श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1,2,3,4 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 5,6,7 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -5
श्री नीम करोली बाबा जी की अद्भुत लीलाएं देखकर ,रजनी जोशी उनसे पूछती हैं ,”””बाबाजी आप कौन हैं ?”
बाबा अक्सर मुस्कुरा देते थे । एक दिन रजनी ने फिर यही प्रश्न किया , तो महाराज सुबह से ही रजनी को अपने साथ ले चले ।एक दे घरों में अपनी लीलाएं करने के बाद बाबा जी रजनी को शिवदत मण्टन जी के घर ले गये और सीधे उनके पूजा घर में ले गये । वहाँ रजनी ने देखा कि मण्टन जी की पत्नी महाराजजी के चित्र के सम्मुख वीरासन में बैठी अवरिल अश्रुपात करती रामायण का वे प्रसंग पढ़ रही हैं जहाँ शबरी श्री राम जी की अराधना कर रही हैं । एक पुरानी सी धोती पहने शबरी की तरह ही प्रसाद रख कर वे अक्सर पाठ करती थीं। श्री नीम करोली बाबा जी और रजनी कुछ देर तक वे भाव-विभोर होकर पाठ सुनते रहे । उधर श्री नीम करोली बाबाजी बाबा की आँखों से अश्रुधारा बहती रही।
तभी श्री नीम करोली बाबा जी रजनी से बोले,” अब समझी न तू ? ( कि मैं कौन हूँ)” उनकी बातें सुनते ही श्रीमति मण्टन बाबा के चरणों में लिपट गई शबरी की तरह ।
राम !! राम !! राम !!
जय गुरूदेव
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -6
एक पश्चिमी महिला भक्त वृन्दावन में श्री हनुमान भगवान जी की मूर्ति के सामने बैठी हुई थी श्री नीम करोली बाबा जी के दर्शन की इच्छा दिल में संजोये हुए। किन्तु उन दिनों श्री नीम करोली बाबाजी पाश्चात्य लोगों के दर्शन नहीं दे रहे थे । लेकिन महिला वहीं बैठी रही सिर झुकाये भजन गाती हुई । उसी समय वहाँ कुछ हलचल हुई । महिला भक्त ने सिर उठा कर देखा तो उसके सामने श्री नीम करोली बाबाजी खड़े थे – मुस्कुराते हुए। महाराजजी ने आकर दर्शन दिया , ये सोचकर उसे असीम आन्नद हुआ । उसके हर्ष की कोई सीमा नहीं रही जब महाराजजी ने सिर तान कर अंग्रेज़ी में कहा ,’ टू मच’ ( बहुत हो गया )
जय गुरूदेव
रहस्यदर्शी श्री नीब करौरी बाबा
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -7
एक बार की बात है हल्द्वानी देवी आइल मिल्स मे श्री नीम करोली बाबा जी सभी भक्तों से घिरे हुए बैठे थे । इतने में कंप कंपाती देह के साथ एक वृद्ध दरवाज़े पर आया , श्री नीम करोली बाबाजी ने उसे अपने पास बुलाकर अपनी बग़ल में तख्त पर बैठा लिया ।
“कुछ खाने को है तेरे पास ?” श्री नीम करोली बाबा जी ने वृद्ध से पूछा । उसने न में गर्दन हिला दी । श्री नीम करोली बाबाजी बाबा बोले ,”कहाँ है तेरा लोटा ? ला दे । “वृद्ध ने अपने छोटा सा पीतल का लोटा श्री नीम करोली बाबा जी की तरफ़ बढ़ा दिया। बाबा ने उस लोटे को अपनी हथेली से ढक दिया और उस वृद्ध को देते हुए बोले ,” इसे ऐसे ही अपने साथ ले जा , और किसी को मत दिखाना और तू भी घर पहुंचने के बाद ही देखना ।”और वह वृद्ध लोटे को वैसे ही लेकर वहां से चला गया।
तीन दिनों के बाद वह वृद्ध वापस श्री नीम करोली बाबाजी के पास वापस आया। इस बार उसके चेहरे मे चमक थी । आते ही श्री नीम करोली बाबा जी के चरणों से लिपट गया और बोला ,”अरे बाबा ! आप तो भगवान हैं । आपके यहां श्री लक्ष्मी माताजी का वास है ।”कई बार ऐसा कहता रहा और बाबा जी के चरण दबाता रहा । बाबा मुस्कुराते हुए बोले ,” अब जा ।”सब हैरान आख़िर क्या लीला चल रही है बाबा की । तभी बाबा की आज्ञा हो गई ,”कोई न जाना इसके पीछे ।”” और बोले,” पूरन इसे घर पहुंचा दे ।”
पूरन जी के मन में उत्सुकता थी बाहर आकर वृद्ध से पूछा,”क्या हुआ था उस रोज़ ?” पहले तो वे झिझका , फिर मुस्कुराते हुए बोला,” घर जाकर जब हमने लोटे के बीच देखा तो उसमें १० रू. थे ! उस समय ये पैसे बहुत हुआ करते थे । , ” मैंने जी भर कर ख़र्च किया , ख़ूब खाया पिया और पूरा ख़त्म कर दिया । दूसरे दिन देखा तो उसमें फिर १० का नोट था । और कल भी । बाबा जी ने कान में कहा था ,” जब तुझे ज़रूरत हो , लोटे से ले लेना ।”
जय गुरूदेव
रहस्यदर्शी
श्री नीब करौरी बाबा जी