Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 8,9,10,11

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 7 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 8,9,10,11 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -8

हरिप्रया बताती है कि कुछ औरतों के साथ वह हरिद्वार घूमने गईं। वे सब औरतों अन्धेरे मुह ही श्री गंगा माताजी के स्नान को चल देती थी । एक दिन वह सब अन्ध़ेरे में ही स्नान करने चली गईं । रोशनी का वहाँ नामोनिशान नहीं था । हरिप्रया स्नान करते करते हुए कुछ आगे बढ़ गईं तभी उनका संतुलन बिगड़ गया । वे अत्यन्त ही तेज़ धारा होने के कारण बह निकलीं और ज़ोर से चिल्लाईं ,”अरे मैं तो बह गई ! कोई बचाओ मुझे ।” यह सुनकर साथ आई अध्यापिका उन्हें बचाने नदी में कूद गईं । लेकिन हरिप्रिया का भार ज़्यादा था , उन्होंने भय से उसे जकड़ लिया और वो भी हरिप्रिया के साथ डूबने लगीं। हरिप्रिया ने बताया कि कुछ देर में हम अचेत हो गये , जब हम होश में आए तो हम किनारे की ओर पड़े हुए थे ।

तब साथ की महिलाओं ने बताया कि लीला माई रोते हुए चिल्लाते हुए बोलीं कि -” महाराज हरिप्रिया डूब रही है उसे बचाओ । महाराज आओ, तभी सहसा कम्बल ओढ़े एक आदमी पानी में कूद गए और दोनों को बचाकर पेट का पानी निकाला और चले गए , फिर नज़र नहीं आए।

इस लीला को स्वयं श्री नीम करोली बाबाजी ने बताया। आगे हरिप्रिया बताती हैं कि हम श्री कैंची धाम लौटकर जब श्री नीम करोली बाबाजी को प्रणाम करने पहुंचे तो प्रणाम करते ही श्री नीम करोली बाबा जी बोले,” – चली जाती है आधी रात को ही स्नान करने। फिर हमें बचाना पड़ता है ।”

जय गुरूदेव

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -9

श्री इफ़्तिख़ार हुसैन जो उत्तर प्रदेश के आई ए एस थे एक बार नैनीताल से श्री नीम करोली बाबाजी के दर्शन करने हेतु श्री कैंची धाम जाने को तैयार हुए। श्री नीम करोली बाबा जी को अर्पित करने के लिये उन्होने कुछ आम ख़रीदे । जिनमें एक आम थोड़ा अलग था जो उन्हें अत्यन्त ही पसन्द आया । उन्होंने सोचा कि अगर बाबा उन्हें यही आम प्रसाद के रूप में दे तो उन्हें असली फकीर मान जायेंगे । ये उनको पता था कि श्री नीम करोली बाबा जी उनको प्रसाद के रूप में पूरी – सब्ज़ी खिलाते हैं लेकिन उनके मन में एक बात और आयी कि महाराजजी गर्मा गर्म हलवा भी खिला दे तो बात पक्की हो जायेगी । उनके आश्रम पहुंचने से पहले ही श्री नीम करोली बाबा जी हलवा बनाने के लिये बोल चुके थे । जब इफ़्तिख़ार साहिब आश्रम पहुंचे को बाबा अपनी कुटिया में बन्द थे । थोड़ी देर में दरवाज़ा खुला तो सभी लोग अन्दर चले गये । इफ़्तिख़ार साहिब ने जैसे ही आम बाबा के चरणों में रखे तो बाबा ने मुस्कुराते हुए उनका प्रिय आम उनके हाथों में दिया । ये देखकर वे आश्चर्यचकित हुए और बोले हुज़ूर , मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हुई ।” बाबा ने तुरन्त गर्मा गरम हलवा मंगवाकर उन्हें खाने को दिया । इफ़्तिख़ार साहिब की आँखों में आंसू आ गये । और वे विनीत भाव से अपनी ग़लतियों की माफ़ी मांगने लगे ।

जय गुरूदेव

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -10

श्री कैंची आश्रम में साधारण छोटा सा कमरा था जिसमें बाबा होते थे और उसे अपना ऑफिस कहते थे । कमरे मे ही खिड़की थी जो अन्दर की तरफ खुलती थी जिसे बाबा खोल कर वहाँ बैठ कर बाहर की तरफ़ मुंह करके भक्तों को दर्शन देते थे । बाबा कभी – कभी उस कमरे में ख़ूब उछलते थे बन्दर की तरह , जैसे बन्दर पिंजरों में बन्द होता है और खिड़की के सलाखों पर ज़ोर ज़ोर से टक्कर मार कर दबाव डालते थे । और कभी जब कोई उनके दर्शन करने खिड़की पर आता तो वे दरवाज़ा बन्द कर देते । लीला धारी की लीला कोई नहीं जान सकता ।

जय गुरूदेव

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -11

जो कोई भी माई श्री नीम करोली बाबाजी की देखभाल करती थीं उन्हें सभी माँ के नाम से सम्बोधित किया करते थे । एक दिन की बात है श्री नीम करोली बाबाजी को देखने एक डाक्टर साहब आये और उन्होंने उन्हें सुबह 10 बजे दवा लेने को कहा । ये सब कार्य एक माँ के ज़िम्मे था । लेकिन अगले दिन सुबह उस माँ ने महाराजजी को दवा दस मिनट देर से दी । तब महाराजजी ज़ोर से ग़ुस्से में बोल उठे ,” अगर तुम लोग मेरी देखभाल अच्छे से , समय से नहीं कर सकते तो मै तुम्हारे दिमाग़ को, सोच को अपने विरूद्ध कर दूंगा।” इस तरह की धमकी बाबा ने भक्तों को दी , जो भक्तों को कभी स्वीकृत नहीं थी । यानी बाबा जी ने सभी को समझा दिया की सभी के दिमाग़ की चाबी मेरे पास है मैं उसे घुमा सकता हूं।

जय गुरूदेव

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