श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 11 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 12,13,14 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -12
रमा जोशी के पति सरकारी दौरे पर इलाहाबाद से बाहर थे । ईसाइयों का बड़े दिन का त्यौहार था वाई. एम. सी.ए. में। रमा जोशी के सबसे बड़े लडके मन्नू ( भारत भूषण,) उस समय केवल 14- 15 वर्ष का था , उन्हें वहां बाँसुरी वादन करने हेतु आमंत्रित किया गया था । रमा जोशी बहुत ज्यादा मना किया रात को 5-6 मील जाने को – कि आधी रात में लौटेंगे , ये जाड़ों की सुनसान रात है , मैं अकेली हूँ – अगर कुछ हुआ तो क्या कर पाऊंगी ?” पर वह लड़का ज़िद पर अड़ा ही रहा । गुस्से में आकर उस लड़के के आगे चाबी फेंक कर रमा जोशी बोलीं ,” दे जाना ये चाबी मुझे दादा के घर पर , मैं वही पर मिलूंगी ।” और रमा जोशी जी चलीं गईं महाराजजी के पास ।
रात के समय मन्नु जी वहाँ आए और श्री नीम करोली बाबाजी को प्रणाम कर रमा जोशी जी को चाबी देने लगे तो मैंने श्री नीम करोली बाबाजी से शिकायत की कि ,” बाबाजी ये यहाँ से 5-6 मील दूर जा रहा है वो भी आधी रात में, रास्ता बहुत ही सुनसान है अगर रास्ते में कुछ हो गया तो मैं क्या कर पाऊंगी ?” इसे मना कर दीजिए ।” तब बाबा ने मन्नू से पूछा ,” कहाँ जा रहे हो ?” उसने बता दिया तो बाबा बोले,” जाओ! जल्दी आना । तुम्हारी माँ को अत्यन्त चिन्ता होगी ।” मन्नु अत्यन्त ही प्रसन्न होकर बाबा जी को प्रणाम कर भागा । महाराजजी की ये लीला देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए और रमा जोशी जी के भी आश्चर्य का ठिकाना ना रहा। तभी बाबाजी रमा जोशी जी से बोले, कि ये क्या कम बात है कि ये बता कर जा रहा है ?” सभी लोग श्री नीम करोली बाबाजी की बातें सुनकर हँसने लगे । तभी बाबा उनसे कुछ गुस्से में बोले,” हंस क्यूँ रहे हो ? इसके तो बता कर जाँयेगे पर तुम्हारे तो बाहर से ताला मारकर सिनेमा देखने चले जाँयेगे । तुम सोते रह जाओगे।
और इस समय में हो भी यही सब रहा है | श्री नीम करोली बाबा जी आने वाली नयी पीढ़ी के बारे में पहले से ही अवगत थे । दादा से महाराजजी ने कहा भी था ,” दादा ! जवानी पर किसी का ज़ोर नही । इनसे ज़्यादा न बोलना – तुमको भी मारेंगे और मुझे भी मारेंगे ।!!
और आगे बोले,” अक्कल और उमर की भेंट नहीं होती ।”
जय गुरूदेव
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -13
महाराजजी अपने हर भक्त का ध्यान कई तरीक़ों से रखते थे । कुछ भी उनकी दृष्टि से छिपा नहीं था । एक दिन एक भक्त श्री कैंची आश्रम में श्री नीम करोली बाबाजी के दर्शन को जा रहा था । तभी सड़क के बिलकुल किनारे एक पकौड़े की दुकान पर रूक कर वह पकौड़े खाने लगा । कुछ दिनों दिनों से वह बहुत ही ज्यादा पकौड़े खा रहा था । कुछ समय पश्चात वह श्री कैंची आश्रम पहुंचा। श्री नीम करोली बाबा जी के पास पहुंचते ही सबसे पहले महाराजजी ने उससे कहा,” क्या तुम पकौड़े खाते हो? तुम इस तरह की चीज़ें काफी समय से खाते आ रहे हो , तुम ये क्यूँ खाते हो ?” तुम अपने पेट को पूरी तरह से ख़राब कर रहे हो ।” वह भक्त अत्यन्त ही घबरा गया और सोचने लगा कि श्री नीम करोली बाबा जी ये सब बातें कैसे जानते हैं और उस दिन से उस भक्त ने ये सब खाना छोड़ दिया ।
श्री नीम करोली बाबा जी की हर पल अपने भक्तों पर नजर रहती है । हर भक्त के अच्छे बुरे का ध्यान रहता है उनको ।
जय गुरूदेव
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -14
एक बार की बात है श्री होतृदत शर्मा जी को किसी व्यक्ति ने कह दिया कि चलते वक्त श्री नीम करोली बाबा जी के पाँव ज़मीन से काफ़ी उपर रहते है ।
शर्मा जी वृन्दावन में एक दिन इसी शंका में सोच में पड़े थे कि बाबा जी ने उन्हें अपने साथ घूमने के लिये बुला लिया । शर्मा जी को पकड़े हुए श्री नीम करोली बाबा जी आश्रम के पीछे मैदान में चले गए जहां गोखरू-करील बहुत ज्यादा मात्रा में थी । स्वाभाविक सी बात थी की थोड़ी ही दूरी पर ही शर्मा जी के पाँवों मे कांटे घुसने लगे और रक्त भी चालू हो गया । कांटे निकालने के लिये शर्मा जी श्री नीम करोली बाबा जी को छोड़कर रूके तो अनजान बने महाराजजी ने उनसे पूछा ,” पंडित रूक क्यूँ गये ?” शर्मा जी ने कहा बाबाजी पांव मे कांटे घुस गये हैं। उन्हें निकाल रहा हूं।” तब श्री नीम करोली बाबा जी उन्हें देखते हुए बोले,” ओहो ! हमारे तो नहीं लगे कांटे, तुम्हारे कैसे लग गये ?” और मुस्कुरा पड़े।
शर्मा जी तभी लीला का सार समझ गये — शंका दूर हो गयी ।
सबके मन की किताब श्री नीम करोली बाबा जी ने पढ़ी हुई है | लीला रच देते हैं लीलाधारी ।
जय गुरूदेव