Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 29,30,31,32

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 28 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 29,30,31,32 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -29

 

एक बार श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) के भक्त बाबा जी (Baba Ji) के दरबार में बैठे उनके दर्शनों पाकर अत्यन्त ही आन्नदित हो रहे थे । अचानक एक साधू महात्मा शरीर में भस्म लगाये हुए हाथ मे त्रिशुल लिये हुए दौड़ते हुए महाराज जी (Maharaj Ji) के बिल्कुल पास आए और उन्हें प्रणाम किया अभी भक्त कुछ समझते , पल भर में बाबा जी (Baba Ji) को प्रणाम कर अदृश्य हो गाए। सभी भक्त इस क्षणिक दर्शनों से अचंभित और आन्नदित हो गये ।

श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) के दरबार मे देवता भी कोई न कोई रूप परिवर्तित कर अपने दर्शन देते पर बाबा जी (Baba Ji) के सिवा कोई नहीं जान पाता था ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -30

 

बाबा जी (Baba Ji) किसी भी स्त्री की मान मर्यादा का सम्मान करने को कहते थे । हमेशा अपनी पत्नी , माँ , बहन , बेटी की इज़्ज़त करो । बाबा जी (Baba Ji) के द्वारा कहे कुछ शब्द :-
“एक औरत अपने पति की सेवा करती है , वो भगवान की सेवा करने के बराबर है “|
” जो पत्नी अपने पति के प्रति ईमानदार है ( पतिव्रता ) वे सौ योगियों से भी उपर है ।”
” माँ भगवान का रूप होती है क्यूँकि माँ और भगवान ही हमारी हमारी गलतियों को माफ़ कर देते हैं ।”
” कई बार माईयां , महाराज जी को स्वंय भोजन खिलाती थी । बाबा जी (Baba Ji) कहते,” मैं स्वंय खा सकता हूँ पर माईयां मूझे स्वंय खिलाती है क्यूँकि हर औरत माँ का रूप है ।”

महाराज जी (Maharaj Ji) उन पुरुषों पर हमेशा क्रोधित होते थे जो अपनी पत्नियों पर ग़ुस्सा हुआ करते थे क्योंकि श्री नीम करोली बाबा जी (Baba Ji) के अनुसार पत्नी लक्ष्मी का रूप होती है ।

एक बार मेरे दामाद बाबा जी (Baba Ji) के दर्शन करने गये तो बाबा जी (Baba Ji) ने उनसे बात नहीं की । आख़िर में बोले,” कहाँ है मेरी बेटी? तुम यहाँ अकेले पहाड़ों पर मस्ती करने आये हो । जाओ वापस और मेरी बेटी को साथ लेकर आओ ।”औरत की हमेशा इज़्ज़त किया करो वे हर रूप में आदिशक्ति होती हैं , जो पुरुष का उद्धार किया करती हैं।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -31

श्रीमती अशोका जो कि उस समय भारतीय आकाशवाणी दिल्ली में कार्यरत थीं बताती हैं कि आप सन १९७१ में श्री कैंची धाम (Shree Kainchi Dham) आयी हुईं थीं | वे श्री राधा कुटी में निवास कर रही थीं । शाम में चार बजे उनके कमरे में श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) , श्री सिद्धि माता जी (Shree Kainchi Dham), श्री जीवंती माता जी (Shree Jivanti Mata Ji) और विनोद जोशी जी का आगमन हुआ। इस प्रकार श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) का एक दरबार लग गया । एकाएक बाबा जी (Baba Ji) ने पूछा “क्या बजा है ? ” एक बज चुका था । सभी लोग चकित हो गये इतनी जल्दी कैसे इतनी लम्बी रात बीत गई । इससे भी अधिक आश्चर्य की बात ये थी कि मन्दिर में आरती , घंटों की आवाज़ किसी ने नहीं सुनी । सभी लोग बाबा जी (Baba Ji) के दर्शनों में अपने को भूले थे । भगवान का साथ किसे अच्छा नहीं लगता , बड़े नसीब वाले थे वो जिन्हें बाबा जी (Baba Ji) ( भगवान )का साथ मिला । समय क्या ज़िन्दगी उनके साथ से गुज़रे , यही प्रार्थना है हमारी ।

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -32

 

एक बार श्री कैंची धाम (Shree Kainchi Dham) आश्रम परिसर में श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) का दरबार लगा था | भक्तों के समूह में श्री शिव गोपाल तिवारी भी थे | बाबा जी (Baba Ji) ने तिवारी जी से रामायण का पाठ सुनाने को कहा | तिवारी जी ने श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) से पूछा “कहाँ से पाठ आरम्भ किया जाये ?” श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) अत्यन्त भाव में कह बैठे , ” वहाँ से सुनाओ , जहाँ से हमने विभीषण से कही थी |”. इस प्रकार श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) अपना परिचय दे बैठे | तिवारी जी ने जैसे ही ‘ सुनहु विभिषण प्रभु की रीति , करे सदा सेवक पर प्रीति’ से पाठ आरम्भ किया उसके बाद श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) तुरंत भावावेष में आने लगे ! वे अपनी असलियत लोगो से छिपाना चाहते थे , इसलिये श्री सुधीर मुकर्जी , का हाथ अपने हाथ मे ले वहाँ से उठ कर चल दिये ! उनके एक ही हाथ का भार इतना ज्यादा बढ गया कि मुखर्जी दादा उसे भार को बिल्कुल भी सहन नही कर पा रहे थे | उन्हे भय होने लगा कि वह स्वंय गिर बैठेंगे और साथ बाबा जी (Baba Ji) को भी गिरा बैठेंगे | लेकिन वह लाचारी में चुप रहे |श्री शिव(Shree Shiv) मन्दिर के द्वार तक पहुंच कर श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji) अपने दोनो हाथों को भूमि पर टेकते हुये अपने घुटनों और अपने पैर के पंजो के बल बैठ गये , पर बाबा जी (Baba Ji) ने मुखर्जी दादा का हाथ नही छोडा | उनके हाथ में रक्त का संचार होना भी कम हो गया ! धीरे -धीरे श्री नीम करोली बाबा जी (Shree Neem Karoli Baba Ji)  की आकृति बदलने लगी | उनका मुँह लाल होने लगा | और सम्पूर्ण देह में भूरे-भूरे बाल खड़े होने लगे | मुखर्जी दादा अत्याधिक भयभीत हो गये और बड़े प्रयत्नों के बाद अपना हाथ छुड़ाकर कर जंगल की और भाग गये | बाबा जी (Baba Ji) श्री हनुमान भगवान जी (Shree Hanuman Bhagwan Ji) के रूप में आ चुके थे , वे भी श्री कैंची धाम (Shree Kainchi Dham) से चले गए | श्री कैंची धाम (Shree Kainchi Dham) मे सर्वत्र उनकी खोज होती रही , पर उनका कभी पता नही चला | बाबा जी (Baba Ji) का श्री हनुमान भगवान जी (Shree Hanuman Bhagwan Ji)रूप देख कर मुखर्जी दादा कई घंटों तक अचेत पड़े रहे | जब वह लौट कर आए तो लोगों ने उनसे कई प्रश्न किये पर उनके पास कोई उतर ना था , होश मे आने पर उन्होंने सब को बताया बाबा जी (Baba Ji) का श्री हनुमान रूप |

” जय जय जय जय श्री भगवंता
तुम तो हो साक्षात हनुमंता ”

 

 

 

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