श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 90 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 91,92,93,94 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -91
श्री बाबा जी का बृहत परिवार ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक दिन लखनऊ मे श्री सुरज नारायण.मेहरोत्रा का लडका अपने मकान की ऊपर की मंजिल से नीचे गिर पडा और उसे गहरी अन्दरूनी चोटें आ गई | डाक्टर लोग यथाशक्ति उपचार कर रहे थे | पर हालत गिरती जा रही थी | श्रीमति मेहरोत्रा घबरा उठी | उन्होने बाबा को याद किया | बाबा उस समय चर्च लेन इलाहाबाद मे थे | श्री नीम करोली बाबा जी वहां से अचानक उठ खड़े हुए और वे जाने के लिये उधत हो गये | घर वालों के बहुत कहने पर भी श्री बाबाजी भोजन करने को तैयार ही नही हुए और वे बोले , “हमारे लड़के की हालत बहुत खराब है हम खाना नही खायेंगे |” श्री बाबाजी अकेले ही बाहर निकल गये |और उसी क्षण लखनऊ मे महरोत्रा जी के निवास स्थान पर पहुंच गये और श्री बाबाजी लड़के को अपनी गोद मे लेकर बैठ गये | श्री महाराजजी ने दूध मांगा , कुछ दूध पीकर श्री नीम करोली बाबाजी ने शेष दूध लड़के को पिला दिया | उसके पश्चात् लड़के की दशा मे परिवर्तन आने लगा और वह शीघ्र स्वस्थ हो गया | दुःखी भक्त की पुकार पर श्री महाराजजी उसी क्षण इलाहाबाद से लखनऊ पहुंच गये | पुकार सच्ची है तो आप हर पल श्री बाबा जी को साथ खड़े पाएंगे |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -92
दारिद्रय का उन्मूलन ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
एक दिन श्री कैंची धाम आश्रम में श्री नीम करोली बाबाजी के दरबार मे गंगाधर पढालनी नाम का व्यक्ति आया | उसकी पत्नी केरल की रहने वाली थी | वह रोडवेज में नौकरी करता था और अपने गृहस्थी के खर्चों को पूरा न कर पाने के कारण मन ही मन अत्यन्त दुःखी रहता था | यद्यपि उसने श्री नीम करोली बाबा जी से उस सम्बंध ने कुछ भी नही कहा पर श्री बाबा जी ने वहां उपस्थित दर्शनार्थी से उसे पांच रूपये दिलवाते हुए कहा , “अपनी पत्नी के नाम लाटरी का टिकट खरीद लेना |” इस व्यक्ति ने ऐसा ही किया और श्री नीम करोली बाबा जी की कृपा से उसे पांच लाख की प्राप्ति हुई | जिससे उस व्यक्ति ने कुछ सम्पति खरीद ली और यह दोनो लोग सुखपूर्वक रहने लगे |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -93
एक बार गोदावरी तिवारी महाराज के दर्शन करने कैंची आ रही थी , उनके एक परिचित पन्त जी उनके साथ चलने को राज़ी हो गये । गोदावरी जी बिना भोजन किये दर्शन करना चाहती थी , पर श्री पन्त जी से उन्होंने भोजन कर आने को कहा । वे बोले,” श्री नीम करोली बाबा जी के यहां खाना मिलता है , चलो एक दिन के खाने में जो खर्च आएगा उसकी बचत होगी ।” जब वे दोनों श्री नीम करोली बाबा जी के पास पहुंचे , वहां एक महिला थी जो कि कलाकन्द का भोग लगा रही थी । श्री नीम करोली बाबा जी ने कुछ कलाकन्द उठाकर श्री गोदावरी जी को दिये और कहा, ” प्रसाद पाले ।” श्री पन्त जी से श्री बाबाजी बोले,” तू जा भण्डारे में प्रसाद पाले , एक दिन के खाने का ख़र्च बचेगा ।”
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -94
दो प्राणों की रक्षा ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री रमेश चन्द्र साह , पूसा संस्थान दिल्ली मे वैज्ञानिक हैं| आप सपरिवार श्री नीम करोली बाबा जी के भक्त हैं | सन १९६२ में जाड़ों के दिन थे | आपकी पत्नी और बेटी रात में घर के अन्दर सो रहे थे | उनके कमरे में अंगूठी जल रही थी और किवाड़ बन्द थे |कोयले की ज़हरीली गैस से उनमें बेहोशी पैदा हो रही थी | ऐसी स्थिति में उन्हें स्वप्न में श्री बाबा जी के दर्शन हो रहे थे | श्री बाबा जी उस समय वृन्दावन में थे |उन्होंने तुरंत अपने कमरे में एक अंगीठी जलवा कर रख ली और सब खिड़की दरवाजा बन्द करके अकेले लेट गये | कुछ समय बाद जब दरवाजा खुला तो बाबा की हालत खराब थी | भक्तों ने सभी दरवाजे खिड़कियां खोल कर अंगीठी बाहर करी | कुछ ही देर में बाबा स्वस्थ हो गये और इधर मुक्तेश्वर में इन दोनों को भी चेतना आ गयी | भक्त परिवार को जब श्री नीम करोली बाबा जी की इस लीला का पता चला को श्री बाबाजी की इस अव्यक्त लीला से वो अपने को धन्य समझने लगे |