श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 110 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 111,112,113 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -111
सर्वशक्तिमता ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक बार की बात है श्री हबीबुल्ला खां , जो श्री नीम करोली बाबा जी के गाड़ी चालक थे, एक बार रात में श्री नीम करोली बाबा जी ने उन्हें उठाया और आगरा होकर लौट आने की ईच्छा उनसे व्यक्त की | श्री नीम करोली बाबाजी ने कहा ,” पांच मिनट का काम है दिन निकलते ही यहां पहुंच जाएंगे |” आप लोग अंधेरे में ही आगरा पहुंच गये | श्री नीम करोली बाबाजी ने गाड़ी खड़ी करवा कर श्री हबीबुल्ला जी को साथ चलने को कहा लेकिन श्री हबीबुल्ला जी ने मना कर दिया क्योंकि उनके पेट में दर्द हो रहा था | उन्होंने श्री नीम करोली बाबा जी से पूछा , वे कितने देर में वापस आयेंगे | श्री बाबाजी ने कहा “आधे घण्टे मे “| श्री हबीबुल्ला ने कहा वृन्दावन में तो पांच मिनट बता रहे थे और यहां आधा घंटा बता रहे हैं | ” श्री नीम करोली बाबाजी बोले ,
” तू पद्रंह मिनट तक इन्तज़ार करना यदि हम नहीं आये तो तू वृन्दावन चले जाना ।”
श्री हबीबुल्ला जी ने पच्चीस मिनट तक श्री नीम करोली बाबाजी का इंतजार किया पर श्री बाबाजी नही आये , उनके पेट में दर्द था सो वे वापस लौट गये | वृन्दावन आश्रम में गाड़ी खड़ा कर जब श्री हबीबुल्ला भीतर गये तो श्री नीम करोली बाबाजी वहां तख़्त पर बैठे भक्तों से बातें कर रहे थे | वे हैरान हो गये पर वे पेट दर्द से परेशान थे सो बिना बोले अन्दर चले गये |श्री बाबाजी उसकी नाराज़गी को जान गये , उन्होंने एक आदमी को अन्दर भेज कर श्री हबीबुल्ला जी को बुलवाया | श्री हबीबुल्ला जी ने उस व्यक्ति से पुछा , श्री बाबाजी आगरा से कब आये ?” वह व्यक्ति श्री हबीबुल्ला जी से बोला श्री महाराजजी गये कहां थे , श्री नीम करोली बाबाजी तो लोगों को सुबह से दर्शन दे रहे हैं|” उस व्यक्ति का उत्तर सुनकर श्री हबीबुल्ला जी चकित रह गये |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -112
श्रीमति रक्षा रतूडी को बाबा जी ने स्वपन मे दर्शन देकर मंत्र दे दिया ! उन्हे आदेश दिया कि ( स्वपन मे) स्त्रोत- रत्नाकर का अमुक पृष्ठ खोलो , उसे खोल कर ” रामरामेति रामेति रमे रामे मनोरमे , सहस्त्र नाम त्तयुलयं राम नाम वरानने”. पढ़ने के साथ श्री राम मंत्र भी उपलब्ध करा दिया | इसी स्वप्न के साथ-साथ श्री रक्षा रतूड़ी ने यह भी देखा कि एक विशिष्ट स्थान पर यज्ञ -हवन हो रहा है और श्री नीम करोली बाबाजी ने उनसे उस हवन मे तीन बार आहुति भी डलवाई साथ मे खिचड़ी प्रसाद खाने को दिया | नींद खुलने पर उन्हे वे मंत्र याद रहा | वह स्थान भी याद रहा जहां हवन हो रहा था |
तीसरे दिन ही श्री रक्षा जी अपने पति के साथ नैनीताल किसी काम से गईं तो श्री कैंची धाम दर्शनों को भी आ पहुंचीं | श्री सिद्धि मां को अपना स्वपन सुनाया तो श्री सिद्धि मां उन्हे यज्ञशाला ले चलीं | वहां जाकर रक्षा जी ने पाया कि ये वही यज्ञशाला और हवनकुंड हैं जो उन्होने स्वप्न मे देखे थे | तब श्री सिद्धि मां ने उनसे वह स्वप्न पूरा कराते हुए उस हवन कुंड मे तीन आहुतियां भी डलवाई तथा खिचड़ी प्रसाद भी पवाया | इस तरह श्री नीम करोली बाबा जी का ये स्वप्न नही सच था |
श्री नीम करोली बाबा जी का स्वप्न अर्थात श्री नीम करोली बाबा जी के साक्षात दर्शन |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -113
हनुमान विग्रह मे बाबा के दर्शन ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक भक्त कर्नल एस.एस चिन्वान बताते हैं कि एक बार सन् १९६९ मैं अपने पत्नी और बच्चों के साथ श्री नीम करोली बाबा जी के दर्शन करने श्री कैंची धाम आश्रम आए | उनके बच्चे बहुत छोटे थे | वे दोनों पति-पत्नी के श्री नीम करोली बाबाजी प्रणाम करने के बाद उनके दोनों बच्चों ने बिना कहे श्री नीम करोली बाबा जी के चरणों मे दण्डवत प्रणाम किया | श्री नीम करोली बाबा जी प्रसन्न हुए और उन्हे आशीर्वाद देते हुए कहा कि ,” ये जीवन मे अच्छी प्रगति करेंगे और उच्च पद प्राप्त करेंगे |” और सच मे बाद मे उनकी वाणी सार्थक हूई और इसके बाद श्री बाबा जी उनसे बोले ,”तू तो नास्तिक है , तुझे इन बातों पर विश्वास नही है | ” मैंने उनकी बात का समर्थन करते हुए कहा ,” श्री बाबा वास्तव मे मै इन सब बातों पर विश्वास नही कर पाया | श्री बाबा जी ने तुरंत हमें विदा करते हुए कहा ,” अब जाओ श्री हनुमान भगवानजी के दर्शन करो|” वे भक्त श्री हनुमान भगवानजी के विग्रह के सामने खड़े हो गये पर उन्हें श्री हनुमान भगवानजी वहां नजर नही आये | उस स्थान पर हमे साक्षात मूर्तिवत श्री बाबा जी के दर्शन हुए और वे भक्त मूक से श्री बाबा जी के दर्शन करते रहे | इस घटना से उन भक्त की विचारधारा मे परिवर्तन हो गया क्योंकि श्री बाबा जी ने चेटक दिखा कर एक नास्तिक को आस्तिक जो बना डाला था |