श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 140 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 141,142 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -141
महाराज जी की महासमाधि के बाद की बात है | मुकुंदा बताते हैं कि मैं अपने घर के बाहर पौधो में पानी दे रहा था , तभी श्वेत वस्त्र धारण किये , झोला लटकाये , एक पुस्तक हाथ में लिये एक व्यक्ति मेरे पास आकर खड़े हो गए | उन्होंने मुझे इशारे से बुलाया | मैंने सोचा चन्दा मांगने वाला है , कुछ पैसे देकर टालना चाहा , पर वे बोला मुझे पैसे नहीं पानी चाहिये पीने को | मै शिरडी से आया हूँ , मैंने उन्हें कुर्सी पर बिठाया और पत्नी को बताया | तब उन्हें पानी और प्रसाद खिलाया | वे कहने लगा कि वे शिरडी से आए हैं | आप लोग भी वहाँ आये – सबके मनोरथ पूरे होते हैं|तब पत्नी ने कहा ,” बाबा हम लोग पहले से दीक्षित हैं और अब हमें अपने गुरू जी के अलावा किसी से अपेक्षा नही |हमारे गुरू जी ,”श्री नीब करौरी बाबा हैं |” तब वे बोला ,” ये बात तो बड़ी अच्छी है | गुरू-भक्ति से इंसान को सब कुछ प्राप्त हो जाता है | पुनः बोला ,” तुम्हारे तीन बेटे हैं उनमे से दो तो ठीक हैं पर एक थोड़ा चंचल है | तुम्हरा एक और भी बेटा है जो दर से ही तुम्हारी सेवा करता है | उस वक़्त चौथे बेटे के नाम पर मेरा पूरा ध्यान अपने भतीजे रब्बू की तरफ़ गया | ” तुम अपने तीसरे बेटे से कह देना अप्रैल में उसे नया काम मिल जायेगा | पर उसे कह देना साझे में कोई काम न करे |” तब पत्नी को लगा कि ये अपनी बातों से हमें लुभा रहा है | पत्नी ने उसके झोले में जाते हुए कुछ फल और ११ रू डाल दिये | जाते हुए उसने शिरडी आने का निमंत्रण दिया , अपना नाम जगन्नाथ बताया ,और कहा शिरडी आने पर तुम मेरा नाम ले लेना सब इन्तज़ाम हो जायेगा | वे उस समय वहां से चले गए पर उनकी बात हमारे दिमाग़ में चलती रही ,” एक और बेटा है जो तुम्हारी दूर से ही तुम्हारी सेवा करता है | तभी पत्नी को याद आया कि एक बार श्री महाराजजी ने उससे कहा था , ” तेरे तीन तो थे ही एक मैं भी हे गया |” श्री महाराजजी , हम दौड़कर बाहर आये , लेकिन वे कहीं भी दिखाई नही दिए | सिर्फ २ मिनट में ही वे गायब हो गए | श्री नीम करोली बाबा जी आये हमारे घर ये हमारा अहोभाग्य था | हमारे बेटे को अप्रैल में काम भी मिल गया | महाराजजी के वचन जो थे , सत्य तो होने थे |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -142
अपने गुरूजी पर विश्वास करो , डर को अपने मन से निकाल दो
एक बार मुझे , मेरे आफ़िस से बुलावा आया कि मैंने जो फल की पेटियाँ भेजी थी वे , तोल में कम हैं पर मैंने कुछ ग़लत नहीं किया था , डर मेरे दिल में बैठ गया , कि जाने मेरा साथ क्या होगा ? मुझे बहुत चिन्ता और डर सताने लगा | तभी महाराजजी मेरे सामने आ गये और बोले,” डरो मत , डरो मत ! बहादुर बनो ! तुम क्यूँ डर रहे हो ? क्या तुम मुझे नहीं जानते ? मैं तुम्हारे साथ हूँ !” तब वे मुझे समझाने लगे कि ,” कैसे श्री राम अपने भक्तों की लाज रखते हैं | फिर बोले कि वो भी इसी तरह हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं | अगर वो सौ ख़ून कर के अपना गुनाह क़बूल कर लेगा | तब भी वे उसको बचाएंगे |”
श्री नीम करोली बाबाजी के अनुसार ,” अपने गुरूजी पर पूरी तरह विश्वास कर , डर को अपने मन से निकाल दो | गुरूजी हर तरह से अपने शिष्य की रक्षा करते हैं |