहा और बोले,” लड़के का इलाज गलत हो रहा है | वह ठीक है उसे घर ले आयो | घर में स्वस्थ हो जायेगा |” श्री बाबा जी के आदेश से लड़का घर ले आया गया और उसके स्वास्थ्य में दिन प्रतिदिन सुधार आता गया | वे बिना उपचार के शीघ्र स्वास्थ हो गया |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -104
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार , श्री कैंची धाम आश्रम में श्री हनुमान भगवानजी की मूर्ति प्रतिष्ठा समारोह की सबसे आलौकिक घटना यह थी कि श्री बाबा जी महाराज ने एक छोटी बाल्टी भर कर दूध श्री हनुमान भगवान जी को स्वंय अपने हाथों से पिला दिया |उपस्थित भक्त ( श्री किशन चन्द्र तिवारी , आदि ) केवल यही देख पाये कि बाल्टी का दूध थोडी देर मे शेष हो गया केवल एक पतली सी धार फर्श पर थी और कुछ दूध श्री हनुमान भगवानजी के होठों पर लगा था , यानि श्री हनुमान भगवानजी ने श्री बाबा जी के हाथों से सारा दूध पी लिया |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -105
महामृत्यु के बाद भी जीवनदान दिये जाने का सबसे ज्यादा सर्वविदित दृष्टांत श्री बद्री विशाल जी स्वंय हैं जिन्हें श्री बद्रीनाथ में जन्म के बाद ही मृत हो जाने पर भी श्री नीम करोली बाबाजी ने अपनी अत्यन्त ही आलौकिक शक्ति से पुनर्जीवन प्रदान कर दिया । श्री बद्रीनाथ में घटित इस लीला के फलस्वरूप इस पुनर्जीवित बालक का नाम ही श्री बद्रीविशाल पड़ गया । छोटी आयु में मृत्यु को श्री नीम करोली बाबा जी टाल देते थे और बड़ी आयु की मृत्यु को ईश्वरीय हुक्म मानकर उसकी मृत्यु को आन्नदित कर देते थे ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -106
महाराजजी की लीला ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री श्याम नारंग जो कि नैनिताल के रहने वाले थे बताते हैं कि एक दिन वे दुकान पर बैठे थे , कुछ मांगने वाले फकीर आए | कुछ न कुछ सबको दिया , उसके कुछ देर बाद एक साधू जी आये | वे व्यस्त थे कहा कि हांथ खाली नहीं है | वे फकीर चले गए | जब कुछ दिन बाद वे श्री कैंची मन्दिर में श्री बाबाजी से मिला तो उन्होंने कहा ,”उस साधू को तुमने कुछ दिया क्यों नही| सबको कुछ न कुछ दान देना चाहिये |” ये बात सुनकर वे आश्चर्य से उनको निहारता रहे । तब से उनके अन्दर श्री बाबा जी की कृपा से दानवृति आज भी बनी हुई है ।
सबको दान दो , किस वेश में नारायण ( श्री बाबा जी ) आ जाएं कुछ नहीं पता ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -107
सभी लड़कियों का उद्धार हो गया ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
लखनऊ का एक माथुर परिवार बाबा का परम भक्त था | परिवार के मुखिया कागज के थोक के व्यपारी थे उनके पास काफी पैसा था | लेकिन लड़कियों के मामले में दुर्भाग्यशाली थे | उनकी बड़ी लड़की पूर्ण रूप से भैंगी थी | दूसरी गूंगी- बाहरी और मंद बुद्धि थी | तीसरी लड़की पढ़ने में तेज़ और सुन्दर भी थी । सुन्दर तो वो दोनों भी थी परन्तु शारीरिक बाधा उनकी शादी में रूकावट बन रही थी। इसी कारण श्री माथुर दंपति बहुत दुःखी रहते थे ।
जो लड़की गूंगी बाहरी थी वे मानसिक रूप से भी विकसित नहीं थी इसलिये गूंगे बहरों के स्कूल में उसका ऐडमिशन नही हो पा रहा था | श्री बाबा जी ने श्री माथुर जी को सलाह दी की उस लड़की का ऐडमिशन आर्ट कालेज में करा दे | श्री माथुर जानते खे कि ये असम्भव था | तीन बार उन्हें असफलता मिली पर श्री नीम करोली बाबा जी के बहुत कहने पर उनकी कृपा से चौथी बार ऐडमिशन हो गया | श्री नीम करोली बाबा जी के प्रताप से से वह लड़की पेंटिंग में इतनी ज्यादा दक्ष हो गयी कि कालेज के अन्तिम वर्ष में उसने कालेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया | श्री नीम करोली बाबा जी ने उस पर इतनी कृपा करी कि उसे सब कुछ सुनाई देने लगा और वे अस्पष्ट शब्दों में बोलने लगी |
एक दिन श्री बाबाजी ने बड़ी लड़की को अपने पास बुलाया और उसकी दोनों आंखों को अपने अंगूठों से मल दिया | उस लड़की की पुतलियां इस कार्य से सीधी हो गई | उसका विवाह सजातीय युवक से हो गया | वे एयरफोर्स में स्कवाड्रन लीडर था | बीच वाली को राज्यस्थान एयरफ़ोर्स में नियुक्त एक बड़े अफसर ने अंगीरकार किया | वे विधुर था |तीसरी बेटी तो ठीक -ठाक थी अतः उसकी शादी में बिलकुल देर न लगी |
इस तरह बाबा जी की कृपा से माथुर साहिब के असम्भव कार्य सम्भव हो गये | ये सब श्री बाबा जी ही कर सकते थे | जिसके पास श्री बाबा जी नही , उसका क्या होता ? मेरे श्री बाबा जी मेरे भगवान सब पर कृपा कीजिये |