श्री विनय चालीसा ( Shree Vinay Chalisa ) प्रभु श्री राम के महान भक्त और श्री हनुमान भगवान जी के अवतार परमपूज्य श्री नीम करोली बाबाजी गुणों का वर्णन करती हुई एक काव्यात्मक कृति है | इसके रचयिता श्री प्रभु दयाल शर्मा जी हैं |
श्री विनय चालीसा ( Shree Vinay Chalisa )-
श्री विनय चालीसा ( Shree Vinay Chalisa )लेखन की कहानी –
श्री विनय चालीसा ( Shree Vinay Chalisa ) के लेखक श्री प्रभु दयाल शर्मा जी हैं उन्होंने एक और रचना की है जिसका नाम पुष्पांजलि है | श्री विनय चालीसा को श्री नीम करोली बाबा जी के भक्त रात- दिन गाते रहते हैं और श्री विनय चालीसा को बार-बार अलग-अलग रूप में छापा गया है | इसके बारे में श्री प्रभु दयाल शर्मा जी बताते हैं कि वे सन 1965 में वृंदावन के आईटीआई डिपार्टमेंट में कैशियर के रूप में कार्यरत थे | उसी साल की बात है कि एक दिन श्री प्रभु दयाल शर्मा जी को अत्यंत ही ज्यादा बेचैनी महसूस हो रही थी | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी ने बाहर घूमने जाने के बारे में सोचा | उन्होंने वृंदावन की एक अत्यंत ही पुराने मंदिर श्री लुटेरे हनुमान जी की तरफ जाने का सोचा | जैसे ही वे मंदिर के पास गुजरे तो उन्हें उनके एक अत्यंत ही खास मित्र श्री जगदीश प्रसाद सिंघल जी मिले | श्री जगदीश प्रसाद सिंघल जी ने श्री प्रभु दयाल शर्मा जी से पूछा कि क्या उन्हें श्री नीम करोली बाबा जी नाम के कोई संत मिले हैं | इस पर श्री प्रभु दयाल शर्मा जी ने उन्हें श्री हाथी वाले बाबा जी का पता बता दिया जो श्री नीम करोली बाबा जी के आश्रम के समीप ही श्री गोरे दाऊजी मंदिर की में बैठा करते थे | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी ने कहा कि श्री हाथी वाले बाबा जी ही उन्हें श्री नीम करोली बाबा जी के पास ले जाएंगे |
श्री प्रभु दयाल शर्मा जी आश्रम पहुंचे और उन्होंने किसी से पूछा कि क्या वह श्री नीम करोली बाबा जी को देख सकते हैं इस बात पर उन्हें इंतजार करने के लिए बोला गया | इस समय श्री नीम करोली बाबा जी श्री प्रभु दयाल शर्मा जी के बिल्कुल पास से गुजरे और कमरे में प्रवेश किया लेकिन श्री प्रभु दयाल शर्मा जी श्री नीम करोली बाबा जी को पहचान नहीं पाए | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी ने फिर से पूछा कि क्या वह श्री नीम करोली बाबा जी को देख सकते हैं इस पर एक व्यक्ति ने उनसे कहा कि वह अंदर जाकर श्री बाबा जी से पूछेगा | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी को यह बात पसंद नहीं आई कि श्री नीम करोली बाबा जी उन्हें इंतजार करवा रहे हैं | जब श्री प्रभु दयाल शर्मा जी को अंदर ले जाया गया तो श्री महाराज जी ने उनसे तरह-तरह के सवाल पूछे जैसे कि क्या नाम है ,क्या करते हैं ,कितनी तनख्वाह है इत्यादि | इसके पश्चात रिडीम करोली बाबा जी ने श्री प्रभु दयाल शर्मा जी से कहा कि जाओ! श्री प्रभु दयाल शर्मा जी ने श्री महाराज जी से कहा कि कृपया मुझे थोड़ी देर यहां और बैठने दीजिए | श्री नीम करोली बाबा जी ने उन्हें डांट कर बाहर भेज दिया | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी श्री नीम करोली बाबा जी से अपनी पहली मुलाकात पर बहुत खुश नहीं थे | लेकिन जैसे ही श्री प्रभु नारायण शर्मा जी अपने घर पहुंचे तो उन्हें बिजली का बहुत तेज झटका लगा और उन्होंने स्वयं को यह कहते हुए सुना कि श्री नीम करोली बाबा जी एक महान व्यक्ति हैं ,कोई साधारण व्यक्ति नहीं |
2 दिन के पश्चात श्री प्रभु दयाल शर्मा जी को श्री विनय चालीसा ( Shree Vinay Chalisa ) लिखने की प्रेरणा मिली | और उन्होंने श्री विनय चालीसा को 6 महीने में पूरा कर लिया | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी को ठीक से याद नहीं कि उन्होंने श्री विनय चालीसा को कितने समय में लिखा था क्योंकि उस समय वे पागल खाने में थे | जब भी ठीक हो गए तो उन्होंने श्री विनय चालीसा को श्री नीम करोली बाबा जी को डाक के द्वारा भेजा | श्री नीब करोरी बाबा जी ने उसे पत्र को देखते ही फाड़ कर फेंक दिया | कुछ सालों के उपरांत श्री प्रभु दयाल शर्मा जी सन् 1969 में जब श्री कैंची धाम गए तो उन्होंने कुछ भक्तों को अपनी उसे कविता को गाते हुए देखा | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी ने एक व्यक्ति को जिनका नाम श्री काली कपूर था उनको श्री विनय चालीसा के पर्चे बांटते हुए देखा | श्री प्रभु दयाल शर्मा जी के पूछने पर श्री काली कपूर जी ने बताया कि उन्होंने यह पत्र श्री वृंदावन आश्रम में मिले फटे पन्नों से छपवाया है |