Kalyug Ki Jagrat Devi Kaun Hain : कलयुग की जाग्रत देवी कौन हैं?

इस लेख में आप जानेंगे कि कलयुग की जाग्रत देवी (Kalyug Ki Jagrat Devi) कौन हैं?

कलयुग की जाग्रत देवी (Kalyug Ki Jagrat Devi) –

युग परिवर्तन तथा कलयुग के आरंभ होते ही मंत्रों की शक्तियां सता ही कम होने लगीं तथा साधना तथा मंत्रों से प्राप्त सिद्धियां समाप्त होने लगीं | कहते हैं कि कलयुग में केवल जाग्रत देवता या देवी ही प्रबल प्रभावकारी होंगी इस समय जाग्रत देवी- देवताओं में माता श्री काली को कलयुग की जाग्रत देवी (Kalyug Ki Jagrat Devi) माना जाता है तथा भगवान श्री हनुमान और भगवान श्री शनि भी जाग्रत देवताओं में आते हैं माता श्री काली जाग्रत माता हैं इनको बिना मंत्रों के भी सिद्ध किया जा सकता है एवं प्रसन्न किया जा सकता है | मां की साधना अत्यंत ही सरल और दुर्लभ दोनों ही है क्योंकि मां पहली दंड देती हैं और बाद में क्षमा करती हैं अर्थात इनकी साधना में भक्त पहले दंड का पात्र बनता है और फिर क्षमा का |

kalyug ke jagrat devi

मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है नाम से ही स्पष्ट है की माता का यह रूप अत्यंत ही भयानक है सर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माल है माता श्री कालरात्रि अंधकार में स्थितियों का विनाश और कल से रक्षा करने वाली देवी हैं इन देवी के तीन नेत्र हैं जो ब्रह्मांड के समान गोल हैं उनकी सांसों से अग्नि निकलती रहती है यह गर्दभ की सवारी करती हैं | ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वर मुद्रा से भक्तों को वर देती हैं और दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है यानी कि भक्तों निडर और निर्भय रहो | बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड़ग है | माता श्री काली का स्वरूप देखने में अत्यंत ही भयानक है लेकिन यह सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं इसी कारण इनको शुभंकारी भी कहा जाता है |

मां के द्वारा ही ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है और इस ब्रम्हांड में वही वही हैं | केवल वही हैं जो संसार को चला रही हैं तथा अपने मुख में ब्रह्मांड को समाए हुए हैं | माता रानी विश्व की रक्षा तथा विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं |सभी सिद्धियां उन्हीं से उत्पन्न होती हैं और उन्हीं में जाकर समाप्त हो जाती हैं | सभी सिद्धियों को प्राप्त करने वाला व्यक्ति अंततः मां की चरणों में अपना जीवन समर्पित कर देता है | मां आप अपनी भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहती हैं एवं दसों दिशाओं से सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं ,वह भक्ति चाहे स्वर्ग में हो या किसी कारणवश वह नर्क भोग रहा हो मां हर जगह अपने भक्तों की रक्षा करती हैं | मां कालिका की उपासना जीवन में सुख संपत्ति और विद्या देने वाली बताई गई है | मां कालिका की भक्ति का प्रभाव व्यवहारिक जीवन में मानसिक, शारीरिक और सांसारिक बुराइयों के अंत के रूप में दिखाई देता है जिससे किसी भी इंसान के तनाव ,भय और कलह का नाश हो जाता है | मां कालिका को खास तौर पर बंगाल और असम में पूजा जाता है | काली शब्द का अर्थ काल और काले रंग से है | काल का अर्थ समय है | मां काली को देवी श्री दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है | माता श्री काली के दरबार में जो भी भक्त एक बार चला जाता है तो उस भक्त का नाम ,पता वहां दर्ज हो जाता है | माता श्री काली के दरबार में यदि दान मिलता है तो दंड भी और यदि इस दरबार में आशीर्वाद मिलता है तो इस दरबार में श्राप भी मिलता है इसीलिए भक्त मन्नतें पूरी करने के लिए जो भी वचन दें उस वचन को पूरा जरूर करें नही तो माता श्री काली आपसे रुष्ट हो सकती हैं जो भक्त एकनिष्ठ, सत्यवादी और वचन का पक्का है उस भक्त का इस दरबार में उसका काम तुरंत होता है | इसीलिए श्री काली माताजी को कलयुग की जाग्रत देवी ( Kalyug Ki Jagrat Devi) कहा जाता है |

मां श्री काली का एक अत्यंत ही दुर्लभ मंत्र है –
ऐं नमः क्रीं क्रीं कालिकायै स्वाहा
यह अत्यंत दुर्लभ मंत्र है इसका जाप विधि विधान के द्वारा करना चाहिए |

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