Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain : भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji ) को जल क्यों चढ़ाया जाता है :

हम सभी भक्तगण भगवान श्री भोलेनाथ को जल क्यों चढ़ाते हैं ( Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain )  क्योंकि जल श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) को अत्यन्त प्रिय है | हमारे वेद पुराणों में इसके पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं कि भगवान श्री भोलेनाथ को जल क्यों चढ़ाते हैं ( Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain ) | इस लेख में हम जानेंगे कि भगवान श्री भोलेनाथ को जल क्यों चढ़ाते हैं ( Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain ) ?

भगवान श्री शिव जी ( Shree Shiv Ji) को जल अर्पित करने का कारण : Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain

भगवान श्री भोलेनाथ को जल क्यों चढ़ाते हैं (Bhagwan Shree Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain) इस विषय में श्री शिव महापुराण में एक प्रसंग आता है कि जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन कि या तो उसमें से जो पहले रत्न निकाला वह था हलाहल यानी कालकूट विष | जब विष निकला तो सभी देवताओं और असुरों में अत्यंत भय उत्पन्न हो गया क्योंकि विष इतना गर्म और जहरीला था कि इसके प्रभाव से वातावरण का रंग बदलने लगा और बहुत गर्मी उत्पन्न होने के कारण तापमान बढ़ने लगा जो की सभी देवताओं और असुरों के लिए चिंता का कारण बन गया , फिर सभी देवता भगवान श्री विष्णु के पास जाते हैं और इसका समाधान करने के लिए प्रार्थना करते हैं कि इस कालकूट विष को कौन रखेगा तब भगवान श्री विष्णु उन्हें यह बताते हैं कि इस कालकूट विष को सिर्फ एक ही देव धारण कर सकते हैं और वह हैं भगवान श्री शिव जी(Shree Shiv Ji) तुम सब भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) के पास जाओ और उनसे प्रार्थना करो | फिर सभी देवता भगवान श्री शिव  के पास जाते हैं और उन्हें सारी बात बताते हैं और भगवान श्री शिव  से प्रार्थना करते हैं कि हे भोलेनाथ हम सब पर दया करिए, इस कालकूट विषय हमारी रक्षा करें | भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) बहुत ही भोले हैं और अपने भक्तों पर बहुत जल्दी दया करने वाले हैं इसीलिए उनका दूसरा नाम भोलेनाथ है ,वे देवताओं और असुरों के साथ-साथ समस्त पृथ्वी-लोक की रक्षा करने के लिए विष कलश को अपने हाथ में लेते हैं और कालकूट विष पी लेते हैं लेकिन विष को अपने कंठ से नीचे नहीं जाने देते हैं और अपने कंठ में ही रोक लेते हैं | समस्त देवता, भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) की जय-जयकार करने लगे | जब भगवान श्री शिव विषपान कर रहे थे तो तभी विष की कुछ बूंदे धरती पर भी गिरती है जिससे जहरीले जीव, सांप, बिच्छू और छिपकली इत्यादि का जन्म भी हुआ , इनमें से सबसे जहरीला जीव सांप है जिसको की भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) ने अपने गले में धारण किया | कालकूट विष पीने के कारण भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) का कंठ नीला पड़ गया ,तभी से भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) को नीलकंठ नाम से जाना जाता है | कालकूट विष पीने के बाद भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) के शरीर का ताप अत्यधिक बढ़ जाता है और उन्हें भयंकर गर्मी लगने लगती है वह अपने आपको ठंडा करने के लिए श्री चंद्रमा भगवान को अपने सिर पर धारण करते हैं, जिससे उन्हें ठंडक मिलती है लेकिन फिर भी उनके शरीर का ताप काफी अधिक रहता है, यह देखते हुए सभी देवता भगवान श्री शिव को शीतल करने की बहुत कोशिश करते हैं लेकिन भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) को शीतल नहीं कर पाते हैं यह देखकर भगवान श्री विष्णु तब देवराज श्री इंद्र से कहते हैं कि हे इंद्रदेव आप भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) के ऊपर अपनी निर्मल जलधारा प्रवाहित करें | भगवान श्री विष्णु की आज्ञा पाकर देवराज श्री इंद्र भगवान श्री शिव (Shree Shiv Ji) के ऊपर जलधारा की अत्यधिक वर्षा करते हैं जिससे भगवान श्री शिव को अत्यधिक शीतलता मिलती है और भगवान श्री शिव , देवराज श्री इंद्र पर अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं फिर भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) के ताप को कम करने के लिए सभी देवता भगवान श्री शिव के ऊपर दूध चढ़ते हैं और उनके मस्तक और शरीर पर चंदन और कुमकुम आदि का लेप लगते हैं, इससे भी भगवान श्री शिव को अत्यधिक शीतलता मिलती है फिर भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) सभी देवताओं पर प्रसन्न होते हैं और कहते हैं कि है सभी देवों तुमने जो कुछ भी मुझे अर्पण किया उससे मुझे अत्यधिक शीतलता प्राप्त हुई और मेरा ताप अत्यधिक शांत हुआ मैं तुम सभी पर अत्यंत प्रसन्न हूं और तुम्हें विजयी होने का वरदान देता हूं | फिर भगवान श्री शिव (Shree Shiv Ji) कहते हैं कि जो भी भक्त मुझ पर जल और दूध का अभिषेक करेगा और चंदन कुमकुम का लेप लगाएगा उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी, सभी देवता और असुर भगवान श्री शिव  की जय जयकार करते हैं तभी से भगवान श्री शिव पर जलाभिषेक किया जाता है | भगवान श्री भोलेनाथ को जल क्यों चढ़ाते हैं ( Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain ) इसका यही कारण है | सभी लोग भगवान श्री शिव  के ऊपर दूध और जल चढ़ाते हैं और चंदन, कुमकुम का लेप लगते हैं, जिससे भगवान श्री शिव जी  अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर दया करते हैं और उनको अपार खुशियां प्रदान करते हैं | इस लेख में हमे यह पता चला कि भगवान श्री भोलेनाथ को जल क्यों चढ़ाते हैं ( Bholenaath Ko Jal Kyun Chadhate Hain ) |

भगवान श्री विष्णु जल अर्थात क्षीरसागर में निवास करते हैं और भगवान श्री शिव  भी जल में निवास करते हैं लेकिन भगवान श्री शिव जी (Shree Shiv Ji) जमे हुए जल अर्थात बर्फ में निवास करते हैं और बर्फ अत्यंत ही ठंडक प्रदान करती है, तब से ही भगवान श्री शिव जी बर्फीले कैलाश में निवास करते हैं |

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