Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या -87,88,89,90

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 86 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 87,88,89,90 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -87

बाबा और प्रकृति ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

श्री नीम करोली बाबा जी अक्सर कहा करते कि , ” पूरन हमारा सारा काम प्रकृति करती है ।” इस संदर्भ में कितनी ही लीलाएं हैं | श्री कैंची आश्रम के निर्माण काल में श्री बाबा जी एक ऊंची सी शिला पर विराजमान हो जाते थे और भक्त लोग समतल भूमि पर बैठ जाते थे | शिला के साथ लग कर अतीस नाम का एक पहाड़ी वृक्ष का सूखा सा ठूंठ ( तना ) खड़ा था बिना हरियाली के । इस वृक्ष की आयु वैसे ही बहुत कम होती है ।और वैसे भी ये वृक्ष अपनी आयु पूरी कर चुका था । लोगों ने इस डर से कि तेज हवा से ये ठूंठ किसी के उपर न गिर जाये , श्री बाबा जी से उसे कटवाने के लिए कहा तो श्री बाबाजी बोल उठे,” नहीं इसकी जड़ में जल चढ़ाओ ।” ये फिर से हरा हो जायेगा । “लोग यह सोचने लगे कि पूरे वर्ष इतनी वर्षा होती है तब तो यह वृक्ष हरा -भरा हुआ नही । परन्तु श्री मां ने श्री बाबा जी की उक्ति का मर्म समझ ठूंठ को श्री गंगाजल से स्नान कराया और फिर उसका आरती पूजन किया ।

कुछ ही दिनों में वृक्ष की शाखाएं फूटने लग पड़ीं , हरे पत्ते आने लग पड़े और बढ़ते बढ़ते पेड़ शाखाओं , हरे पत्तों से भरपूर हो गया ।आज ये वृक्ष अपने जीवन दाता के उस शिला-स्थान के ऊपर छत्र-रूप में लहराता रहता है -अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए |( इस वृक्ष की पत्तियों में श्री मां कई भक्तों को श्री राम नाम के दर्शन भी करवा चुकी हैं |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -88

मुजीब आ गये ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)

बांग्लादेश के नेता शेख़ मुजीबुर्रहमान के भाई उस समय श्री बाबा जी के पास आये थे जब मुजीब को भुट्टो ने कैद कर रखा था | लोग मान चले कि अब शेख़ मुजीब को ज़िन्दा नही छोड़ा जायेगा | बहुत से लोग मान रहे थे कि उनकी हत्या कर दी गई है | श्री महाराज जी ने मुजीब के भाई से कहा , ” चिन्ता मत कर , तेरा भाई आ जायेगा और वह एक बादशाह की तरह आयेगा | ” श्री बाबा जी की वाणी सत्य हुई | वह बंग्लादेश लौटे और वहां के प्रथम राष्ट्रपति बने |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -89

एक दिन श्री नीम करोली बाबा जी ने अपने कुछ भक्तों के साथ ऋषिकेश और हरिद्वार में निवास किया | एक दिन उनके शरीर मे चेचक के दाने से दिखाई देने लगे |श्री मां ये न समझ पाई कि श्री बाबा जी ने किसकी बिमारी अपने पर ले ली है | श्री मां ने उनके दानों पर बोरोलिन का लेप कर दिया और वे दूसरे ही दिन विलीन हो गये | इसके बाद श्री बाबाजी नैनीताल भूमियांधार आश्रम में रहने लगे | कुछ ही दिनों बाद दादा सुधीर मुखर्जी ने आकर श्री नीम करोली बाबा जी के दर्शन किये |उन्होंने बताया कि चेचक निकल आने पर उनके घर के किसी सदस्य की स्थिति गंभीर हो गयी थी | घर पर सब श्री बाबा जी को याद करने लगे | और घर में सुरक्षित उनके चरणोदक का ही बीमार को पान कराते रहे | ये श्री बाबा जी की कृपा थी कि जल्दी ही चेचक से निवृत्ति हो गयी |अब सबको श्री नीम करोली बाबाजी के दानों का रहस्य समझ में आया |

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -90

श्री ओंकार सिंह जी एस. एस.पी , और श्री किशनचन्द्र कानपुर के कलेक्टर थे । एक बार की बात है कानपुर में श्री गंगा जी में भीषण बाढ़ आई हुई थी ।दोनों अफसर अपने मातहतो के साथ नाव में बैठकर निकल पड़े मुआइना करने के लिए। जब वे बीच धार में पहुंचे तो पता चला कि नाव में छेद हो गया और फिर उसमे पानी भरना शुरू हो गया । सभी लोग घबरा गये । मृत्यु निश्चित रूप से सामने आ गयी थी । तभी श्री ओंकार सिंह जी पागलों की तरह चिल्ला उठे ,” गये । महाराजजी बचाओ।” उसी समय एक बहुत बड़ा तने वाला , जड़ वाला पेड़ उनके बिलकुल पास आ गया | आनन -फानन दोनों अफसर और बाकी कर्मचारी कूदकर पेड़ की शाखाओं को पकड़ते पेड़ पर चढ़ गये । देखते देखते नाव पानी में पूरी तरह डूब गयी ।

ऊंची लहरों से और अत्यन्त तेज हवाओं से अब वो पेड़ कभी उन्नाव की तरफ जाये तो कभी कानपुर की तरफ । लेकिन श्री नीम करोली बाबा जी की कृपा हुई और तेज हवा और ऊंची लहरों से भी पेड़ बिलकुल भी नहीं डगमगाया और न ही करवट ली और न ही वह पेड़ उलटा । श्री ओंकार सिंह जी बराबर श्री नीम करोली बाबा जी को बराबर याद करते रहे । श्री नीम करोली बाबा जी की कृपा से कुछ ही देर में वह पेड़ कानपुर के किनारे में बालू पर आकर अटक सा गया । सभी लोग उस पेड़ से किनारे पर कूद गये ।

श्री नीम करोली बाबा जी ने उन सभी लोगों की आयी हुई मृत्यु को टाल दिया , एक भक्त की पुकार से श्री नीम करोली बाबाजी ने सभी को बचा लिया ।

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