Shree Neem Karoli Baba ji Ke Chamatkar Ki Kathayen ||श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथायें || कथा संख्या – 26,27,28

श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 25 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 26,27,28 इस प्रकार हैं –

श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -26

श्री नीम करोली बाबाजी के आश्रम का प्रसाद औषधियों से भी बढ़कर असरदार होता था । श्रीमति पुष्पा शाह बताती हैं कि – मेरे बड़े लड़के को पीलिया रोग हो गया बहुत ईलाज कराने के बावजूद भी मर्ज़ बड़ता चला गया । लड़के की ये दशा देखकर मैं बहुत दुःखी और उदास रहने लगी । तब एक दिन लड़के को उठाकर कैंची धाम ले आयी और महाराजजी के चरणों में उसे बैठा कर सब हाल कहा । महाराजजी ने भी कह दिया,” घबरा मत ठीक हो जायेगा ।”” तभी एक सेवक से बाबा जी बोले,” इसे ( मूझे ) प्रसाद दो ।” और मेरे लिये चार पूरी और आलू का प्रसाद आ गया । मैंने आव देखा न ताव उस प्रसाद को अपने लड़के को बाबा जी के सामने ही खिलाना शुरू कर दिया । बालक भी कई दिन से उबला खाना खाकर परेशान था , उसने पूरी का प्रसाद गपागप खाना शुरू कर दिया । महाराज जी चिल्लाकर बोले,” क्या कर रही है ये ? लड़का मर जायेगा ।” मैंने भी सहज भाव से उतर दिया आपका प्रसाद पाकर भी मरता है तो मर जाये । ” बाबा जी मना करते रहे और मैं उसे प्रसाद खिलाती रही और वह आन्नद से खाता गया।

कहाँ पूरी आलू का भोग और कहां धनवंतरी औषधियाँ | बाबा जी के भोग ने देखते ही देखते मेरे बेटे को अच्छा कर दिया ।

श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -27

श्रीमति गिरिजा देवी , रानी साहिबा (भद्री ) बताती है कि एक बार राजा साहेब अत्यन्त ही गंभीर रूप से बिमार पड़ गये । डाक्टरों का इलाज कुछ असर नही दिखा रहा था । शिमला में तब बर्फबारी हो रही थी । और अत्यंत कड़ाके की ठंड थी ।

५ जनवरी की रात वे बेहोश पड़े थे । दो पलंग बिछे थे दोनों के बीच एक मेज़ पर टेबल लैंप, कापी और क़लम रखे थे |तभी आधी रात में मैंने देखा कि एक छाया उस बन्द दरवाज़े के अन्दर प्रवेश कर रही है और वह छाया धीरे-धीरे मेरे पलंग के पास आ गई । कभी मुझे सुनाई दिया कि वे छाया कुछ मंत्र सा बोल रही है जिसे उन्होंने सात बार दोहराया और मैं अर्धचेतन अवस्था में सब सुन रही हूं।छाया ने बहुत स्पष्ट शब्दों में कहा , ” भूलना मत , एक माला सुबह , एक माला शाम को तुम जरूर जपना , तुम्हारा पति बिलकुल ठीक हो जायेगा ।”तब उस छाया ने मुझे उठ कर बैठने को कहा । और दो मन्त्र कहे , पास के टेबल से मुझे कापी और पेन देते हुए मन्त्र लिखने के कहा । आज्ञानुसार मैंने मन्त्र लिख दिये और मैं लेट गयी और छाया मुस्कुराते हुए अंतर्ध्यान हो गयी । मैंने उस छाया को हल्की रोशनी में देखा तो वे बाबा महाराज स्वंय थे । जो अक्सर शिमला में आते तो राजा भद्री को दर्शन देते ।

सुबह मैंने देखा तो कापी में दो मन्त्र लिखे थे । मन्त्र तो मैंने बाद में शुरू किये पर महाराज जी के आने से ही राजा साहब ठीक होते चले गये और बिलकुल स्वस्थ हो गये ।

श्री नीम करोली बाबाजी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -28

एक रात , पाषाण देवी , नैनीताल झील के निकट एक चट्टान पर महाराज अपने भक्त श्री पूरन चन्द्र जोशी के साथ बैठे थे ! सामने झील के दुसरी तरफ इन्डिया होटल ( श्री माँ का निवास स्थान ) की और इंगित करते हुये ना मालुम किस मौज में वह कह बैठे , “वह कात्यानी देवी का घर है , जिसके लिये हनुमान को यहाँ आना पडा !” इस प्रकार एक लहर में बाबा अपना और माँ का परिचय दे गये ! महाराज का कार्य धर्म का प्रचार करना था | बाबाजी की इस लीला में योग देने की क्षमता केवल श्री सिद्धि माँ मे थी |

श्री माँ को बाबा के दर्शन प्रथम बार श्री राम साह जी के घर हुये ! वहाँ बाबा का दरबार लगा था ! अपने विवाह के कुछ ही महीनों बाद आप पडोस की महिलायों के साथ वहां गईं |आपको देखते ही श्री नीम करोली बाबाजी ने दरबार में आपकी दिनचर्या का बखान करते हुए यह बताया कि आप किस प्रकार से गृहस्थी के सभी कार्यों को अच्छे ढंग से करते हुए निरन्तर भगवत भजन किया करती हैं | श्री नीम करोली बाबाजी ने उसी समय कहा कि “श्री सिद्धि माँ के लिये वृन्दावन में एक कुटिया बनेगी” ! उस समय श्री सिद्धि माताजी के लिये कुटिया का कोई महत्व नही था | तब वृन्दावन माँ के स्वपन में भी नही था | कालान्तर में जब उसका निर्माण हुया तो सर्वप्रथम वहां श्री सिद्धि माँ के लिये कुटिया बनी !

महाप्रयाण के पूर्व श्री नीब करौरी बाबाजी अपनी श्री राम जी के नाम की डायरी श्री सिद्धि माताजी को देते हुये बोले कि आगे से तू ही इस डायरी को भरेगी | इस प्रकार संकेतिक रूप से अपना कार्य भार श्री नीम करोली बाबाजी ने श्री सिद्धि माँ को सौंप दिया ! माँ ने अपने वैभवपर्ण गृहस्त की माया – ममता को त्याग कर , हर प्रकार के कष्टों की प्रवाह ना करते हुये जिस प्रेम और निष्ठा से बाबा के सिद्धांत और निति के अनुसार अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह कर रहीं है | जैसे श्री राम भगवानजी की अनुपस्थिति में श्री भरत भगवानजी को याद करते हैं | श्री सिद्धि माँ का जन्म इसी कारण हेतु हुया था , ये बात श्री नीम करोली बाबाजी जानते थे |

 

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