Shree Sita Chalisa : श्री सीता चालीसा

श्री सीता चालीसा (Shree Sita Chalisa) का पाठ करने से श्री सीता माता के साथ ही साथ भगवान श्री राम भी अत्यंत ही प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए श्री रामनवमी के दिन श्री सीता चालीसा (Shree Sita Chalisa) का भी पाठ करना चाहिए ,इससे जीवन में आने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं |

          श्री सीता चालीसा : Shree Sita Chalisa

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सीता नवमी का महत्व उतना ही है जितना कि राम नवमी का महत्त्व है | इस दिन के शुभ अवसर पर मां सीता का जन्म हुआ था | श्री सीता माता जी के जन्मोत्सव को जानकी जयंती या श्री सीता नवमी के नाम से जाना जाता है | इस शुभ दिन के अवसर पर माता श्री जानकी और भगवान श्री राम की पूजा करने से भक्तजनों की हर परेशानी दूर हो जाती है | हिंदू धर्म में श्री रामनवमी और श्री सीता नवमी को बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम स्वयं श्री विष्णु भगवानजी तो वहीं माता श्री सीता श्री लक्ष्मी माताजी का स्वरूप हैं | श्री सीता नवमी के शुभ दिन पर श्री सीता माताजी धरती पर अवतरित हुईं इस कारण इस अत्यंत ही सौभाग्यशाली दिन जो भी व्यक्ति माता श्री सीता जी की पूजा भगवान श्री राम के साथ करता है उन पर भगवान श्री हरि और माता श्री लक्ष्मी जी की कृपा सदैव बनी रहती है | इसके अलावा श्री सीता नवमी के दिन जनक दुलारी श्री सीता माताजी की आरती और चालीसा पढ़ने का भी विशेष महत्व है | यह पौराणिक मान्यता है कि श्री सीता चालीसा (Shree Sita Chalisa) का पाठ करने से मनुष्य को सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है | साथ ही, इससे प्रभु श्री राम और प्रभु श्री हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है | श्री सीता नवमी के दिन श्री सीता माता जी की पूजा करने से सभी के सभी दुख दूर होते हैं और सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है | इस दिन श्री सीता चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के धन-धान्य में बहुत ज्यादा बरकत होती है | श्री जानकी नवमी हर साल की वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अत्यंत ही धूम -धाम के साथ मनाई जाती है | इस शुभ दिन रामप्रिया श्री सीता माताजी की विशेष पूजा का विधान है | भक्त इस दिन श्री सीता माताजी की कृपा पाने के लिए पूजा के दौरान आरती, मंत्र, व्रत-कथा आदि का पालन करते हैं |

श्री सीता माताजी प्रभु श्री राम की अर्धांगिनी हैं और महाराज जनक की पुत्री हैं | उन्हें श्री लक्ष्मी माताजी का अवतार भी कहा जाता है | श्री सीता माता जी राजा श्री जनक की पुत्री हैं इस कारण इन्हे श्री जानकी, श्री जनकात्मजा अथवा श्री जनकसुता नाम से भी पुकारते हैं | मिथिला की राजकुमारी होने के कारण श्री सीता माताजी मैथिली के नाम से भी प्रसिद्ध हैं | भूमि से उत्पन्न होने के कारण इन्हे भूमिपुत्री या भूसुता भी कहा जाता है | श्री सीता चालीसा (Shree Sita Chalisa) के माध्यम से श्री सीता माताजी के गुणों, शक्तियों, कर्मों व महत्व इत्यादि का वर्णन अत्यंत ही सुन्दर तरीके से किया गया है | यदि आप श्री सीता चालीसा पढ़ने के फायदे जानना चाहते हैं तो वह भी हम आपको बताते हैं | हम सबने टीवी पर रामायण तो देखी है और जब हम उसे देखते हैं तो हमारा हृदय अंदर से निर्मल और प्रसन्न हो जाता है | वहीं जब हम उसमें श्री सीता माताजी की भूमिका को देखते हैं तो हमारे अंदर त्याग , तपस्या, प्रेम की भावना विकसित होती है जो हमें दूसरे व्यक्तियों का भला करने को प्रेरित करती है | यही भावनाएं श्री सीता चालीसा के पाठ से विकसित होती हैं | इससे हमारा मन शांत होता है और हमारे अंदर सकारात्मक विचार आते हैं | हमारे मन में जो घृणा, द्वेष, तनाव, लोभ, ईर्ष्या, क्रोध इत्यादि की भावनाएं पनप रही थीं , वह सभी समाप्त होने लगती हैं तथा हमारा मन प्रेम, स्नेह, दया, करुणा, त्याग, आध्यात्म की भावनाओं से भर जाता है | इस प्रकार की भावना के साथ आप अत्यंत शांत मन से अपना कार्य कर पाते हैं और आप उस कार्य को अत्यंत उत्तम तरीके से भी करते हैं | श्री सीता चालीसा को पढ़ने का सबसे मुख्य लाभ यही होता है | श्री सीता चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के सुख-सौभाग्य में अत्यंत ही ज्यादा वृद्धि होती है | श्री सीता माता की कृपा से ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है | श्री सीता माता जी के प्रभाव से इंसान धनवान बनता है, वो जीवन में तरक्की करता है | वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता | श्री सीता माता जी की कृपा मात्र से ही इंसान की सभी तकलीफें दूर हो जाती हैं और वो व्यक्ती अत्यंत तेजस्वी बनता है |

 

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