श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कुछ कथायें ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) इस प्रकार हैं –
Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या -1
श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कुछ कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) ,कथा संख्या -1
एक बार श्री कैंची धाम आश्रम मे श्री नीम करोली बाबाजी से किसी ने पूछा कि महाराज जी आपका कोई सत्संग नहीं होता तो इस बात पर श्री नीम करोली बाबाजी बोले
,” यहाँ यही सत्संग है , आओ, खाओ और जाओ ।” श्री नीम करोली बाबा जी ने कभी किसी पर उपदेश , आदेश , सत्संग जैसा कुछ नहीं थोपा । महाराज जी द्वारा भक्तों को कभी भी किसी प्रकार के नियमों में बाँधा नहीं जाता था । बस भोलेपन से भगवान की भक्ति करो । साधना को श्री नीम करोली बाबाजी एक आम आदमी के लिये बहूत ही कठिन बताते थे । महाराजजी कहते थे कि पागल हो जाओगे । बस राम राम जपते रहो। यही भक्ति कर लो । झूठ झूठ राम बोलो। एक दिन अपने आप सच्चा राम निकल ही जायेगा , उसी क्षण तुम्हें प्रभु राम मिल जायेंगे । श्री नीम करोली बाबाजी दुनिया में सबको हमेशा आडंबरो , प्रपंचो से बचाते थे और महाराज जी बस भक्ति मार्ग को ही ईश्वर प्राप्ति का एक मात्र साधन बताते थे । भक्ति से श्री नीम करोली बाबाजी का तात्पर्य था श्री राम नाम , चाहे वे किसी रूप मे हो – रामायण, सुन्दरकांड , हनूमान चालीसा , कुछ भी । बस श्री राम नाम का उच्चारण यही रास्ता था श्री नीम करोली बाबाजी को पाने का , प्रभु श्री राम को पाने का , प्रभु श्री हनुमान को पाने का ।” बस बाबा को प्रसन्न करना है तो भक्ति की राह पर चल पड़िये । श्री नीम करोली बाबाजी स्वंय आप का हाथ पकड़ लेंगे । आप अपना सिर्फ एक क़दम देंगे तो महाराज जी दस क़दम आपके लिए आगे बढ़ेंगे ।
श्री नीम करोली बाबा की जय
Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या -2
श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) ,कथा संख्या -2
एक बार की बात है प्रयाग मे १९६६ में लगे कुम्भ के मेले में श्री नीम करोली बाबाजी का कैम्प संगम पर श्री गंगा माता जी के दूसरी तरफ़ झूँसी पर लगा था । रात्रि का प्रहर अधिक हो चला था । श्री नीम करोली बाबाजी का दरबार चल रहा था । उस समय श्री ब्रह्मचारी बाबाजी ने एक भक्त के कान में धीरे से बोला कि यदि इस समय सब को चाय मिल जाती तो बहुत अच्छा था । उस समय बहुत ही ज्यादा सर्दी थी। भण्डारे में दूध उपलब्ध नहीं था । उसी समय श्री नीम करोली बाबाजी बोले ,” चाय पियेगा ? जा, बालटी ले जा , श्री गंगा माताजी से दूध भर कर ले आ , कह देना , मईया दूध ले जा रहा हूँ , कल लौटा दूँगा ।” श्री ब्रह्मचारी बाबाजी ने तुरंत उनकी आज्ञा का पालन किया । जैसे ही वे श्री गंगाजल से भरी बाल्टी लेकर आये तो बाबा ने उसे ढक कर रखने को कह दिया । कुछ समय बाद श्री नीम करोली बाबाजी उन्हें याद दिलाते हूये बोले ,” अब क्यूँ नहीं चाय बना रहा ?” वे तुरन्त पानी आग पर रख कर आये और दूध के लिये चिन्तित हो गये । पानी उबल जाने पर उन्होने बाल्टी का ढक्कन उठाया तो उन्हें वे बाल्टी पूरी दूध से भरी दिखाई दी । सब लोगों ने माघ की उस ठण्डी रात में चाय का आन्नद लिया । और सभी इस लीला से चकित थे । दुसरे दिन जब कैम्प में दूध आया तो श्री नीम करोली बाबाजी ने एक बाल्टी दूध श्री गंगा माताजी में डलवा दिया ।
जय गुरूदेव
Shree Neem Karoli Baba ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या-3
श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) ,कथा संख्या -3
एक स्त्री जो कि श्री नीम करोली बाबा जी की परम भक्त थी और वो अपने बचपन से ही मंत्र का जाप करती थी । श्री नीम करोली बाबाजी के शरीर छोड़ने से 15 दिन पहले वे उनसे मिली , श्री नीम करोली बाबाजी ने उसे अपने पास बुलाया और बोले ,” मेरे पास एक नया मंत्र है , क्या तुम उसे करोगी । वे बोली ,” महाराजजी मैं तो बचपन से ही मंत्र जाप कर रही हूँ , तो मै इसे अब कैसे बदल सकती हूँ ।”
बाबा बोले,” मेरे पाँव छुओ । ” उसने यही किया । यही नया मंत्र था । जो महाराजजी द्वारा उसे दिया गया ।” बाबा द्वारा दिये गये मंत्र को समझना किसी के बस में नही । पर इतना अवश्य कि दुनिया की सारी नेमते यही मिलती है ।
जय गुरूदेव
Shree Neem Karoli Baba ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या -4
श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) ,कथा संख्या -4
एक बार श्री रामदास श्री नीम करोली बाबाजी के सामने बैठे थे । श्री रामदास बताते हैं कि श्री नीम करोली बाबाजी ने मूझसे कुछ प्रश्न पूछे,फिर एकाएक श्री नीम करोली बाबाजी मुस्कुराए ,आगे की और झुके ,और मेरे माथे पर तीन बार थपथपाया । बस इतना मात्र ही।इस प्रकार इन थपकियों से श्री नीम करोली बाबाजी ने श्री रामदास जी के मन के बन्द परदों को खोल दिया जिससे कि वे आध्यात्म की सुक्ष्म तंरगो को प्राप्त कर पाएं और पश्चिमी देशों की भलाई के लिये उनको समझा सके ।
बस वो स्पर्श और राम दास का जीवन बदल गया ।
जय गुरूदेव