श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाओं (Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathaon) में कथा संख्या 1 से लेकर 81 पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं | कथा संख्या 82,83,84,85,86 इस प्रकार हैं –
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -82
घटना १९४० की है | एक मुस्लमान अधिकारी का बेटा विलायत पढ़ने गया | वहां पर उसे दिल का दौरा पढ गया | सूचना मिलते ही उस लड़के की मां उसे देखने विलायत चली गयी | बाबा जी अपने एक भक्त के यहां गये | उस भक्त की इस मुस्लिम परिवार से घनिष्ठता थी , उसने बीमार लडके के बारे मे बाबा जी से पूछना चाहा , उसके कुछ कहने से पहले ही बाबा बोल उठे ,” क्या उस लडके के बारे मे पूछना चाहता है जो विलायत मे पढ़ रहा है ? तू क्या चाहता है ? उसकी मां अपने बेटे के पास पहुंच गयी है | तू ही उसकी मां को हवाई अड्डे तक उसे छोड़ने गया था | ज्योंही वह वहां पहुंची उसके लडके की हालत सुधरने लगी | ” फिर श्री नीम करोली बाबा जी उठे और कहने लगे , ” अब हम जाते है , हमारा मन इसी प्रकार से विचरण करता है |”
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -83
बात उस दिन की है जब महाराज जी के परम भक्त अशोक कुमार शर्मा जो कि उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत थे उनकी ड्यूटी इलाहाबाद महाकुंभ 2001 (वर्तमान में प्रयागराज) में लगी हुई थी। शर्मा जी गंगा में स्नान कर साथी पुलिस कर्मियों के साथ चाय की दुकान पर चाय पी रहे थे तभी कंबल ओढ़े महाराज जी ने साधु के वेश में शर्मा जी से लेटे हुए बड़े श्री हनुमान जी का मंदिर जाने का पता पूछा, शर्मा जी द्वारा रास्ता बताने पर महाराज जी उस दिशा की ओर आशीर्वाद देकर चल दिए (खुश रहो) अचानक शर्मा जी को लगा साधु जी से चाय के लिए पूछ लेता हूं पीछे मुड़कर शर्मा जी ने देखा की दूर-दूर तक कोई था ही नही | श्री नीम करोली बाबाजी दर्शन देकर अदृश्य हो गए।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -84
काम नही बनेगा ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen)
श्री देवराज जी के परिचित महेंद्र सिंह नाम के एक लड़के ने पन्त नगर विधालय में नियुक्ति के लिये इन्टरव्यू दिया और उसे पूरा विश्वास था कि यहां उसका काम बन जायेगा , परन्तु बहुत प्रतीक्षा के बाद भी वहां से कोई भी आदेश प्राप्त न होने पर वे चिन्तित हो उठा । देशराज जी ने उन्हें बाबाजी के पास श्री कैंची धाम भेजा बाबाजी उसे देखते ही बोले ,” नौकरी के लिये आया है । ठाकुर ने गड़बड़ी कर दी , अब काम नहीं बनेगा ।” और वास्तव में उसे इस और से निराशा प्राप्त हुई ।
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -85
एक बार रात्रि ११ बजे श्री सिद्धि मां और कुछ भक्त श्री नीम करोली बाबाजी के साथ उनकी कुटी में बैठे हुए थे तभी श्री नीम करोली बाबाजी एक कहानी सुनाने लगे :
“एक संत थे उन्होंने अपने देह का त्याग कर दिया | उन संत के भक्त और परिवार वालों ने उन संत के शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया | कुछ समय के बाद वह संत वापस आ गए | “फिर श्री महाराजजी श्री मां की तरफ मुड़े और बोले :”मुझे बताओ , वह संत कैसे वापस आ गया ” श्री मां शांत रहीं और श्री महाराजजी ने भी कोई उत्तर नहीं दिया | वहां बैठे अन्य भक्त ये पहेली नहीं समझ पाए |
श्री नीम करोली बाबा जी के चमत्कार की कथाएं ( Shree Neem Karoli Baba Ji Ke Chamatkar Ki Kathayen) || कथा संख्या -86
१९६२ में एक व्यापारी श्री सीताराम जी जो की नागालैंड के रहने वाले थे के एक रिश्तेदार के लड़के का अपहरण हो गया । उस लड़के की सब तरफ़ पुलिस द्वारा खोजबीन की जाने लगी परन्तु कुछ भी नतीजा न निकल पाया।
श्री सीताराम जी बोले कि लखनऊ में बाबा श्री नीब करौरी जी महाराज द्वारा एक श्री हनुमान मंदिर स्थापित है जहां के लिये श्री बाबा जी ने यह व्यवस्था कर रखी है कि जो भी दुखभरा पत्र उनके नाम से या श्री हनुमान भगवानजी जी के नाम से आये , उस पत्र को पुजारी जी द्वारा रात को श्री हनुमान भगवानजी को सुनाया जाये – ऐसा करने पर श्री हनुमान भगवानजी प्रार्थी का संकट दूर कर देते हैं। तुम भी एक पत्र लिख दो श्री बाबा जी को श्री हनुमान भगवानजी के नाम लखनऊ को | लड़का जल्दी मिल जायेगा । घर वालों ने शीघ्र ही एक पत्र वहां भिजवा दिया ।
श्री सीताराम जी श्री बाबा जी से कहते रहे ,” श्री बाबा जी अब मेरी लाज आपके हाथ है ” और श्री महाराजजी ने आपकी लाज रख ली । लड़का ४ दिन बाद सकुशल घर लौट आया । अपने भक्त की आस्था पर चोट कैसे करने देते सरकार ?