इस लेख में हम यह जानेंगे कि कलयुग के देवता कौन हैं (Kalyug Ke Devta Kaun Hain) ?
कलयुग के देवता कौन हैं (Kalyug Ke Devta Kaun Hain) ?
कलयुग के देवता कौन हैं (Kalyug Ke Devta Kaun Hain) इस विषय में यह कहा जाता है कि वर्तमान में जो युग चल रहा है उसे कलयुग नाम दिया गया है ऐसी मान्यता है कि कलयुग में देवी देवता वास नहीं करते हैं लेकिन श्री हनुमान भगवान की एक ऐसे देवता है जिन्हें कलयुग के देवता के नाम से जाना जाता है कहा जाता है कि जो भक्त श्री हनुमान भगवान जी की आराधना करता है उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है श्री हनुमान भगवान जी अपने भक्तों का हर संकट हर लेते हैं श्री हनुमान भगवान जी कलयुग में जागृत और साक्षात शक्ति हैं जिनके समझ कोई मायावी शक्ति नहीं ठहर पाती है ऐसा माना जाता है कि जहां भी भगवान श्री राम की पूजा होती है या फिर श्री रामायण का पाठ होता है वहां पर भक्त श्री हनुमान भगवान किसी न किसी रूप में अवश्य पहुंचते हैं | पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण की लंका पर विजय पाकर जब भगवान श्री राम अयोध्या लौट रहे थे तब उन्होंने उन लोगों को उपहार दिए जिन्होंने रावण के साथ युद्ध में उनके साथ दिया था इसमें विभीषण अंगद और सुग्रीव शामिल हैं तभी श्री हनुमान भगवान जी ने भगवान श्री राम से याचना की कि हे वीर प्रभु श्री राम ! इस पृथ्वी पर जब तक श्री राम कथा प्रचलित रहे तब तक निसंदेह मेरे प्राण इस शरीर में बसे रहें | भगवान श्री राम आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कि हे कपि श्रेष्ठ बिलकुल ऐसा ही होगा इसमें कोई भी संदेह नहीं है कि जब तक इस संसार में मेरी कथा प्रचलित रहेगी तब तक तुम्हारी कीर्ति अमिट रहेगी और तुम्हारे शरीर में प्राण भी रहेंगे | जब तक यह लोक-परलोक बने रहेंगे तब तक मेरी कथाएं भी स्थिर रहेंगी |
श्री हनुमान भगवान जी की कृपा अपने ऊपर बनाए रखने के लिए प्रतिदिन श्री सियाराम भगवानजी का नाम लेना चाहिए और श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए | मंगलवार और शनिवार को श्री हनुमान भगवान जी को चोला चढ़ाना अत्यंत लाभकारी होता है मंगलवार और शनिवार को व्रत रखकर भी आप श्री हनुमान भगवान जी का आशीर्वाद का सकते हैं | मंगलवार के दिन श्री हनुमान भगवानजी के मंदिर में जाके लडडू अर्पित करना चहिए और गुलदाना अर्थात बूंदी और पान और नारियल अर्पित करना चहिए | यदि आस -पास कोई दीन -हीन व्यक्ति बैठा है तो उसे जरूर कुछ दान करना चहिए तो श्री हनुमान भगवानजी पर वह वस्तु स्वयं चढ़ जाती है | श्री हनुमान भगवानजी को सिंदूर अति प्रिय है इस विषय में एक कथा प्रचलित है कि एक बार श्री हनुमान भगवानजी ने देखा कि श्री सीता माताजी सिंदूर लगा रहीं थीं तो उन्होंने श्री सीता माताजी से पूछा कि हे श्री माताजी आप ये क्या कर रही हैं तो श्री सीता माता जी ने कहा कि हे पुत्र मै अपनी मांग में सिंदूर भर रही हूं तब श्री हनुमान भगवानजी ने पूछा कि इससे क्या होता है तो श्री माताजी ने बताया कि इससे तुम्हारे प्रभु और मेरे स्वामी अत्यन्त प्रसन्न हो जाते हैं | श्री हनुमान भगवानजी ने इतना सुना और थोड़ी दूर गए और अपने पूरे शरीर पर सिंदूर ही सिंदूर लपेटा और आकरकर राज्यसभा में सबके सामने खड़े हो गए | तब प्रभु श्री राम और सभी ने पूछा कि श्री हनुमान आपने इतना सिंदूर क्यों लगाया है तो श्री हनुमान भगवानजी ने कहा कि मेरी माता श्री जानकी मांग में सिंदूर लगा रहीं थीं तो मैने सोचा कि यदि मेरे प्रभू एक चुटकी सिंदूर से इतना प्रसन्न हो जाएंगे तो यदि मै पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लूं तो वह कितने प्रसन्न हो जाएंगे | बस उसी दिन से श्री हनुमान भगवानजी को सिंदूर चढ़ाया जाता है |