Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 95,96,97,98

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 94 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 95,96,97,98 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -95

क्षण मात्र मे अदृश्य ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

एक बार हनुमानगढ़ नैनीताल में श्री महाराज जी एक पेड़ के नीचे बैठे थे | वहां उनके पास अनेक भक्त उपस्थित थे जिनमें श्री जगदीश चन्द्र पाण्डे और श्री हीरालाल साह ( हब्बा जी ) भी थे । श्री हब्बा जी ने श्री हैड़ाखान बाबाजी जी की चर्चा करते हुए कहा कि वो देखते -देखते गायब हो जाते थे । इसी बीच श्री बाबा जी खड़े हो गये और श्री जगदीश जी से बोले ,” अपना कोट उठा , चलते हैं ।” वे मुड़ कर जमीन से अपना कोट उठाने लगे और श्री बाबा जी ने ऐसी माया रची कि उपस्थित सब लोगों का ध्यान पाण्डे जी की ओर आकर्षित हो गया । इतने में ही श्री बाबा जी अन्तर्ध्यान हो गये । आधे घण्टे तक हनुमानगढ़ में उनकी खोज होती रही । चप्पा-चप्पा लोगों ने ढूंढा मगर श्री बाबा जी नहीं मिले । बाद में बहुत दूर उसी पर्वत पर श्री बाबा जी के दर्शन हुए । जब भक्त वहां पहुंचे तो श्री बाबा जी के चेहरे में मुस्कराहट थी ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -96

श्री रमा जोशी जी का श्री नीम करोली बाबाजी के बारे में कहना था कि ,” श्री राम भगवानजी १२ कला लेकर जन्मे , श्री कृष्ण भगवानजी १६ कला लेकर जन्मे , हमारे श्री बाबा जी तो २८ कलाएं लेकर जन्मे |”

श्री रब्बू जी के अनुसार , सच ही तो है श्री राम की मर्यादा , श्री कृष्ण की बांकी चितवन , श्री अन्नपूर्णा माताजी का अनवरत भण्डार , श्री लक्ष्मी माताजी की बृहद कृपा , श्री सरस्वती माताजी की मधुर वीणा , समस्त भक्तों को आपने ही तो प्रदान की | जिस प्रकार कृष्ण प्रेमी गोप-गोपियां उनका मुख निहारते नहीं थकते थे इसी तरह आपके भक्त जन सुबह से शाम तक श्री मुख निहारते और कभी भी एक क्षण की भी थकान महसूस नहीं करते थे | संसार के जितने धर्म ग्रन्थ हैं उन सभी धर्म ग्रंथों को पढ़ने से लगता है कि वह सब तो आपका ही तो चरित्र है श्री बाबाजी| आपकी सगुण लीला से कई गूना बलवती हो गयी है आपकी निर्गुण लीला | पहले से भी ज़्यादा बस गये है लोगों के ह्रदय में आप | पता नहीं भविष्य में आगे भी कितनी रामायणें लिखी जायेंगी आपके विषय मे |
” चारों जुग प्रताप तुम्हारा !”

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -97

महर्षि रमण( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

एक बार की बात है कि श्री नीम करोली बाबाजी, हल्द्वानी फर्नीचर मार्ट में विराजमान थे | श्री पूरन चन्द्र जोशी जी उस समय श्री नीम करोली बाबा जी के पास थे | श्री पूरन चन्द्र जोशी जी बताते हैं कि बात करते – करते श्री बाबा जी गम्भीर चिन्तन में निमग्न हो गये |एकाएक वे मन्द स्वर में बोले ,” पूरन ! एक चम्मच पानी पिला दे उसे बहुत तकलीफ़ हो रही है |” श्री बाबा जी की बात उनकी समझ में नहीं आयी | फिर भी २ चम्मच पानी उन्होंने श्री नीम करोली बाबा जी के मुंह में डाल दिया | इसके कुछ देर बाद श्री नीम करोली बाबा जी की आंखों से दो बूंद आंसू की टपकी और वे उनकी तरफ देखते हुऐ बोले ,” रमण चला गया, भारत एक महान सन्त से रिक्त हो गया |” यह उस समय की बात है जब महर्षि रमण ने अरूणाचल में अपना शरीर त्यागा था |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -98

भावपूर्ण अर्पण ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

श्री मुकुन्दा बताते हैं , एक बार की बात है वर्ष 1967 सितम्बर माह की श्री नीम करोली बाबा जी को अर्पित भोग -प्रसाद को स्वयं पाते हुए उन्होंने पाया कि दाल में नमक है ही नही | वे एकदम पत्नी पर बरस पड़े ,”कि महाराजजी के भोग का ध्यान नहीं देती हो ? कोई श्रद्धा नहीं तुम्हें , दाल में नमक नहीं डाला |” पत्नी बोली ,” मैंने जैसा भी भोग अर्पण किया है प्रेम से किया है |” महाराजजी ने उसे पा भी लिया है | लो तुम्हारी दाल में नमक डाल देती हूं |”

नवम्बर में श्री नीम करोली बाबा जी इलाहाबाद आ गये |हम दोनों पति -पत्नी उनसे मिलने श्री दादा जी के घर दौड़ पड़े | पहले पत्नी ने सिर झुकाया तो श्री महाराजजी मेरी पत्नी से बोल उठे,”तूने हमें बिना नमक की दाल खिला दी ।” पर जब मैंने प्रणाम किया तो श्री नीम करोली बाबाजी बोल उठे ,” पर इसने हमे बड़े प्रेम से खिलाई थी , तो हमने भी खाय ली |

सच में प्रेम और भाव से बना हुआ भोजन श्री नीम करोली बाबा जी जरूर पाते हैं|

 

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