Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 99,100,101,102

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 98 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 99,100,101,102 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -99

मेरे तो आप है सिर्फ आप ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

श्री रब्बू जोशी जी बताते है कि श्री नीम करोली बाबा जी के प्रथम दर्शन उन्हे १४ वर्ष की आयु में इलाहाबाद में हुए थे | श्री नीम करोली बाबाजी घर के आगे ही फुटपाथ पर बैठे थे और उन्होंने श्री नीम करोली बाबाजी से सवाल पूछा था कि ,” क्या मैं अगली परीक्षा मे द्वितीय श्रेणी पाऊंगा ? क्या मुझे साइकिल मिलेगी ?”
१९५८ में श्री हनुमानगढ़ी में उन्हें श्री नीम करोली बाबा जी के पुनः दर्शन हुए | श्री नीम करोली बाबाजी ने श्री रब्बू जोशी जी के सिर के पीछे शिखा स्थान पर एक चपत लगाई बस उसके बाद अविरल अश्रुपात के साथ आप सदा सदा के लिये मेरे महाराज हो गये | मैंने भगवान नहीं देखा | सुना है कि वो सर्वसमर्थ है – सर्वव्यापी है – सर्वहारा है | पर प्रभु आप तो उससे भी दो हाथ ऊंचे है | मेरा भगवान आपसे ही शुरू होता है और आप पर ही पूर्ण होता है | सब कुछ लिखने के बाद भी आप अछूते ही रहोगे | सगुण रूप से भी और निर्गुण रूप से भी |

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागौं पाएं |
बलिहारी गुरू आपने , गोविंद दियों बताय ||
नही प्रभु ये अपवाद है और इसमें भी संशय है
क्योंकि यहां दो खड़े हैं |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -100

गुप्त चिन्ता का निवारण ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

लहरता गांव ज़िला उन्नाव में लड़कों का एक स्कूल चल रहा था | गांव के लोग लड़कियों के लिये अलग स्कूल बनाना चाहते थे |३ दिसम्बर १९६० उद्घाटन निश्चित हुआ | श्री दीक्षित जी ने श्री महाराज जी से निवेदन किया कि वे अपने कर कमलों से ये कार्य करें | श्री बाबा जी ने अपने परम भक्त श्री केहर सिंह जी द्वारा ये कार्य करवाना चाहा | श्री बाबा जी ने श्री केहर सिंह जी को फोन द्वारा बुलाया , श्री केहर सिंह जी को उस दिन आवश्यक राजकीय कार्य था , पर श्री बाबा जी का आदेश भी नहीं टाल सकते थे | आप कार द्वारा उन्नाव को चल दिये | उधर श्री बाबाजी भी दीक्षित जी के साथ उन्नाव को चल दिये ।

सब लोग वगरका पहुंचे | गांव के लोग श्री बाबा जी के दर्शन करके बहुत प्रसन्न हुए | श्री केहर सिंह जी ने स्कूल का उद्घाटन किया | तदोपरांत ग्रुप फोटोग्राफ का आयोजन हुआ | सिंह साहब इस फ़ोटो में उपस्थित नहीं होना चाहते थे | क्योंकि लखनऊ से उनकी अनुपस्थिति का प्रमाण हो सकता था | पर श्री बाबा जी का आदेश उन्हें मानना पड़ा पर श्री बाबाजी तो उनकी गुप्त चिन्ता को समझ रहे थे | दूसरे दिन जब फोटो बन कर आयी तो सब को बहुत आश्चर्य हुआ कि सिंह साहब की आकृति इस प्रकार धुंधली थी कि उनको कोई नहीं पहचान सकता था | अन्य सबकी छवि स्पष्ट थी | ये श्री बाबा जी की महिमा थी कि उन्होंने अपने आज्ञाकारी भक्त की सारी चिन्ता निर्मूल कर दी |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -101

दोस्तों

  • ध्यान निरंतर करते रहें चाहे वह झूठा ही क्यों न हो
  • निरन्तर उनके चरणो में रो-रोकर प्रार्थना करने से ही बाबाजी जी कुछ अनुभव में, कल्पना में आ सकते है इसलिये लीला पढ़ें, सुनें, प्रार्थना करें, निरन्तर कृपा की भीख मांगते ही चले जाएं और जहां तक बने, अब मनको प्रपञ्च के कामों से दूर रखने की चेष्टा करें |
  • एकान्त में बैठकर रोयें, महाराज जी के चरणोंमें बैठकर उनके सामने रोयें । सच्चा रोना न हो, न सही । झूठे ही जैसा भाव हो, उसी को लेकर रोयें।
  • नाथ ! इस नीरस हृदय को सरस बनाओ, इस सूखे हृदय में अपने प्रेम का एक कण देकर इसे भर दो । प्रभो ! अपनी ओर, अपनी कृपा की ओर देखकर ऐसा करो ।
  • निश्चय मानिये, बार-बारकी प्रार्थना व्यर्थ जा ही नहीं सकती । झूठी को वे अपनी कृपा से सच्ची बना देते हैं ।
  • “जिस दिन ओ बाबाजी तेरा दर्शन होगा। उस दिन सफल मेरा जीवन होगा।।
  • तन मन मेरा तुम पर अर्पण होगा। जिस दिन ओ गुरुदेव तेरा दर्शन होगा।।
  • अपने मन मंदिर में मैं आपको बिठाऊंगा। प्यार भरे उपहार तेरे चरणों में चढ़ाऊंगा।।
  • अंसुअन की धारा से अर्चन होगा। उस दिन सफल मेरा जीवन होगा।।
  •  हे श्री बाबाजी ये अंखियां आपके दर्शन की प्यासी हैं।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -102

भुगतान रहित टेलिफोन ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

श्री हीरा लाल खन्ना , लुधियाना बताते है कि एक बार महाराजजी अपने कुछ भक्तों के साथ जिनमें श्री मां भी थी , मेरे मौसेरे भाई गियान चन्द्र कपूर जी के घर अमृतसर आये और दो दिन वही रहे | दोनों दिन बाबा लगातार विभिन्न स्थानों पर अनेक वशिष्ठ व्यक्तियों से टेलीफ़ोन पर बात करते रहे | जब श्री नीम करोली बाबा जी उनके घर से विदा हुए तो जाते हुए वे उनसे बोले ,” घबराना मत हमारे किये टेलीफोन का बिल नहीं आयेगा |” और सच में श्री नीम करोली बाबा जी की वाणी सत्य हुई और श्री कपूर जी को श्री नीम करोली बाबा जी की लम्बी वार्ताओं का बिल नहीं चुकाना पड़ा |

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